लखनऊ: प्रियंका गांधी ने आज कांग्रेस की तरफ से मनाए जा रहे बेरोजगारी दिवस के अवसर पर युवा बेरोजगारों से संवाद स्थापित किया. इस दौरान प्रियंका गांधी ने संविदा के मुद्दे पर भी युवाओं की राय ली. उन्होंने युवाओं को आश्वस्त किया कि हम सरकार में आते ही ऐसी नीति लाएंगे, जिसमें संविदा नहीं सम्मान हो. प्रियंका गांधी ने कहा कि वे इस काले कानून के खिलाफ सड़कों पर भी आवाज उठाएंगी. प्रियंका से बात कर युवा फफक-फफक कर रोने लगे. तमाम युवाओं ने अपनी बात प्रियंका के सामने रखी. प्रियंका ने वादा किया कि कांग्रेस का हाथ उनके साथ है.
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प्रियंका गांधी ने 2016 के 12,460 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बातचीत की. ये बातचीत प्रियंका गांधी द्वारा हाल ही में शुरू किए गए युवाओं के साथ रोजगार पर संवाद का हिस्सा है. प्रियंका ने कहा कि मेरा मानना है कि युवाओं की बात सुननी पड़ेगी. उनके मुद्दों के लिए हमें सड़क से लेकर सदन तक लड़ना होगा. कांग्रेस इसमें पीछे नहीं हटने वाली. 2016 में 12,460 शिक्षक भर्ती में शून्य जनपद के अभ्यर्थी अब तक नियुक्ति से वंचित हैं. इस शिक्षक भर्ती विज्ञापन में 51 जिलों में पद थे, लेकिन 24 जिलों में पद शून्य थे. पिछले तीन साल से शून्य जनपद वाले अभ्यर्थी कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रियंका गांधी ने अभ्यर्थियों की व्यथा सुनी. कांग्रेस के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रियंका के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में व्यथा सुनाते कई अभ्यर्थी रो पड़े.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में एक महिला अभ्यर्थी ने प्रियंका गांधी से बातचीत में बताया कि जब 2016 में उन्होंने परीक्षा दी थी. चयन के बाद बहुत खुश थीं, लेकिन आज तक नियुक्ति नहीं हुई. उनके पास दो छोटे-छोटे जुड़वा बच्चे हैं, उनकी चिंता रहती है. वे नौकरी न मिलने पर लगभग दो साल तक अवसाद में थीं. कई दिनों तक वे सोफे पर पड़ी रहती थीं. उनके बच्चे भूखे प्यासे रहने को मजबूर थे. अपनी बातों को रखते हुए उन्होंने कहा कि अब घर की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. अपने बच्चों पर 10 रुपया खर्च करने के लिए 10 बार सोचना पड़ता है.
प्राइवेट नौकरी भी गई, खाने को मोहताज है परिवार
एक अन्य अभ्यर्थी ने कहा कि बड़ी ही मेहनत से उसने पढ़ाई की है. सोचा था कि परिवार वालों की मदद कर पाऊंगा, लेकिन तीन साल से धक्के खा रहा हूं. बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम शुरू किया था. अब कोरोना काल में वह भी बंद है. घर का एक सदस्य प्राइवेट नौकरी करता है. उनकी भी नौकरी छूट चुकी है. घर में सुबह-शाम के खाने की चिंता होने लगी है.
शादी टूट गई, बन गए उपहास के पात्र
दो अन्य अभ्यर्थियों ने अपना दर्द साझा करते हुए प्रियंका गांधी से कहा कि नौकरी न मिलने से उनकी शादी टूट गई. वे अब सामाजिक उपहास के पात्र बन गए हैं. एक अभ्यर्थी ने भावुक होते हुए कहा कि आखिर हमारी गलती क्या है. हम योग्य हैं. परीक्षा में बेहतर नंबर लाये हैं, लेकिन सरकार रोज-रोज अपना नियम बदलती है.
प्रियंका ने किया हर संभव मदद का वादा
प्रियंका गांधी ने बेहद गम्भीरतापूर्वक अभ्यर्थियों की बातों को सुना. उन्होंने वादा किया कि वे हर सम्भव मदद करेंगी. उन्होंने बातचीत में कहा कि यह हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का मसला है. यह न्याय का सवाल है. पांच साल संविदा के कानून को काला कानून बताते हुए कहा कि हम ऐसी नीति लाएंगे, जिसमें युवाओं का अपमान करने वाला संविदा कानून नहीं बल्कि सम्मान का कानून हो.