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फिर बजे अमेठी, रायबरेली में कांग्रेस का डंका, सीटों को लेकर फिक्रमंद हैं प्रियंका - कांग्रेस पार्टी

अमेठी और रायबरेली कांग्रेस पार्टी की पारंपरिक सीट रही है. यहां से कांग्रेस पार्टी का शुरुआत से ही पारिवारिक रिश्ता रहा है. अमेठी और रायबरेली की जनता ने कांग्रेस पार्टी पर ढेर सारा प्यार भी न्यौछावर किया है, लेकिन पिछले कुछ सालों से अमेठी की जनता कांग्रेस परिवार से रूठ गई है. यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी जो विधानसभा से लेकर लोकसभा तक हार के बारे में सपने में भी नहीं सोचती थी, अब उसे यहां की जनता ब्लॉक प्रमुख तक का चुनाव जिताने में दिलचस्पी नहीं दिखाती है.

प्रियंका गांधी.
प्रियंका गांधी.
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Published : Jul 18, 2021, 2:20 PM IST

लखनऊः रायबरेली और अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा है. ऐसे में पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी चाहती हैं कि इन दोनों क्षेत्रों में फिर से कांग्रेस का डंका बजे. इसके लिए वे काफी फिक्रमंद हैं. उनकी गंभीरता का अंदाजा भी इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी की राजधानी लखनऊ में अपने तीन दिन के प्रवास के दौरान उन्होंने एक बैठक सिर्फ अमेठी और रायबरेली के जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ की. जिसमें उन्होंने इन क्षेत्रों में कमजोर होती कांग्रेस पार्टी की स्थिति को जमीनी स्तर पर जानने का प्रयास किया. साथ ही जिला और ब्लॉक अध्यक्षों से वचन लिया कि हर हाल में अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ फिर से बनाएंगे. प्रियंका गांधी से बात करने के बाद अमेठी के जिला अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष ने 'ईटीवी भारत' से बातचीत में बताया कि प्रियंका ने उनसे क्या संकल्प लिया है और उन्होंने क्या वादा किया है.

राहुल हारे थे चुनाव इसलिए प्रियंका को अमेठी की चिंता

अमेठी को लेकर प्रियंका की कुछ ज्यादा ही चिंता सता रही है. वजह है कि पार्टी के युवराज और उनके भाई राहुल गांधी 2019 में कांग्रेस की परम्परागत अमेठी लोकसभा सीट हार गए थे, इसके बाद उन्होंने साउथ इंडिया की शरण ले ली थी, जबकि रायबरेली पर अभी उनकी मां सोनिया गांधी ने कांग्रेस का जलवा बरकरार रखा है. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में इन दोनों क्षेत्रों में पार्टी की जमीन खिसक चुकी है. अभी हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में ब्लॉक प्रमुख भी कांग्रेस पार्टी नहीं बना पाई. इतना ही नहीं रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष भी कांग्रेस का न बचा. पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि कम से कम सोनिया गांधी ने रायबरेली संसदीय सीट जीतकर कांग्रेस का जो सम्मान बचा रखा था. सबसे खास बात है कि जिन संगठनों के पदाधिकारियों से प्रियंका गांधी ने मुलाकात की उन्हें इतना समय नहीं दिया, जितना कि अमेठी और रायबरेली से आए जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ विचार-विमर्श में प्रियंका तल्लीन रहीं.

अमेठी और रायबरेली की सीटों पर कांग्रेस की नजर.

2017 में यह रहा था सीटों का परफॉर्मेंस

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में राहुल की अमेठी लोकसभा से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था. पार्टी इस संसदीय सीट के तहत आने वाली सभी विधानसभा सीटें अमेठी, तिलोई, जगदीशपुर, गौरीगंज और सलोन हार गई. इतना ही नहीं कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी की रायबरेली लोकसभा सीट की पांच विधानसभा सीटों में से रायबरेली और हरचंदपुर सीट ही कांग्रेस बचाने में कामयाब रही थी. सरेनी, बछरावां और ऊंचाहार सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल गई थी. राहुल के अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस जगदीशपुर, गौरीगंज और सलोन में दूसरे नंबर पर रही थी, जबकि तिलोई में तीसरे और खुद अमेठी में चौथे स्थान पर रही थी. सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस बछरावां सीट पर दूसरे, सरेनी में तीसरे और ऊंचाहार में चौथे स्थान पर खिसक गई.

कांग्रेस कार्यालय पर जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ हुई बैठक.
बैठक के दौरान प्रियंका गांधी.

इसे भी पढ़ें- पूरे पंचायत चुनाव से दूर रही कांग्रेस, प्रियंका काट गईं सपा के मेहनत की फसल

अमेठी में रहा था भाजपा का जलवा

अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की गरिमा सिंह ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गायत्री प्रसाद प्रजापति को हराया था. कांग्रेस की उम्मीदवार और वरिष्ठ नेता संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह चौथे नंबर पर रहीं थीं. अब अमेठी से संजय सिंह और उनकी पत्नी अमिता सिंह भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा के साथ हो लिए हैं. इस सीट पर बसपा का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा था.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

अमेठी से ब्लॉक अध्यक्ष अखिलेश शुक्ला का कहना है कि प्रियंका गांधी ने ब्लॉक अध्यक्षों से कहा कि अमेठी मेरा शुरू से घर रहा है और आज भी अमेठी मेरा घर है. जो लगाव मेरा पहले था, वह लगाव आज भी है जो टिकट फाइनल किए जाएंगे. वह ब्लॉक अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की सहमति से किए जाएंगे. क्योंकि सारी जिम्मेदारी ब्लॉक अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष की होती है. उस पर यह न हो कि हमसे कोई राय नहीं ली गई तो सारी जिम्मेदारी हम लोगों को दे दी है. हमने राय दी है कि छह माह में एक बार अमेठी आइए. वहां निवास करिए. आप ब्लॉक जाइए संगठन के बीच जाइए, जिससे कार्यकर्ताओं में नई संचार ऊर्जा का संचार होगा. हमने प्रियंका गांधी से वादा किया है कि हम पांचों विधानसभा सीटें हर हाल में जिताएंगे. राहुल गांधी को फिर से अमेठी वापस दिलाएंगे.

कांग्रेस कार्यालय पर जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ हुई बैठक.
कांग्रेस कार्यालय पर जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ हुई बैठक.

इसे भी पढ़ें- तीन दिवसीय यूपी दौरे के बाद दिल्ली लौटीं प्रियंका गांधी, कहा- अगस्त से उत्तर प्रदेश में करूंगी कैंप

अमेठी के जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंघल कहते हैं कि प्रियंका गांधी और गांधी परिवार का अमेठी परिवार रहा है. सीट से कोई लेना-देना नहीं है. वे कहीं से चुनाव लड़ेंगे और जीत जाएंगे. अमेठी गांधी परिवार का 30-40 सालों से गढ़ रहा है और आगे भी होगा. पिछला चुनाव उसमें शासन-प्रशासन ने दबंगई से राहुल को हराने का काम किया है. वहां की जनता ने चार लाख से ज्यादा वोट दिए हैं. वह वोट कम नहीं हैं. जो भी व्यवस्था सरकार की थी, उसने हर तरफ से कांग्रेस का नुकसान किया है. प्रियंका गांधी ने कहा है कि जो अमेठी है. वह हमारा घर है, परिवार है. वहां सब लोगों की जो भी मदद हो आप लोग करिए. मैंने प्रियंका गांधी को विश्वास दिलाया है कि अमेठी की पांचों सीटें 2022 में जीत कर दी जाएंगी. वादा पूरा करके दिखाएंगे.

लखनऊः रायबरेली और अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा है. ऐसे में पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी चाहती हैं कि इन दोनों क्षेत्रों में फिर से कांग्रेस का डंका बजे. इसके लिए वे काफी फिक्रमंद हैं. उनकी गंभीरता का अंदाजा भी इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी की राजधानी लखनऊ में अपने तीन दिन के प्रवास के दौरान उन्होंने एक बैठक सिर्फ अमेठी और रायबरेली के जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ की. जिसमें उन्होंने इन क्षेत्रों में कमजोर होती कांग्रेस पार्टी की स्थिति को जमीनी स्तर पर जानने का प्रयास किया. साथ ही जिला और ब्लॉक अध्यक्षों से वचन लिया कि हर हाल में अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ फिर से बनाएंगे. प्रियंका गांधी से बात करने के बाद अमेठी के जिला अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष ने 'ईटीवी भारत' से बातचीत में बताया कि प्रियंका ने उनसे क्या संकल्प लिया है और उन्होंने क्या वादा किया है.

राहुल हारे थे चुनाव इसलिए प्रियंका को अमेठी की चिंता

अमेठी को लेकर प्रियंका की कुछ ज्यादा ही चिंता सता रही है. वजह है कि पार्टी के युवराज और उनके भाई राहुल गांधी 2019 में कांग्रेस की परम्परागत अमेठी लोकसभा सीट हार गए थे, इसके बाद उन्होंने साउथ इंडिया की शरण ले ली थी, जबकि रायबरेली पर अभी उनकी मां सोनिया गांधी ने कांग्रेस का जलवा बरकरार रखा है. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में इन दोनों क्षेत्रों में पार्टी की जमीन खिसक चुकी है. अभी हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में ब्लॉक प्रमुख भी कांग्रेस पार्टी नहीं बना पाई. इतना ही नहीं रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष भी कांग्रेस का न बचा. पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि कम से कम सोनिया गांधी ने रायबरेली संसदीय सीट जीतकर कांग्रेस का जो सम्मान बचा रखा था. सबसे खास बात है कि जिन संगठनों के पदाधिकारियों से प्रियंका गांधी ने मुलाकात की उन्हें इतना समय नहीं दिया, जितना कि अमेठी और रायबरेली से आए जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ विचार-विमर्श में प्रियंका तल्लीन रहीं.

अमेठी और रायबरेली की सीटों पर कांग्रेस की नजर.

2017 में यह रहा था सीटों का परफॉर्मेंस

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में राहुल की अमेठी लोकसभा से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था. पार्टी इस संसदीय सीट के तहत आने वाली सभी विधानसभा सीटें अमेठी, तिलोई, जगदीशपुर, गौरीगंज और सलोन हार गई. इतना ही नहीं कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी की रायबरेली लोकसभा सीट की पांच विधानसभा सीटों में से रायबरेली और हरचंदपुर सीट ही कांग्रेस बचाने में कामयाब रही थी. सरेनी, बछरावां और ऊंचाहार सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल गई थी. राहुल के अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस जगदीशपुर, गौरीगंज और सलोन में दूसरे नंबर पर रही थी, जबकि तिलोई में तीसरे और खुद अमेठी में चौथे स्थान पर रही थी. सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस बछरावां सीट पर दूसरे, सरेनी में तीसरे और ऊंचाहार में चौथे स्थान पर खिसक गई.

कांग्रेस कार्यालय पर जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ हुई बैठक.
बैठक के दौरान प्रियंका गांधी.

इसे भी पढ़ें- पूरे पंचायत चुनाव से दूर रही कांग्रेस, प्रियंका काट गईं सपा के मेहनत की फसल

अमेठी में रहा था भाजपा का जलवा

अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की गरिमा सिंह ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गायत्री प्रसाद प्रजापति को हराया था. कांग्रेस की उम्मीदवार और वरिष्ठ नेता संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह चौथे नंबर पर रहीं थीं. अब अमेठी से संजय सिंह और उनकी पत्नी अमिता सिंह भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा के साथ हो लिए हैं. इस सीट पर बसपा का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा था.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

अमेठी से ब्लॉक अध्यक्ष अखिलेश शुक्ला का कहना है कि प्रियंका गांधी ने ब्लॉक अध्यक्षों से कहा कि अमेठी मेरा शुरू से घर रहा है और आज भी अमेठी मेरा घर है. जो लगाव मेरा पहले था, वह लगाव आज भी है जो टिकट फाइनल किए जाएंगे. वह ब्लॉक अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की सहमति से किए जाएंगे. क्योंकि सारी जिम्मेदारी ब्लॉक अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष की होती है. उस पर यह न हो कि हमसे कोई राय नहीं ली गई तो सारी जिम्मेदारी हम लोगों को दे दी है. हमने राय दी है कि छह माह में एक बार अमेठी आइए. वहां निवास करिए. आप ब्लॉक जाइए संगठन के बीच जाइए, जिससे कार्यकर्ताओं में नई संचार ऊर्जा का संचार होगा. हमने प्रियंका गांधी से वादा किया है कि हम पांचों विधानसभा सीटें हर हाल में जिताएंगे. राहुल गांधी को फिर से अमेठी वापस दिलाएंगे.

कांग्रेस कार्यालय पर जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ हुई बैठक.
कांग्रेस कार्यालय पर जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ हुई बैठक.

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अमेठी के जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंघल कहते हैं कि प्रियंका गांधी और गांधी परिवार का अमेठी परिवार रहा है. सीट से कोई लेना-देना नहीं है. वे कहीं से चुनाव लड़ेंगे और जीत जाएंगे. अमेठी गांधी परिवार का 30-40 सालों से गढ़ रहा है और आगे भी होगा. पिछला चुनाव उसमें शासन-प्रशासन ने दबंगई से राहुल को हराने का काम किया है. वहां की जनता ने चार लाख से ज्यादा वोट दिए हैं. वह वोट कम नहीं हैं. जो भी व्यवस्था सरकार की थी, उसने हर तरफ से कांग्रेस का नुकसान किया है. प्रियंका गांधी ने कहा है कि जो अमेठी है. वह हमारा घर है, परिवार है. वहां सब लोगों की जो भी मदद हो आप लोग करिए. मैंने प्रियंका गांधी को विश्वास दिलाया है कि अमेठी की पांचों सीटें 2022 में जीत कर दी जाएंगी. वादा पूरा करके दिखाएंगे.

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