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लखनऊ: संपत्ति क्षति वसूली अधिकरण के फैसले के विरुद्ध नहीं हो सकेगी अपील - संपत्ति क्षति वसूली नियमावली

यूपी की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली नियमावली 2020 के प्रावधान को मंजूरी दे दी है. अब संपत्ति क्षति वसूली अधिकरण के फैसले के विरुद्ध कहीं भी अपील नहीं हो सकेगी.

सीएम योगी की कैबिनेट बैठक
सीएम योगी की कैबिनेट बैठक
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Published : Aug 18, 2020, 2:22 PM IST

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली नियमावली 2020 के प्रावधान के अनुसार लखनऊ एवं मेरठ में संपत्ति क्षति दावा अधिकरण का गठन किए जाने की मंजूरी प्रदान कर दी है. अधिकरण की खास बात यह होगी कि उसके फैसले के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकेगी. अधिकरण का फैसला अंतिम होगा. अब प्रदेश में दंगा, प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ में हुई क्षति की वसूली की जा सकेगी.

हड़ताल, बंद, दंगों, लोक अशांति के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर हिंसात्मक कार्यों को करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होगी. इसके फलस्वरूप लोक तथा निजी संपत्ति की क्षति की वसूली के लिए दावा अधिकरण के गठन का प्रावधान उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020 में किया गया है.

देश का पहला संपत्ति क्षति दावा अधिकरण उत्तर प्रदेश में बना है. उपद्रवियों और दंगाइयों के खिलाफ योगी मॉडल देशभर में हिट हुआ है. योगी सरकार के वसूली ट्रिब्यूनल में एक चेयरमैन और एक सदस्य होंगे. अधिकरण में सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां विद्यमान होंगी. टिब्यूनल का निर्णय अंतिम होगा. अधिकरण के फैसले के विरुद्ध कहीं अपील नहीं की जा सकेगी.

सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश अधिकरण के अध्यक्ष होंगे. संबंधित मंडल के अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी इसके सदस्य होंगे. अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा जाएगा. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी चेयरमैन का चयन करेगी. इस कमेटी में अपर मुख्य सचिव गृह एवं प्रमुख सचिव न्याय सदस्य होंगे. दावा अधिकरण के अध्यक्ष की नियुक्ति पांच वर्ष की अवधि अथवा 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो तक के लिए की जाएगी.

दावा अधिकरण के कार्यालय में दावा आयुक्त एवं उप दावा आयुक्त की नियुक्ति अपर मुख्य सचिव गृह द्वारा की जाएगी. दावा आयुक्त के रूप में राज्य प्रशासनिक सेवा या राज्य अभियोजन सेवा का राजपत्रित अधिकारी होगा. दावा अधिकरण को उसके संचालन के लिए किसी अन्य आवश्यक कर्मचारी वर्ग विशेष रूप से विधिक सलाहकारों की सेवाएं अपर मुख्य सचिव गृह द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी.

रेलवे के बाद कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने भी उपद्रवियों के खिलाफ यूपी योगी मॉडल को अपनाया है. क्षति पूर्ति पाने के लिए तीन महीने के भीतर पीड़ित को याचिका दाखिल करनी होगी. मुकदमे के बाद चार्जशीट के आधार पर अधिकरण वसूली की कार्रवाई करेगा. अधिकरण के गठन के बाद उत्तर प्रदेश में वसूली का काम तेजी से शुरू हो सकेगा. सीएए के हिंसक विरोध के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने उपद्रवियों के खिलाफ पोस्टर लगाकर वसूली की कार्रवाई शुरू की थी. सरकारी संपत्तियों की बड़े पैमाने पर वसूली भी की जा चुकी है. अब निजी संपत्तियों के नुकसान का भी मुआवजा दंगाइयों से लोगों को मिल सकेगा.

लखनऊ और मेरठ में अधिकरण का गठन किया गया है. लखनऊ अधिकरण में 12 मंडलों की वसूली से जुड़ी सुनवाई की जाएगी. वहीं मेरठ अधिकरण में छह मंडलों से जुड़े प्रकरण की सुनवाई होगी.
लखनऊ मंडल के दावा अधिकरण के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत झांसी, कानपुर, चित्रकूट धाम, लखनऊ, अयोध्या, देवीपाटन, प्रयागराज, आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, बस्ती एवं विंध्याचल धाम मंडल की दावा याचिकाएं स्वीकार की जाएंगी. वहीं मेरठ मंडल के दावा अधिकरण के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, मुरादाबाद, बरेली, आगरा मंडल की दावा याचिकाओं का विचार किया जाएगा.

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली नियमावली 2020 के प्रावधान के अनुसार लखनऊ एवं मेरठ में संपत्ति क्षति दावा अधिकरण का गठन किए जाने की मंजूरी प्रदान कर दी है. अधिकरण की खास बात यह होगी कि उसके फैसले के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकेगी. अधिकरण का फैसला अंतिम होगा. अब प्रदेश में दंगा, प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ में हुई क्षति की वसूली की जा सकेगी.

हड़ताल, बंद, दंगों, लोक अशांति के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर हिंसात्मक कार्यों को करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होगी. इसके फलस्वरूप लोक तथा निजी संपत्ति की क्षति की वसूली के लिए दावा अधिकरण के गठन का प्रावधान उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020 में किया गया है.

देश का पहला संपत्ति क्षति दावा अधिकरण उत्तर प्रदेश में बना है. उपद्रवियों और दंगाइयों के खिलाफ योगी मॉडल देशभर में हिट हुआ है. योगी सरकार के वसूली ट्रिब्यूनल में एक चेयरमैन और एक सदस्य होंगे. अधिकरण में सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां विद्यमान होंगी. टिब्यूनल का निर्णय अंतिम होगा. अधिकरण के फैसले के विरुद्ध कहीं अपील नहीं की जा सकेगी.

सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश अधिकरण के अध्यक्ष होंगे. संबंधित मंडल के अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी इसके सदस्य होंगे. अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा जाएगा. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी चेयरमैन का चयन करेगी. इस कमेटी में अपर मुख्य सचिव गृह एवं प्रमुख सचिव न्याय सदस्य होंगे. दावा अधिकरण के अध्यक्ष की नियुक्ति पांच वर्ष की अवधि अथवा 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो तक के लिए की जाएगी.

दावा अधिकरण के कार्यालय में दावा आयुक्त एवं उप दावा आयुक्त की नियुक्ति अपर मुख्य सचिव गृह द्वारा की जाएगी. दावा आयुक्त के रूप में राज्य प्रशासनिक सेवा या राज्य अभियोजन सेवा का राजपत्रित अधिकारी होगा. दावा अधिकरण को उसके संचालन के लिए किसी अन्य आवश्यक कर्मचारी वर्ग विशेष रूप से विधिक सलाहकारों की सेवाएं अपर मुख्य सचिव गृह द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी.

रेलवे के बाद कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने भी उपद्रवियों के खिलाफ यूपी योगी मॉडल को अपनाया है. क्षति पूर्ति पाने के लिए तीन महीने के भीतर पीड़ित को याचिका दाखिल करनी होगी. मुकदमे के बाद चार्जशीट के आधार पर अधिकरण वसूली की कार्रवाई करेगा. अधिकरण के गठन के बाद उत्तर प्रदेश में वसूली का काम तेजी से शुरू हो सकेगा. सीएए के हिंसक विरोध के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने उपद्रवियों के खिलाफ पोस्टर लगाकर वसूली की कार्रवाई शुरू की थी. सरकारी संपत्तियों की बड़े पैमाने पर वसूली भी की जा चुकी है. अब निजी संपत्तियों के नुकसान का भी मुआवजा दंगाइयों से लोगों को मिल सकेगा.

लखनऊ और मेरठ में अधिकरण का गठन किया गया है. लखनऊ अधिकरण में 12 मंडलों की वसूली से जुड़ी सुनवाई की जाएगी. वहीं मेरठ अधिकरण में छह मंडलों से जुड़े प्रकरण की सुनवाई होगी.
लखनऊ मंडल के दावा अधिकरण के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत झांसी, कानपुर, चित्रकूट धाम, लखनऊ, अयोध्या, देवीपाटन, प्रयागराज, आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, बस्ती एवं विंध्याचल धाम मंडल की दावा याचिकाएं स्वीकार की जाएंगी. वहीं मेरठ मंडल के दावा अधिकरण के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, मुरादाबाद, बरेली, आगरा मंडल की दावा याचिकाओं का विचार किया जाएगा.

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