लखनऊ: गोमती नदी तट पर होने वाला उत्तराखण्ड का पौराणिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्व उत्तरायणी कौथिग -2021 की तैयारियां आखिरी चरण में है. अब एक दिन बाद कौथिग शुरू हो जायेगा. कौथिग के जरिये राजधानी वासियों को भी उत्तराखंड की पर्वतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. कौथिग में जहां पर्वतीय खान-पान, वस्त्र व अन्य वस्तुओं के स्टाल लगेंगे. वहीं सांस्कृतिक दल वहां कि संस्कृति पेश करेंगे.
कौथिग का आयोजन पर्वतीय महापरिषद की ओर से भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लव पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन में 14 से 23 जनवरी तक किया जायेगा. कौथिग स्थल पर 12 जनवरी को हुई पत्रकार वार्ता में महापरिषद अध्यक्ष गणेश चन्द्र जोशी ने बताया कि उत्तरायणी कौथिंग के प्रथम दिवस के दोपहर का उद्धघाटन प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा व सांयकालीन सत्र का उद्धघाटन राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल करेंगी. 17 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कौथिग में आयेंगे.
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक टीएस मनराल ने बताया कि 14 जनवरी को भव्य शोभा यात्रा महानगर, रामलीला पार्क से निकाली जाएगी. यात्रा गोलमार्केट, निशातगंज ओवर ब्रिज, वीरबल शाहनी मार्ग होते हुए कार्यक्रम स्थल पर दोपहर 2 बजे पहुंचेगी. शोभा यात्रा में रथों पर महंत दिव्यागिरी व अन्य कई सन्त महात्मा, पर्वतीय महापरिषद द्वारा पर्वत गौरव से सम्मानित गणमान्य व्यक्ति, समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति, विराजमान होगे. साथ ही नन्दा देवी राजजात यात्रा की झांकी, सेना के भूतपूर्व सैनिक को टीम, कुली बेगार प्रथा के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर एक झांकी के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया जायेगा. इसके साथ-साथ उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध छोलिया दल व पर्वतीय परिधानों में विशाल जन समूह में महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चें, युवा सहित कई लोग शोभा यात्रा की शोभा बढ़ाएंगे.
महासचिव महेन्द्र सिह रावत ने बताया कि कौथिग के जरिये संस्कृति परंम्पराओं से नई पीढ़ी को रुबरू होने का अवसर मिलता है. इस वर्ष कौथिग के मंच पर एलईडी स्क्रीन पर सांस्कृतिक कार्यकमों के दौरान पर्वतीय प्राकृतिक सौन्दर्य के सुन्दर दृश्य, उत्तराखंड की लोक संस्कृति, लोक विधाओं को देखा जायेगा.
संयोजक केएन चन्दोला ने बताया कि पर्वतीय महापरिषद की वार्षिक पत्रिका “पर्वत संदेश” का विमोचन भी किया जायेगा. पर्वतीय महापरिषद “पर्वत गौरव” सम्मान एवं वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली वीरता सम्मान से कई भूतपूर्व सैनिकों व शहीद सैनिकों के परिजनों को यह सम्मान के साथ दिया जायेगा.
कौथिग में मिलेगी बाल मिठाई
कौथिग में पर्वतीय अंचल की बाल मिठाई व खाद्य पदार्थ, जड़ी-बूटियों सहित विभिन्न वस्तुएं, ऊनी वस्त्रों, खादी सिल्क, कश्मीरी शाल, ड्राई फ्रूट्स, अमेरिकन भुट्टे, तन्दूरी चाय, राजस्थानी और पंजाबी पकवान, उत्तराखड़ी, आलू के गुटके, पकौड़ी, पहाड़ी रायता सहित कई अन्य व्यंजन का चटकारे लेते हुए लोग दिखेंगे. असके अलावा प्रतिदिन छोटे-छोटे बच्चों के लिए घुघुति-बासुति का विषेश कार्यक्रम के साथ-साथ आर्ट, पेंटिंग, लेखन, फैन्सी शो, नृत्य, गायन, व्यक्तित्व विकास की प्रतियोगिताएं आदि आयोजित होगी.
शाम 6 बजे से होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम
सांस्कृतिक कार्यक्रम रोज शाम 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक आयोजित होंगे. जिसमें विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक झलक दिखने को मिलेगी. इस बार उत्तराखंड के जाने-माने लोक गायक व पदमश्री प्रीतम भरतवाण की उत्कृष्ट गायन शैली ढोल-दमुवा व हुडुके व परंम्परागत वाद्ययों के साथ सुनने का आनन्द लेने के साथ साथ विभिन्न प्रदेशों के आये हुए सांस्कृतिक पंजाब, हरियाणा, असम, भोजपुरी सहित अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी देखने को मिलेगी.
150 स्टाल लगेंगे, रहेगी सुरक्षा
इस बार कौथिग स्थल पर विभिन्न राज्यों के 150 से ज्यादा स्टाल लगाये गये हैं. पूरे कौथिग स्थल सुरक्षा से लैस जोन में है. सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ सुरक्षा गार्ड व बाउसंर की भी तैनाती रहेगी.