ETV Bharat / state

लखनऊः सोशल मीडिया पर नजर आएगी अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी - सोशल मीडिया

राजधानी लखनऊ के कैसरबाग में स्थित अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी को सोशल मीडिया पर लाने की तैयारी की जा रही है. इससे यह सुविधा होगी कि लोग ऑनलाइन किताबें पढ़ सकेंगे.

etv bharat
अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी.
author img

By

Published : Jan 22, 2020, 9:23 PM IST

लखनऊः अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी बहुत जल्द सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रही है. ट्विटर और फेसबुक पर लाइब्रेरी के अकाउंट बनाए जाएंगे. इसके साथ-साथ हर रोज एक पोस्ट होगी, जिसमें किसी पुस्तक के अंश और साथ में उसका डिजिटल लिंक भी उपलब्ध होगा. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने इस बात की जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी के तहत यह कार्य किया जा रहा है.

पढ़ सकेंगे डिजिटल संस्करण
कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने बताया कि इससे जिन पाठकों की किसी विषय को और अधिक पढ़ने की इच्छा होगी. वह लिंक के जरिए उसके डिजिटल संस्करण को आसानी से पढ़ सकेंगे.

अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी को बनाया जाएगा डिजिटल.

स्मार्ट सिटी के तहत डिजिटल फॉर्म में आएगी लाइब्रेरी
मुकेश मेश्राम ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी की किताबों को डिजिटल मंच पर लाने का कार्य शुरू हो गया है. इसके लिए कार्यदाई संस्था का चुनाव भी कर लिया गया है. कमिश्नर ने बताया कि लाइब्रेरी को सोशल मीडिया पर भी लाया जाएगा. इससे लाइब्रेरी को बड़ी संख्या में पाठक मिलने की उम्मीद है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: लाइट एंड साउंड शो से रेजीडेंसी में दिखाई जाएगी नवाबों की नगरी की इतिहास

दो लाख से अधिक पांडुलिपियों का है संग्रह
इस लाइब्रेरी में अंग्रेजी, उर्दू, अरबी, बंगाली और संस्कृत में 2 लाख से अधिक किताबें और पांडुलिपि मौजूद हैं. आने वाले समय में पुस्तकालय की पांडुलिपियों और किताबों को सॉफ्टवेयर के जरिए लैपटॉप या मोबाइल पर भी पढ़ा जा सकेगा. इसका पेमेंट मास्टर कार्ड से किया जाएगा.

जानिए लाइब्रेरी का इतिहास
1947 में अवध के ताल्लुकेदार आमिर हसन खान ने इसको यूनाइटेड प्रोविंस (यूपी सरकार) को सौंप दिया था. ताल्लुकेदार आमिर हसन खान के नाम पर इस लाइब्रेरी का नाम पड़ा.

  • 1882 को राज्य संग्रहालय का हिस्सा अमीरुद्दौला लाइब्रेरी को बनाया गया.
  • 1887 में छात्रों के लिए इसको खोला गया.
  • 1907 में लाल बारादरी में इस लाइब्रेरी को ट्रांसफर किया गया.
  • 1910 में इस लाइब्रेरी को छोटा छतर मंजिल में आम लोगों के लिए खोला गया.
  • 1926 में लाइब्रेरी अपने भवन में स्थापित हुई, जिसकी स्थापना 1921 में की गई थी.

लखनऊः अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी बहुत जल्द सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रही है. ट्विटर और फेसबुक पर लाइब्रेरी के अकाउंट बनाए जाएंगे. इसके साथ-साथ हर रोज एक पोस्ट होगी, जिसमें किसी पुस्तक के अंश और साथ में उसका डिजिटल लिंक भी उपलब्ध होगा. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने इस बात की जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी के तहत यह कार्य किया जा रहा है.

पढ़ सकेंगे डिजिटल संस्करण
कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने बताया कि इससे जिन पाठकों की किसी विषय को और अधिक पढ़ने की इच्छा होगी. वह लिंक के जरिए उसके डिजिटल संस्करण को आसानी से पढ़ सकेंगे.

अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी को बनाया जाएगा डिजिटल.

स्मार्ट सिटी के तहत डिजिटल फॉर्म में आएगी लाइब्रेरी
मुकेश मेश्राम ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी की किताबों को डिजिटल मंच पर लाने का कार्य शुरू हो गया है. इसके लिए कार्यदाई संस्था का चुनाव भी कर लिया गया है. कमिश्नर ने बताया कि लाइब्रेरी को सोशल मीडिया पर भी लाया जाएगा. इससे लाइब्रेरी को बड़ी संख्या में पाठक मिलने की उम्मीद है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: लाइट एंड साउंड शो से रेजीडेंसी में दिखाई जाएगी नवाबों की नगरी की इतिहास

दो लाख से अधिक पांडुलिपियों का है संग्रह
इस लाइब्रेरी में अंग्रेजी, उर्दू, अरबी, बंगाली और संस्कृत में 2 लाख से अधिक किताबें और पांडुलिपि मौजूद हैं. आने वाले समय में पुस्तकालय की पांडुलिपियों और किताबों को सॉफ्टवेयर के जरिए लैपटॉप या मोबाइल पर भी पढ़ा जा सकेगा. इसका पेमेंट मास्टर कार्ड से किया जाएगा.

जानिए लाइब्रेरी का इतिहास
1947 में अवध के ताल्लुकेदार आमिर हसन खान ने इसको यूनाइटेड प्रोविंस (यूपी सरकार) को सौंप दिया था. ताल्लुकेदार आमिर हसन खान के नाम पर इस लाइब्रेरी का नाम पड़ा.

  • 1882 को राज्य संग्रहालय का हिस्सा अमीरुद्दौला लाइब्रेरी को बनाया गया.
  • 1887 में छात्रों के लिए इसको खोला गया.
  • 1907 में लाल बारादरी में इस लाइब्रेरी को ट्रांसफर किया गया.
  • 1910 में इस लाइब्रेरी को छोटा छतर मंजिल में आम लोगों के लिए खोला गया.
  • 1926 में लाइब्रेरी अपने भवन में स्थापित हुई, जिसकी स्थापना 1921 में की गई थी.
Intro:लखनऊ। अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी बहुत जल्द सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रही है। ट्विटर फेसबुक पर लाइब्रेरी के अकाउंट बनाए जाएंगे। इसके साथ-साथ हर रोज एक पोस्ट होगी जिसमें किसी पुस्तक के अंश और साथ में उसका डिजिटल लिंक भी उपलब्ध होगा।

ईटीवी भारत से बात करते हुए मुकेश मेश्राम ने इस बात की जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी के तहत यह कार्य किया जा रहा है।


Body:पढ़ सकेंगे डिजिटल संस्करण

कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने बताया इससे जिन पाठकों की उस विषय पर और अधिक पढ़ने की इच्छा होगी वह लिंक के जरिए उसके डिजिटल संस्करण को आसानी से पढ़ सकेंगे।

स्मार्ट सिटी के तहत डिजिटल फॉर्म में आएगी लाइब्रेरी

मुकेश मेश्राम ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी की किताबों को डिजिटल मंच पर लाने का कार्य शुरू हो गया है। इसके लिए कार्यदाई संस्था का चुनाव भी कर लिया गया है। लाइब्रेरी को सोशल मीडिया पर भी लाया जाएगा। इससे लाइब्रेरी को बड़ी संख्या में पाठक मिलने की उम्मीद है।

दो लाख से अधिक किताबें पांडुलिपियां

इस लाइब्रेरी में अंग्रेजी उर्दू अरबी बंगाली और संस्कृत में 200000 से अधिक किताबें और पांडुलिपि मौजूद है। एक बैठक करके इसकी मंजूरी दे दी गई है। आने वाले समय में पुस्तकालय की पांडुलिपियों और किताबों को सॉफ्टवेयर के जरिए लैपटॉप या मोबाइल पर भी पढ़ा जा सकेगा। इसका पेमेंट मास्टर कार्ड से किया जाएगा।

यह है लाइब्रेरी का इतिहास

1882 को राज्य संग्रहालय का हिस्सा अमीरुद्दौला लाइब्रेरी को बनाया गया।

1887 में छात्रों के लिए इसको खोला गया

1907 में लाल बारादरी में इस लाइब्रेरी को ट्रांसफर किया गया।

1910 में छोटा छतर मंजिल में आमलोगों के लिए खोली गई।

1926 में लाइब्रेरी अपने भवन में स्थापित हुई जिसकी स्थापना 1921 में की गई थी।





Conclusion:अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी को संवारने में 25 फ़ीसदी खर्च स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किया जाएगा। इससे यह सुविधा होगी कि लोग ऑनलाइन किताबें पढ़ सकेंगे। 1947 में अवध के ताल्लुकेदार ने इसको यूपी सरकार यानी यूनाइटेड प्रोविंस को सौंप दिया था। ताल्लुकेदार आमिर हसन खान के नाम पर इस लाइब्रेरी का नाम पड़ा।

अनुराग मिश्र

8318122246
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.