लखनऊः यूपी बजट पर प्रोफेसर यशवीर त्यागी ने समीक्षा करते हुए कहा कि आशा के अनुरूप बजट में किसान और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर फोकस किया गया है. राजनीतिक संदेश के साथ इसका आर्थिक औचित्य भी है. कृषि और ग्रामीण अर्थ व्ययवस्था के मजबूत हुए बिना प्रदेश का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता. 2022 तक किसानों की आय को दो गुना करने का संकल्प वित्त मंत्री ने पुनः इस बजट मे दोहराया है.
बजट में दिखाई पड़ता है समग्र दृष्टिकोण
प्रोफेसर ने कहा कि बजट में कृषि और ग्रामीण विकास का एक समग्र दृष्टिकोण दिखाई पडता है. कृषि से संबंधित हर पहलू पर ध्यान दिया गया है. एक नई 'आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना' प्रस्तावित है. इसके अंतर्गत 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. कृषि से जुड़े अन्य संवर्गों- दूध उत्पादन, पशु पालन, मत्स्य, सोलर पंपों की व्यवस्था, बीज, खाद, मार्केटिंग आदि पर भी समुचित राशि का प्रावधान है.
किसानों को मिलेगा मुफ्त पानी
किसानों को मुफ्त पानी देने हेतु 700 करोड़ रुपये की व्ययवस्था की गई है. इसके अतिरिक्त 8 नहर परियोजनाओं के लिए 3098 करोड़ रुपये दिए गए हैं. रियायती दरों पर फसली ऋणों दिए जाने के लिए भी 400 करोड़ रुपये रखे गए हैं. कृषि अर्थव्यवस्था में गोवंश की एक प्रमुख भूमिका है. योगी सरकार गोवंश संरक्षण के प्रति समर्पित है. इस बजट में भी इस मद में समुचित राशि दी गई है.
जीएसडीपी में कृषि का योगदान 25 प्रतिशत
उत्तर प्रदेश की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में यद्यपि कृषि और संबंधित क्षेत्रों का योगदान मात्र 25% है. परंतु राज्य की बहुसंख्यक आबादी कृषि से ही अपनी जीविका उपार्जन करती है. अतः समावेशी विकास के लिए कृषि को बजट मे प्राथमिकता दिया जाना एक प्रशंसा के योग्य है. कोरोना महामारी के मध्य भी जब अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में विकास दर शून्य अथवा ऋणात्मक हो गई कृषि क्षेत्र में ही विकास दर 3-4% रही.
अतः बजट में किसानों और खेतीबाड़ी को प्रमुखता देकर वित्त मंत्री ने प्रदेश के मेहनती किसानों का एक प्रकार से अभिनंदन किया है. बजट में कृषि को आधुनिक और साइंटिफिक बनाने का प्रयास दिखाई देता है. ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने से भी कृषि विकास में सहायता मिलेगी. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि बजट किसानों को स्वालंबी, समृद्ध और उत्तर प्रदेश को आत्म निर्भर बनाने की ओर अग्रसर करेगा.