लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर में है. पार्टी समझ नहीं पा रही है कि वह इस स्थिति से कैसे उबरे. पार्टी की इतनी खराब स्थिति के बाद भी प्रदेश की एक विधान सभा सीट है, जो 40 से भी ज्यादा वर्षों से अपराजेय बनी हुई है. यह सीट है, प्रतापगढ़ जिले की 'रामपुर खास'. कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद तिवारी ने 1980 में 'रामपुर खास' विधानसभा सीट से लगभग तीन दशक तक विधायक रहे. फिर उन्होंने यह सीट अपनी बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' को दे दी. पिता की सीट से आराधना मिश्रा भी लगातार चुनाव जीत रहीं हैं. हालिया चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें हासिल हुई हैं, जिनमें एक रामपुर खास भी शामिल है. हमने प्रदेश में कांग्रेस की दुर्दशा, ज्ञानवापी प्रकरण में कांग्रेस के रुख और पार्टी की भावी रणनीति आदि को लेकर प्रमोद तिवारी जी से खास बातचीत की. पेश हैं प्रमुख अंश...
प्रश्न : आपने लंबे अर्से से अजेय राजनीति की है. आपने कांग्रेस का स्वर्णिम दौर भी देखा है और यह सबसे बुरा दौर भी देख रहे हैं. इस पतन के पीछे क्या कारण मानते हैं आप?
उत्तर : देखिए जो उभार हो रहा है, सांप्रदायिक और जातीय, जो ध्रुवीकरण हो रहा है, उसकी वजह से जो ईमानदारी से देश के लिए राजनीति करते हैं, भारत के संविधान के अनुसार राजनीति करते हैं, भारत के हित और परंपराओं की राजनीति करते हैं, भाजपा की तरह पार्टी हित के लिए देश हित कुर्बान नहीं करते, ऐसी कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से यह एक बुरा दौर है. हमने ऐसे बहुत से बुरे दौर देखे हैं. हम इससे उबरेंगे. उदयपुर में जो चिंतन शिविर हुआ है, उसमें जो निर्णय हुए हैं, हमें ईमानदारी और दृढ़ता से उसका पालन करना चाहिए. मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में जनता कांग्रेस पर फिर विश्वास करेगी.
प्रश्न : यदि ऐसा है, तो कांग्रेस क्यों नहीं इस क्षेत्र को एक रोल मॉडल के रूप में पेश करती है?
उत्तर : एक राजनीतिक जीवन में दो रूप होते हैं. एक चुनाव से पहले का और दूसरा चुनाव के बाद का. मैं सिर्फ इतना संदेश देना चाहता हूं कि चुनाव से पहले लोग जनता को अपना भगवान मानते हैं, किंतु बाद में खुद भगवान बन जाते हैं. हमें इससे निकलना पड़ेगा. चुनाव के पहले भी जनता भगवान होती है, चुनाव जीतने या हारने के बाद भी जनता भगवान होती है. इसलिए हमें समान रूप से मतदाताओं के प्रति आदर का भाव रखना चाहिए. विकास के लिए अपना हित कुर्बान करना चाहिए.
प्रश्न : वाराणसी में ज्ञानवापी प्रकरण चल रहा है. इस पर कांग्रेस पार्टी का क्या स्टैंड है?
उत्तर : देखिए, यह मामला पूरी तरह से न्यायालय में है. भारत के संविधान में 1991 में एक कानून बना है, उसकी व्याख्या होनी है सुप्रीम कोर्ट में. आज जो कानून है, उसकी व्याख्या तक हम लोगों को नहीं बोलना चाहिए. पक्षकार बोलें, वकील बोलें, पर राजनीतिक व्यक्ति का बोलना ठीक नहीं है. मैं आरोप लगाता हूं, दृढ़ता के साथ आरोप लगाता हूं कि भाजपा सरकार हर मोर्चे पर असफल हो गई है. महंगाई 31 साल का रिकॉर्ड तोड़ रही है. बेरोजगारी 47 साल का रिकॉर्ड तोड़ रही है. सिर्फ दो परिवारों और 14 घरानों की संपत्ति बढ़ रही है. साधारण गरीब की संपत्ति कम हो रही है. मध्यम वर्ग पीड़ित हो रहा है. देश को टुकड़े-टुकड़े में बेचा जा रहा है. उससे ध्यान हटाने के लिए भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है. संगठन का भी दुरुपयोग कर रही है और संस्थाओं का भी दुरुपयोग कर रही है. इसीलिए भाजपा ने यह शिगूफा छोड़ा है. अयोध्या के बाद उनके हाथ से तोते उड़ गए हैं.
प्रश्न : आपके भी एक बड़े नेता प्रमोद कृष्णम जी हैं. उन्होंने भी अभी कहा है कि ताजमहल हिंदुओं को सौंप देना चाहिए. कुतुबमीनार और ज्ञानवापी भी हिंदुओं को सौंप देना चाहिए. इस पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर : मैंने उनका ऐसा कोई बयान नहीं सुना है. हां, यदि उन्होंने ऐसा बयान दिया है, तो मैं कहना चाहूंगा कि यह हमारी पार्टी की लाइन नहीं है. पार्टी की जो लाइन है, वह मैंने आपके सामने रख दी है.
प्रश्न : उदयपुर से आप लौटे हैं. उदयपुर के चिंतन शिविर में निश्चित रूप से यूपी की पराजय के लिए रणनीति बनी होगी. 2024 में आप कैसे लोकसभा चुनाव में जाएंगे, इस पर भी चर्चा हुई होगी. हमें बताएंगे कुछ?
उत्तर : सबसे पहली बात जो सोनिया जी ने कही कि यह मौका समय लेने का नहीं है. हमें यह सोचना होगा कि हम कांग्रेस के लिए क्या कर सकते हैं. राहुल जी ने ठीक कहा है कि कार्यकर्ताओं का जनता से संपर्क दूर हो गया है. तीसरी बात यह तोड़ो का वक्त नहीं है, जो भाजपा करती है. यह वक्त है जोड़ने का. श्रीलंका का उदाहरण हमारे सामने है. वहां के एक नासमझ प्रधानमंत्री ने देश को आग में झोंक दिया है. मैं पूरे आदर के साथ कहना चाहता हूं कि मोदी जी में आर्थिक समझ नहीं है.
प्रश्न : कांग्रेस में अभी अनिर्णय की स्थिति है? अभी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है.
उत्तर : किसी दिन, किसी क्षण या कभी भी इसकी घोषणा हो सकती है. प्रियंका जी और सारे पदाधिकारी देख ही रहे हैं. थोड़ा वक्त लगता है.
प्रश्न : पिछले चुनाव में प्रियंका जी मेहनत बहुत की, लेकिन यह मेहनत वोट में तब्दील नहीं हो सकी. क्यों?
उत्तर : देखिए, मैं इंदिरा जी से लगाकर मनमोहन सिंह तक का दौर देखा है. पुराना वक्त भी देखा है. यह कांग्रेस का भाग्य है कि प्रियंका गांधी के रूप में उसे दूसरी इंदिरा गांधी मिल गई है. हाथरस कांड जब हुआ बड़े-बड़े नेता विपक्ष के आराम फरमा रहे थे, पर प्रियंका गांधी वहां पहुंचीं. लखीमपुर जाते वक्त सीतापुर में तीन दिन जेल में रहीं. सोनभद्र में जब किसान मारे गए, तब पहली पहुंचने वाली प्रियंका थीं. बड़ी जनसभाएं कीं. जहां पीड़ा और करुणा देखी पहुंच गईं.
प्रश्न : यह जो ध्रुवीकरण की राजनीति चल रही है, इसकी कीमत तो जनता को ही चुकानी पड़ेगी. यह दौर कहां जाकर रुकेगा?
उत्तर : आज हम विधान सभा में दो सीट पर बैठे हैं. भाजपा को भी मैंने संसद में दो सीट पर बैठे देखा है. आप कह रहे हैं कि कांग्रेस के कई नेता हार गए. अरे हमने तो अटल बिहारी वाजपेयी को 84 में हारते देखा है. उनसे बड़ा तो विपक्ष का सर्वकालीन नेता कोई नहीं हुआ है. यदि दो से भाजपा केंद्र में सरकार बना सकती है, तो कांग्रेस का तो संगठन और इतिहास रहा है. ऐसा लोग ऊबेंगे भाजपा से, ऐसी नफरत करेंगे लोग, जहां भावनाओं की चादर हटी कांग्रेस का स्वर्णिम भविष्य इंतजार कर रहा है और जो कांग्रेस का स्वर्णिम भविष्य होगा वही भारत और उत्तर प्रदेश का स्वर्णिम भविष्य होगा.
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