ETV Bharat / state

हिन्दू-मुसलमान को जोड़ने वाले थे कल्बे सादिक, दुनिया भर में इनके चाहने वाले

author img

By

Published : Nov 25, 2020, 12:19 PM IST

हिन्दू-मुस्लिम एकता के अलंबरदार मौलाना कल्बे सादिक का मंगलवार की रात इंतकाल हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. वे विदेशों में मजलिस पढ़ाने वाले देश के पहले मौलाना भी थे. लिहाजा दुनिया के तमाम देशों में उनके चाहने वाले हैं.

kalbe sadiq
kalbe sadiq

लखनऊ: हिन्दू-मुस्लिम एकता के अलम्बरदार और शिया-सुन्नी इत्तिहाद की बात करने वाले वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक़ अब इस दुनिया में नहीं रहे. डॉक्टर कल्बे सादिक़ ने लम्बी बीमारी के बाद मंगलवार रात इस दुनिया को अलविदा कह दिया. मौलाना दीन के साथ आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने वालों में बड़ा नाम माने जाते हैं. मौलाना कल्बे सादिक़ ने चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया और यूनिटी स्कूल, कॉलेज, एरा यूनिवर्सिटी के जरिए छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा आगे बढ़ाने की कोशिश की.

etv bharat
हिन्दू-मुस्लिम एकता के अलंबरदार मौलाना कल्बे सादिक का मंगलवार की रात इंतकाल हो गया.

मौलाना कल्बे सादिक़ ने 81 वर्ष की उम्र में कई गम्भीर बीमारियों के चलते मंगलवार को अलविदा कह दिया. मौलाना राजधानी लखनऊ के एरा अस्पताल के ICU में एक हफ्ते से भर्ती थे, जहां रात 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. मौलाना के निधन पर राजनीतिक, समाजिक हस्तियों ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात करते थे

22 जून 1939 को जन्मे कल्बे सादिक़ ने सर्वधर्म समभाव की रीत पर चलते हुए सभी मज़हबों की इज़्ज़त और उनके कार्यक्रमों में शरीक होकर एकता की आवाज़ बुलंद की. देश के सबसे विवादित मुद्दे राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर उन्होंने कहा कि अगर फैसला मुस्लिम पक्ष में भी आ जाये तो वह जगह हिंदुओं को दे देनी चाहिए, जिससे दोनों धर्मों के बीच आपसी सुलह कायम रहे. तीन तलाक पर बन रहे कानून पर जहां AIMPLB विरोध में था, वहीं मौलाना कल्बे सादिक ने तीन तलाक का व्यक्तिगत विरोध किया.

एक महीने पहले बता देते थे ईद की तारीख़

अमूमन चांद कमिटियां रमज़ान और ईद की तारीख एक दिन पहले चांद देखकर बताती हैं, लेकिन मौलाना कल्बे सादिक़ एक महीने पहले ही रमज़ान और ईद की तारीख का एलान कर दिया करते थे. मौलाना कल्बे सादिक़ खगोलशास्त्र (एस्ट्रोनॉमी) के ज़रिए चांद निकलने से पहले ही चांद निकलने की घोषणा कर देते थे.

विदेशों में भी हैं मौलाना के चाहने वाले

मौलाना कल्बे सादिक़ वैसे तो अज़ादारी का मरकज़ कहे जाने वाले लखनऊ से ताल्लुक रखते थे, लेकिन वह विदेशों में मजलिस पढ़ाने वाले पहले मौलाना भी थे. वर्ष 1969 में उन्होंने विदेश जा कर पहली बार मोहर्रम के मौके पर मजलिस कराई, जिससे दूसरे मुल्कों में भी उनके चाहने वाले बढ़ते चले गए. मौलाना लंदन, कनाडा, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, जर्मनी जैसे तक़रीबन एक दर्जन मुल्कों में जाकर अज़ादारी की और मोहर्रम के मौके पर मजलिसें पढ़ाईं.

लखनऊ: हिन्दू-मुस्लिम एकता के अलम्बरदार और शिया-सुन्नी इत्तिहाद की बात करने वाले वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक़ अब इस दुनिया में नहीं रहे. डॉक्टर कल्बे सादिक़ ने लम्बी बीमारी के बाद मंगलवार रात इस दुनिया को अलविदा कह दिया. मौलाना दीन के साथ आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने वालों में बड़ा नाम माने जाते हैं. मौलाना कल्बे सादिक़ ने चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया और यूनिटी स्कूल, कॉलेज, एरा यूनिवर्सिटी के जरिए छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा आगे बढ़ाने की कोशिश की.

etv bharat
हिन्दू-मुस्लिम एकता के अलंबरदार मौलाना कल्बे सादिक का मंगलवार की रात इंतकाल हो गया.

मौलाना कल्बे सादिक़ ने 81 वर्ष की उम्र में कई गम्भीर बीमारियों के चलते मंगलवार को अलविदा कह दिया. मौलाना राजधानी लखनऊ के एरा अस्पताल के ICU में एक हफ्ते से भर्ती थे, जहां रात 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. मौलाना के निधन पर राजनीतिक, समाजिक हस्तियों ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात करते थे

22 जून 1939 को जन्मे कल्बे सादिक़ ने सर्वधर्म समभाव की रीत पर चलते हुए सभी मज़हबों की इज़्ज़त और उनके कार्यक्रमों में शरीक होकर एकता की आवाज़ बुलंद की. देश के सबसे विवादित मुद्दे राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर उन्होंने कहा कि अगर फैसला मुस्लिम पक्ष में भी आ जाये तो वह जगह हिंदुओं को दे देनी चाहिए, जिससे दोनों धर्मों के बीच आपसी सुलह कायम रहे. तीन तलाक पर बन रहे कानून पर जहां AIMPLB विरोध में था, वहीं मौलाना कल्बे सादिक ने तीन तलाक का व्यक्तिगत विरोध किया.

एक महीने पहले बता देते थे ईद की तारीख़

अमूमन चांद कमिटियां रमज़ान और ईद की तारीख एक दिन पहले चांद देखकर बताती हैं, लेकिन मौलाना कल्बे सादिक़ एक महीने पहले ही रमज़ान और ईद की तारीख का एलान कर दिया करते थे. मौलाना कल्बे सादिक़ खगोलशास्त्र (एस्ट्रोनॉमी) के ज़रिए चांद निकलने से पहले ही चांद निकलने की घोषणा कर देते थे.

विदेशों में भी हैं मौलाना के चाहने वाले

मौलाना कल्बे सादिक़ वैसे तो अज़ादारी का मरकज़ कहे जाने वाले लखनऊ से ताल्लुक रखते थे, लेकिन वह विदेशों में मजलिस पढ़ाने वाले पहले मौलाना भी थे. वर्ष 1969 में उन्होंने विदेश जा कर पहली बार मोहर्रम के मौके पर मजलिस कराई, जिससे दूसरे मुल्कों में भी उनके चाहने वाले बढ़ते चले गए. मौलाना लंदन, कनाडा, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, जर्मनी जैसे तक़रीबन एक दर्जन मुल्कों में जाकर अज़ादारी की और मोहर्रम के मौके पर मजलिसें पढ़ाईं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.