लखनऊः उत्तर प्रदेश के कारागार एवं होमगार्ड राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने 'ईटीवी भारत' से एक्सक्लूसिव बातचीत में विस्तार से अपनी बात रखी. पुलिस का जनता के प्रति जो रवैया है उसके बारे में बताया. जेलों में क्या सुधार करने वाले हैं इसकी जानकारी दी. साथ ही नाम बदलने के सरकार पर जो आरोप लगते हैं उसके बारे में भी अपनी बात रखी. कहा कि पुलिस के पास बुलडोजर एक अतिरिक्त हथियार हो गया है.
सवाल: 100 दिन में अपने विभाग को दुरुस्त करने के लिए आपकी क्या योजना है?
जवाब: कई कार्य तो हम कर चुके हैं. अगर हम कारागार विभाग की बात करें तो 136 कैदी जो पैसे के अभाव में बंद थे हम उन्हें रिहा कर चुके हैं. एक निर्देश हमने दिया है कि कारागार में जो बंद कैदी हैं उनसे मिलने उनके जो परिजन आते हैं उनको कारागार के बाहर बैठने की समुचित व्यवस्था हो, पीने के पानी की व्यवस्था हो. मेरा जब जिला कासगंज कारागार जाना हुआ तो मैंने देखा कुछ महिला कैदी थीं. उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे थे तो मैंने निर्देश दिया है कि उत्तर प्रदेश में कितनी ऐसी महिला कैदी हैं जिनके साथ बच्चे हैं. हमें उन बच्चों के भविष्य के विषय में भी सोचना है.
सूची आ जाए फिर हम विचार करते हैं कि उन बच्चों के लिए हम क्या कर सकते हैं. यह हमने अपने दिमाग में सोच लिया है. इसे करने की तैयारी कर रहे हैं. होमगार्ड की बात करें तो होमगार्ड विभाग में जिला कमांडेंट से लेकर ऊपर के अधिकारियों के ऊपर कोई हथियार नहीं रहता था. सुरक्षा की दृष्टि से अगर कहीं जाते थे तो खाली हाथ रहते थे. मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करके हमने 135 पिस्टल जिला कमांडेंट से ऊपर के अधिकारियों के लिए स्वीकृति दे दी है.
होमगार्ड विभाग के लिए एक बहुत बड़ा काम हुआ है कि 2018 में गृह विभाग ने 25000 अतिरिक्त होमगार्ड मांग लिए थे, जिसका बजट भी गृह विभाग के पास था. फिर पुलिस की भर्ती होने के बाद उनकी आवश्यकता महसूस न होने के कारण यह कहा गया कि अब इनको हम नहीं लेंगे. फिर लगभग तीन से छह महीने से लेकर एक साल तक रिनुअल करते रहे, लेकिन पिछली 30 अप्रैल को उनका रिनुअल खत्म हो गया था. गृह विभाग की इच्छा नहीं थी कि हम इसे करें. हमारे पास बजट की बड़ी समस्या थी.
कासगंज में जैसे ही मुझे जानकारी मिली मैं सुबह सीधे लखनऊ पहुंचा और पूरे स्टाफ को बुलाकर बात की. मुख्यमंत्री दिल्ली में थे उनसे फोन के माध्यम से चर्चा की. दोपहर एक बजे तक उनका एक साल के लिए रिनुअल करा दिया. उस दिन अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस था. मुझे बहुत खुशी हुई कि मैं यह कराने में कामयाब रहा. एक शब्द मैंने बोला था कि "मैं मंत्री नहीं एक अभिभावक हूं" उस दिन मैंने अभिभावक की भूमिका निभाई. भोजन एक बजे के बाद किया जब उनका रिनुअल हो गया. मेरे दिमाग में था कि उनका क्या होगा. 25 हजार होमगार्ड हैं तो कम से कम घर में पांच से छह परिजन होते हैं तो लगभग डेढ़ लाख लोगों के लिए बड़ा काम हो गया.
सवाल: निरीक्षण के दौरान जेलों में क्या-क्या खामियां नजर आईं जिन्हें दुरुस्त करने की आवश्यकता महसूस हो रही है?
जवाब: जेल में बैरकों की समस्याएं हैं. कई जिलों में जेलें ही नहीं हैं. दूसरे जिलों में कैदी शिफ्ट होते हैं. जम्मू कश्मीर के कैदी यहां हैं, बाहर से भी कैदी आते हैं. भीड़ जेलों में है. बैरक बढ़ाने का काम हम कर रहे हैं. जिन जिलों में जेलें नहीं हैं. वहां जेल बनाने का प्रयास कर रहे हैं. कई जिलों की स्वीकृति मिल गई है, कई की और मिलने की उम्मीद है. आगरा में अभी हमने एक बैरक का उद्घाटन किया है. ऐसे ही कई बैरक और बनने को तैयार हैं. 100 दिनों में कई बैरक बनकर तैयार हो जाएंगी. यह हमारी प्रक्रिया चल रही है.
सवाल: जेल के अंदर से अपराधियों के तमाम वीडियो बन जाते हैं, फोन पर बात हो जाती है, इन पर कैसे अंकुश लगाएंगे?
जवाब: मुख्यमंत्री के कार्यकाल में पिछले पांच साल में बहुत सुधार हुआ है. होमगार्ड की भर्ती के पैसे सीधे हम खाते में दे रहे हैं. सीसीटीवी कैमरे अब जेलों में लगाए जा रहे हैं. नए कैमरे, अत्याधुनिक कैमरे लगाए जा रहे हैं. अत्याधुनिक जेलें बनाई जाएं इसका प्रयास हमारा है. बेहतर से बेहतर प्रयास करेंगे. हम जिला प्रशासन और जेल प्रशासन और जेल में कैदी सब के साथ संवाद करके जो अच्छा रास्ता हो सकता है एक बेहतर कारागार साबित हो इसके लिए प्रयास करेंगे. कैदी भी संतुष्ट रहें परिजन भी संतुष्ट हों, यह भी प्रयास रहेगा.
सवाल: कारागार में गायत्री मंत्र का आपने फीडबैक लिया, कैदियों पर क्या असर पड़ रहा है?
जवाब: मुझे बड़ी संतुष्टि हुई कि जैसे ही गायत्री मंत्र के लिए कहा गया कि गायत्री मंत्र जेलों में हो. अभी कुछ दिन पहले हमने सभी जेल अधीक्षकों की बैठक बुलाई थी तो मैंने फीडबैक लिया. कई जेल अधीक्षकों ने बताया कि पहले जब हम सुबह कैदियों के बैरक खोलते थे तो हमें जेल पुलिस के लोग लगाने पड़ते थे उनको इकट्ठा करने के लिए, लेकिन गायत्री मंत्र के उच्चारण के बाद देखने को मिला है कि अनुशासन इतना आया है कि बैरक खोलते ही कैदी स्वयं लाइन में लग जाते हैं और मंत्र का उच्चारण करते हैं. छोटी-छोटी बातों में जो वाद-विवाद करते थे वह वाद-विवाद भी बंद हो गया है. उनकी सोच सकारात्मक हो गई है. कई बंदियों से बात की गई है तो सकारात्मक परिणाम आया है. कैदी कहते हैं कि हमें तनाव से मुक्ति मिली है. हमें शांति मिली है. दो तरह के कैदी होते हैं एक पेशेवर कैदी होता है उसके लिए कोई छूट नहीं, लेकिन किसी के साथ कोई आकस्मिक घटना घट जाती है और वह कैदी बन जाता है उसके साथ मानवीय व्यवहार रहे, यह मेरा लक्ष्य रहेगा. जेल अधीक्षकों को मैंने ऐसे कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार करने का निर्देश दिया है.
सवाल: क्या अब बुलडोजर भी पुलिस के लिए एक अतिरिक्त हथियार बन गया है?
जवाब: पुलिस के लिए भी है और उन लोगों के लिए है जो कानून व्यवस्था को खराब करते हैं. उनको बीच बुल्डोजर से एक भय का वातावरण बना है. उन्हें महसूस हुआ है कि अगर हम हाजिर नहीं होंगे तो हमारा घर गिर जाएगा या कहीं अवैध कब्जा किया है तो वह चला जाएगा. फिर हमें पैसा जमा करना भी पड़ेगा. तो एक भय पैदा हुआ है और मैं मानता हूं यह बहुत अच्छी चीज है. इससे क्राइम में कमी आई है. लोगों में डर पैदा हुआ है कि अब वसूली हो जाएगी. हम समझते हैं कि यह बहुत अच्छी चीज है. इसका आमजन में प्रभाव पड़ा है. जब हम चुनाव में गए तो आमजन में चर्चा का विषय रहा है कि बाबा का बुलडोजर है. यह आम जन में चर्चा थी कि बाबा के बुलडोजर से हम लोग स्वतंत्र हैं.
सवाल: पुलिसकर्मी कोई क्राइम करे तो पुलिस उसे क्यों नहीं खोज पाती है?
जवाब: कानून व्यवस्था तो सबके लिए है चाहे वह आम आदमी हो चाहे वह अधिकारी या कर्मचारी हो. न्याय प्रक्रिया के तहत सबको पालन करना पड़ेगा और न्यायपालिका का आदेश सबको मानना पड़ेगा. मेरा अपना मानना है कि हर आरोप जांच का विषय होता है. मेरे खिलाफ भी कोई आरोप लगाए तो न्यायपालिका से जांच होगी तो जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई जरूर होगी. योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में दोषियों पर कार्रवाई होती है और आगे भी होती रहेगी.
सवाल: विपक्षी दल के नेता भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हैं विशेष समुदाय के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई होती है?
जवाब: ओमप्रकाश राजभर हमारी पिछली सरकार में सहभागी रहे हैं. पहले पांच साल हमारी सरकार चल चुकी है. कांवड़ यात्रा नई नहीं है. पहले भी निकली है पुष्प वर्षा हुई है. कांवड़ यात्रियों का सबने सम्मान किया है. आरोप लगाने का ही विपक्ष के पास काम बचा है. मेरा अपना मानना है कि अल्पसंख्यक समुदाय को ही सबसे ज्यादा आवास मिले, सबसे ज्यादा शौचालय उन्हें मिले. राशन की व्यवस्था उनके लिए की गई. केंद्र सरकार की सभी योजनाएं उनके लिए भी आईं. सबसे ज्यादा लाभ उन्हीं ने लिया. हमने कोई भेदभाव नहीं किया. विपक्ष के पास कुछ कहने सुनने के लिए बचा नहीं. उत्तर प्रदेश की जनता ने यह संदेश दिया कि पांच साल सरकार रहने के बाद किसी की सत्ता में वापसी नहीं होती लेकिन हमारी सरकार की वापसी हुई है. हमने जनता का विश्वास जीता है. यह पांच साल पिछले कार्यकाल से और भी ज्यादा बेहतर होगा. विपक्ष के लिए कुछ बचने ही नहीं देंगे। हम उनके आरोपों को गंभीरता से लेते ही नहीं.
सवाल: इस सरकार को नाम बदलने में विश्वास है, काम करने में विश्वास नहीं, ऐसे आरोपों पर क्या कहेंगे?
जवाब: उत्तर प्रदेश की सरकार को जनता ने आशीर्वाद दिया है. एक महीने के अंदर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पूरी सरकार जनता के बीच गई है. विपक्ष ट्वीट के अलावा कहीं दिखाई नहीं दे रहा है. अभी भी ट्वीट ट्वीट ही कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, संगठन और सरकार जनता के हित के लिए जनता के बीच में रहते हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक दिन का विश्राम नहीं लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन का विश्राम नहीं लिया, सभी जनता के हित के लिए काम कर रहे हैं. कभी हमारे महापुरुषों के नाम बदले गए क्या वह ठीक था? अगर जनता मांग करती है तो इसमें बुराई क्या है. जांच के विषय में अगर आता है कि अगर नाम बदलना चाहिए तो उसमें बुराई होनी ही नहीं चाहिए.
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