लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नगर महापालिका ट्रिब्युनल में अध्यक्ष पद खाली रहने के मामले पर सख्त रुख अपनाया है. इस मामले में न्यायालय के आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव नियुक्ति देवेश चतुर्वेदी व प्रमुख सचिव विधि पीके श्रीवास्तव को कोर्ट के समक्ष हाजिर होना पड़ा. इस मामले पर अपर महाधिवक्ता के अनुरोध पर न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 सितंबर तय की है.
न्यायालय ने आदेश दिया है, कि अगली तारीख को भी दोनों अधिकारियों को हाजिर होना होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने चंद्रपाल वर्मा की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है. याचिका पर सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता रमेश कुमार सिंह ने न्यायालय से अनुरोध किया कि सरकार को मामले पर पुनर्विचार के लिए कुछ समय दिया जाए.
इस अनुरोध को न्यायालय ने स्वीकार कर लिया. दायर याचिका में कहा गया है, कि याची का एक मुकदमा ट्रिब्युनल में लंबित है. लेकिन अध्यक्ष का पद खाली होने के कारण उसके मुकदमे की सुनवाई नहीं हो पा रही है.
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि उक्त पद पिछले 2 सालों से अधिक समय से रिक्त हैं. हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी ने आगरा के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार चतुर्थ के नाम की संस्तुति की थी. राज्य सरकार की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक को 26 अगस्त को एक पत्र भेजतेकर सुधीर कुमार चतुर्थ के बजाय कोई अन्य नाम भेजने का अनुरोध किया गया था.
न्यायालय ने कहा कि इस पत्र में सुधीर कुमार चतुर्थ के बजाय कोई अन्य नाम भेजने का कोई कारण भी नहीं दर्शाया गया है. न्यायालय ने मामले में पहले भी तल्ख टिप्पणी की थी. जिसमें कोर्ट ने कहा था कि हम यह समझ पाने में असफल हैं कि जब हाईकोर्ट के द्वारा एक न्यायिक अधिकारी के नाम की उक्त पद के लिए संस्तुति कर दी गई. तब आखिर राज्य सरकार क्यों और किस अधिकार के तहत किसी अन्य नाम की संस्तुति के लिए कह रही है.
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