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प्री स्‍कूलों को भी लेनी होगी मान्यता, फीस पर भी होगी लगाम - प्री-प्राइमरी यूनिट का हुआ गठन

राजधानी समेत प्रदेश में प्री-स्कूलों का संचालन करने के लिए अब सरकार से मान्यता लेनी होगी. बेसिक शिक्षा विभाग प्री प्राइमरी स्‍कूलों के लिए गाइडलाइन तैयार कर रहा है. यह पहली बार है जब प्ले और प्री प्राइमरी स्कूलों के लिए व्यवस्था की जा रही है. इस नियमावली के बनाने के साथ ही फीस पर भी लगाम लगेगी.

प्री स्‍कूलों को भी लेनी होगी मान्यता
प्री स्‍कूलों को भी लेनी होगी मान्यता
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Published : Mar 23, 2021, 8:03 AM IST

लखनऊ : राजधानी समेत प्रदेश में प्री-स्कूलों का संचालन करने के लिए अब सरकार से मान्यता लेनी होगी. बेसिक शिक्षा विभाग प्री-प्राइमरी स्‍कूलों के लिए गाइडलाइन तैयार कर रहा है. यह पहली बार है जब प्ले और प्री प्राइमरी स्कूलों के लिए व्यवस्था की जा रही है. इनके लिए नियमावली बनाने के साथ ही, फीस पर भी नियंत्रण किया जाएगा.

दरअसल, प्रदेश में संचालित प्‍ले व प्री प्राइमरी स्‍कूलों के लिए अभी मान्‍यता लेना जरूरी नहीं है. अकेले राजधानी में करीब दो हजार से अधिक प्‍ले व प्री प्राइमरी स्‍कूलों का संचालन किया जा रहा है. यहां पर अभिभावकों से एक से चार हजार रूपए तक प्रतिमाह फीस ली जाती है. कई प्राइमरी स्‍कूल तो लोगों ने अपने घरों के अंदर ही खोल रखें हैं, या दो से तीन कमरों में संचालित हो रहे हैं. कम सहूलियतों में यह अभिभावकों से मोटी फीस लेते हैं.

प्री-प्राइमरी यूनिट का हुआ गठन

राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सरकार प्‍ले व प्राइमरी स्‍कूलों के मान्‍यता को जरूरी करने जा रही है. इसमें बच्‍चों की सुरक्षा पर भी स्‍कूलों की जवाबदेही तय की जाएगी. प्रदेश सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत एक प्री प्राइमरी यूनिट का गठन किया गया है. यह कमेटी प्री-प्राइमरी स्तर की शिक्षा से जुड़े मानकों व योजनाओं पर निर्णय लेगी. नए नियमों के तहत सरकार तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को औपचारिक शिक्षा में शामिल करेगी.

इसे भी पढ़ें- खेलो इंडिया योजना 2025-26 तक बढ़ाई गई, खेल मंत्रालय ने दी जानकारी

प्ले स्कूल में बदलेंगे आंगनबाड़ी केन्द्र

परिषदीय विद्यालयों की तरह छोटे बच्‍चों के लिए आंगनबाड़ी केन्‍द्रों को प्‍ले स्‍कूल की तरह डेवलप किया जाएगा. इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सेविकाओं को 31 मार्च तक प्रशिक्षित भी किया जाएगा. बता दें, उत्‍तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में 1.89 लाख आंगनबाड़ी केन्‍द्र संचालित हो रहे है. जहां पर 6 वर्ष की आयु के बच्‍चों को पुष्‍टाहार के साथ शिक्षा भी दी जाएगी.

लखनऊ : राजधानी समेत प्रदेश में प्री-स्कूलों का संचालन करने के लिए अब सरकार से मान्यता लेनी होगी. बेसिक शिक्षा विभाग प्री-प्राइमरी स्‍कूलों के लिए गाइडलाइन तैयार कर रहा है. यह पहली बार है जब प्ले और प्री प्राइमरी स्कूलों के लिए व्यवस्था की जा रही है. इनके लिए नियमावली बनाने के साथ ही, फीस पर भी नियंत्रण किया जाएगा.

दरअसल, प्रदेश में संचालित प्‍ले व प्री प्राइमरी स्‍कूलों के लिए अभी मान्‍यता लेना जरूरी नहीं है. अकेले राजधानी में करीब दो हजार से अधिक प्‍ले व प्री प्राइमरी स्‍कूलों का संचालन किया जा रहा है. यहां पर अभिभावकों से एक से चार हजार रूपए तक प्रतिमाह फीस ली जाती है. कई प्राइमरी स्‍कूल तो लोगों ने अपने घरों के अंदर ही खोल रखें हैं, या दो से तीन कमरों में संचालित हो रहे हैं. कम सहूलियतों में यह अभिभावकों से मोटी फीस लेते हैं.

प्री-प्राइमरी यूनिट का हुआ गठन

राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सरकार प्‍ले व प्राइमरी स्‍कूलों के मान्‍यता को जरूरी करने जा रही है. इसमें बच्‍चों की सुरक्षा पर भी स्‍कूलों की जवाबदेही तय की जाएगी. प्रदेश सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत एक प्री प्राइमरी यूनिट का गठन किया गया है. यह कमेटी प्री-प्राइमरी स्तर की शिक्षा से जुड़े मानकों व योजनाओं पर निर्णय लेगी. नए नियमों के तहत सरकार तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को औपचारिक शिक्षा में शामिल करेगी.

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प्ले स्कूल में बदलेंगे आंगनबाड़ी केन्द्र

परिषदीय विद्यालयों की तरह छोटे बच्‍चों के लिए आंगनबाड़ी केन्‍द्रों को प्‍ले स्‍कूल की तरह डेवलप किया जाएगा. इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सेविकाओं को 31 मार्च तक प्रशिक्षित भी किया जाएगा. बता दें, उत्‍तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में 1.89 लाख आंगनबाड़ी केन्‍द्र संचालित हो रहे है. जहां पर 6 वर्ष की आयु के बच्‍चों को पुष्‍टाहार के साथ शिक्षा भी दी जाएगी.

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