लखनऊ : गर्भावस्था के दौरान बहुत सी बातों को ध्यान रखना होता है. यहां तक की गर्भधारण के समय महिला को चाहे कितना ही दर्द क्यों न हो, लेकिन किसी भी तरह की कोई दर्द निवारक दवा नहीं खानी चाहिए. इससे जच्चा-बच्चा दोनों को नुकसान हो सकता है. इस समय वायरल बुखार तेजी से फैल रहा है. जिसकी गिरफ्त में गर्भवती महिलाएं भी आ रही हैं. यहां तक की गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है. हर साल 15 अक्टूबर को गर्भावस्था और शिशु हानि स्मरण दिवस मनाया जाता है.
हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस व वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. निवेदिता कर ने बताया कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए जिसने किसी बच्चे को खोने का अनुभव किया है, चाहे वह गर्भपात, मृत जन्म, नवजात मृत्यु या चिकित्सीय कारणों से गर्भपात के कारण हुआ हो. उन्होंने बताया कि इस समय वायरल बुखार काफी फैला है. एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से चार लाख प्लेटलेट्स होती हैं. किसी कारण से यदि ये 50 हजार से कम हो जाएं तो चिंता की बात नहीं. इससे कम होने पर रक्तस्त्राव होता है. डेंगू में 10-20 हजार प्लेटलेट्स की संख्या रहे तो जच्चा बच्चा को दिक्कत हो सकती है. अस्पताल में प्रसव के दौरान कई गर्भवती महिलाओं की तबीयत बिगड़ी. उनका तुरंत एचडीयू हाई डिपेंडेंसी यूनिट में कर इलाज किया गया.
डॉ. निवेदिता ने बताया कि गर्भावस्था और शिशु हानि स्मरण दिवस पर अस्पताल में जो भी गर्भवती महिलाएं आती हैं. उन्हें जागरूक करने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं. ताकि गर्भवती महिलाएं इस बात को समझें कि गर्भावस्था के नौ महीने बहुत ही नाजुक होते हैं. शुरुआत के तीन महीने बहुत ही ज्यादा बचा के रहना होता है. क्योंकि इन तीन महीने में मिस कैरेज होने की संभावनाएं बहुत ज्यादा रहती है. बाकी के पांच महीने इस बात का ख्याल रखना होता है कि समय-समय पर अपना डाइट अच्छे से लें और कोई भी भारी चीज न उठाएं. इसके अलावा हल्का-फुल्का घर का काम करते रहें. ताकि प्रसव के समय कोई दिक्कत न हो. आखिरी के एक महीने में यानी नौवें महीने में हर 15 दिन पर विशेषज्ञ डॉक्टर से जरूर मिलें. क्योंकि, प्रसव के समय बहुत सी महिलाओं को कॉम्प्लिकेशंस हो जाते हैं. इसलिए हर 15 दिन पर मिलना जरूरी होता है. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के मूवमेंट के बारे में पता रहता है. इस समय वायरल बुखार तेजी से फैला है तो संचारी रोग से संबंधित सभी बीमारी डेंगू, टाइफाइड, मलेरिया व चिकनगुनिया सभी की जांच होती है और उसके हिसाब से फिर प्रसव कराया जाता है. अगर महिला का प्लेटलेट्स 40 हजार से कम होती हैं तो उसे तुरंत बड़े महिला अस्पताल में रेफर किया जाता है. इसके अलावा बिना विशेषज्ञ के परामर्श के कोई भी दवा न लें. अगर कोई दिक्कत परेशानी है तो पहले विशेषज्ञ से परामर्श लें. फिर उसके बाद डॉक्टर के द्वारा प्रिसक्राइब की गई दवाओं का ही सेवन करें.
डॉ. निवेदिता ने एक केस साझा किया कि वायरल बुखार से पीड़ित गर्भवती महिला की हालत काफी नाजुक थी. बंगला बाजार स्थित औरंगाबाद की रहने वाली गर्भवती महिला (32) को चार दिन से तेज बुखार आ रहा था. निजी क्लीनिक की दवा से फायदा नहीं हुआ. महिला ने लोकबंधु अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टर ने डेंगू कार्ड टेस्ट कराया. रिपोर्ट निगेटिव निकली, पर प्लेटलेट्स 40 हजार होने के कारण डिलीवरी में दिक्कत हो सकती थी. उसकी हालत थोड़ा गंभीर होने पर उसे भर्ती कर लिया गया, लेकिन महिला का नौवां महीना चल रहा था. प्रसव पीड़ा होने पर महिला को क्वीन मैरी अस्पताल रेफर किया गया. जहां महिला ने बच्चे को जन्म दिया है. फिलहाल महिला की हालत नाजुक बनी हुई है.
डेंगू से ऐसे रहें बरतें सावधानी |
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