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महाकुम्भ में भगदड़ से मौतों, श्रद्धालुओं की परेशानी को लेकर एक और याचिका हाईकोर्ट में दाखिल - ALLAHABAD HIGH COURT

पूर्व पार्षद कमलेश सिंह की ओर से दाखिल याचिका में पूरे महाकुम्भ के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का हवाला दिया गया है.

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हाईकोर्ट में एक और याचिका दाखिल (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 15, 2025, 8:17 PM IST

प्रयागराज: प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में मौनी अमावस्या की भगदड़ और श्रद्धालुओं की परेशानी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गयी है. पूर्व पार्षद कमलेश सिंह की ओर से दाखिल याचिका में पूरे महाकुम्भ के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का हवाला दिया गया है. याची के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा ने बताया कि याचिका दाखिल हो गई है.

इस सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो सकती है. याचिका में कहा गया है कि प्रशासनिक अधिकारियों के आपसी तालमेल न होने के कारण अव्यवस्था फैली रही. श्रद्धालुओं को न केवल 25-30 किमी तक पैदल चलना पड़ा, बल्कि शहर के लोग अब तक लगातार जाम से जूझ रहे हैं. गंगा पर बनाए गए 30 पांटून पुलों में से अधिकतर बंद रखे गए. इस कारण श्रद्धालुओं को आने-जाने में मेला क्षेत्र में इधर-उधर भटकना पड़ा. इसी कारण वहां कई स्थानों पर भगदड़ हुई.

लापरवाही के कारण ही कई जगह आग लग गई. शटल बसों को सुचारू रूप से चलाया नहीं गया. श्रद्धालुओं को न केवल पीने के पानी बल्कि जरूरी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो सकीं. टेम्पो और नावों पर मनमाफिक किराया वसूला गया. याचिका में रामभद्राचार्या और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के मोक्ष वाले बयानों आपत्ति जताई गई है.

कहा गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ के लिए पर्याप्य धन उपलब्ध कराया और योजनाबद्ध तैयारी कराई लेकिन जिम्मेदार अफसर जमीनी स्तर पर काम करने में असफल रहे हैं. याचिका में प्रमुख सचिव, गृह सचिव सहित महाकुम्भ मेला से जुड़े अफसरों को भी पक्षकार बनाया गया है.

ये भी पढ़ें- हाईकोर्ट ने कहा- नाम में परिवर्तन मौलिक अधिकार नहीं, नियम बनाना केंद्र और राज्य सरकारों का नीतिगत मामला

प्रयागराज: प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में मौनी अमावस्या की भगदड़ और श्रद्धालुओं की परेशानी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गयी है. पूर्व पार्षद कमलेश सिंह की ओर से दाखिल याचिका में पूरे महाकुम्भ के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का हवाला दिया गया है. याची के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा ने बताया कि याचिका दाखिल हो गई है.

इस सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो सकती है. याचिका में कहा गया है कि प्रशासनिक अधिकारियों के आपसी तालमेल न होने के कारण अव्यवस्था फैली रही. श्रद्धालुओं को न केवल 25-30 किमी तक पैदल चलना पड़ा, बल्कि शहर के लोग अब तक लगातार जाम से जूझ रहे हैं. गंगा पर बनाए गए 30 पांटून पुलों में से अधिकतर बंद रखे गए. इस कारण श्रद्धालुओं को आने-जाने में मेला क्षेत्र में इधर-उधर भटकना पड़ा. इसी कारण वहां कई स्थानों पर भगदड़ हुई.

लापरवाही के कारण ही कई जगह आग लग गई. शटल बसों को सुचारू रूप से चलाया नहीं गया. श्रद्धालुओं को न केवल पीने के पानी बल्कि जरूरी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो सकीं. टेम्पो और नावों पर मनमाफिक किराया वसूला गया. याचिका में रामभद्राचार्या और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के मोक्ष वाले बयानों आपत्ति जताई गई है.

कहा गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ के लिए पर्याप्य धन उपलब्ध कराया और योजनाबद्ध तैयारी कराई लेकिन जिम्मेदार अफसर जमीनी स्तर पर काम करने में असफल रहे हैं. याचिका में प्रमुख सचिव, गृह सचिव सहित महाकुम्भ मेला से जुड़े अफसरों को भी पक्षकार बनाया गया है.

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