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इस पार्टी के कार्यकर्ताओं का सपना ही रह गया चुनाव लड़कर नेता बनना

समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव (Samajwadi Party leader Shivpal Singh Yadav) ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की स्थापना की थी. उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं में जोश भरा कि पार्टी अपने बलबूते ही चुनाव लड़ेगी, लेकिन शिवपाल फिर से समाजवादी पार्टी में चले गए.

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Published : Dec 15, 2022, 10:48 AM IST

Updated : Dec 15, 2022, 11:21 AM IST

जानकारी देते वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव (Samajwadi Party leader Shivpal Singh Yadav) ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की स्थापना की थी. उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं में जोश भरा कि प्रदेश भर में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) अपने बलबूते ही चुनाव लड़ेगी, लेकिन ऐन वक्त पर शिवपाल समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए और अकेले ही सपा के बैनर पर चुनाव लड़ लिया. कार्यकर्ताओं का नेता बनने का सपना अधूरा रह गया.

इसके बाद जब निकाय चुनाव करीब आने लगे तो भी शिवपाल ने अपने सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट कर साफ कर दिया कि अब समाजवादी पार्टी से कोई ताल्लुक नहीं है. कार्यकर्ता तैयारी करें. स्थानीय निकाय चुनाव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बैनर पर ही लड़ा जाएगा. कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं ने जोश दिखाना शुरू कर दिया. चुनाव लड़ने के लिए क्षेत्र में प्रचार प्रसार पर पैसे खर्च करने शुरू कर दिए. संगठन मजबूत करने पर जोर दिया, लेकिन आखिरी वक्त पर शिवपाल ने फिर पलटी मार दी और इस बार अपनी पार्टी का ही समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया. इस तरह निकाय चुनाव से पहले ही कार्यकर्ताओं का पार्षद या महापौर बनकर नेता बनने का सपना चकनाचूर हो गया.

सपा नेता शिवपाल यादव के बेटे और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य यादव प्रदेश के कई जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर बैठकें भी कर डाली. लखनऊ के बुलाकी अड्डा इलाके में भी बैठक कर उन्होंने साफ कर दिया था कि पार्टी के कार्यकर्ता तैयारी करें. संगठन मजबूत करें. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अकेले ही मैदान में उतरेगी. मजबूत कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जाएगा, लेकिन कार्यकर्ताओं के साथ आखिर में धोखा हो गया. अब कार्यकर्ता अकेले पड़ गए हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि अब उनका भविष्य क्या होगा.

कार्यकर्ता मान रहे हैं कि भले ही शिवपाल सिंह यादव (Samajwadi Party leader Shivpal Singh Yadav) ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिया. इससे परिवार एक हो गया, लेकिन इसका फायदा प्रसपा से जुड़े कार्यकर्ताओं को मिले ही, इसकी कोई गारंटी नहीं है. वजह है कि सपा के जो नेता और कार्यकर्ता पहले से ही पार्टी में हैं वे प्रसपा से जुड़े नेताओं कार्यकर्ताओं को सम्मान दें, ऐसा लग नहीं रहा है, हालांकि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कैमरे पर इस तरह के बयान देने से पल्ला झाड़ लेते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं होता है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. पहले भी कई पार्टियों के कार्यकर्ताओं को इस तरह का सामना करना पड़ा है, जब वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे. तब तक उनकी पार्टी ने किसी और पार्टी से गठबंधन कर लिया और नेता, कार्यकर्ता मायूस हो गए. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ भी ऐसा ही हुआ है. शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी में अपनी पहले की पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी सम्मान दिलाने का प्रयास जरूर करेंगे, लेकिन सभी को तो सम्मान नहीं मिल सकता है.

यह भी पढ़ें : पुरानी पेंशन बहाली के लिए नए साल से शिक्षक संघ करेगा आंदोलन, शिक्षक संघ अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी का ऐलान

जानकारी देते वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव (Samajwadi Party leader Shivpal Singh Yadav) ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की स्थापना की थी. उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं में जोश भरा कि प्रदेश भर में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) अपने बलबूते ही चुनाव लड़ेगी, लेकिन ऐन वक्त पर शिवपाल समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए और अकेले ही सपा के बैनर पर चुनाव लड़ लिया. कार्यकर्ताओं का नेता बनने का सपना अधूरा रह गया.

इसके बाद जब निकाय चुनाव करीब आने लगे तो भी शिवपाल ने अपने सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट कर साफ कर दिया कि अब समाजवादी पार्टी से कोई ताल्लुक नहीं है. कार्यकर्ता तैयारी करें. स्थानीय निकाय चुनाव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बैनर पर ही लड़ा जाएगा. कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं ने जोश दिखाना शुरू कर दिया. चुनाव लड़ने के लिए क्षेत्र में प्रचार प्रसार पर पैसे खर्च करने शुरू कर दिए. संगठन मजबूत करने पर जोर दिया, लेकिन आखिरी वक्त पर शिवपाल ने फिर पलटी मार दी और इस बार अपनी पार्टी का ही समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया. इस तरह निकाय चुनाव से पहले ही कार्यकर्ताओं का पार्षद या महापौर बनकर नेता बनने का सपना चकनाचूर हो गया.

सपा नेता शिवपाल यादव के बेटे और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य यादव प्रदेश के कई जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर बैठकें भी कर डाली. लखनऊ के बुलाकी अड्डा इलाके में भी बैठक कर उन्होंने साफ कर दिया था कि पार्टी के कार्यकर्ता तैयारी करें. संगठन मजबूत करें. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अकेले ही मैदान में उतरेगी. मजबूत कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जाएगा, लेकिन कार्यकर्ताओं के साथ आखिर में धोखा हो गया. अब कार्यकर्ता अकेले पड़ गए हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि अब उनका भविष्य क्या होगा.

कार्यकर्ता मान रहे हैं कि भले ही शिवपाल सिंह यादव (Samajwadi Party leader Shivpal Singh Yadav) ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिया. इससे परिवार एक हो गया, लेकिन इसका फायदा प्रसपा से जुड़े कार्यकर्ताओं को मिले ही, इसकी कोई गारंटी नहीं है. वजह है कि सपा के जो नेता और कार्यकर्ता पहले से ही पार्टी में हैं वे प्रसपा से जुड़े नेताओं कार्यकर्ताओं को सम्मान दें, ऐसा लग नहीं रहा है, हालांकि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कैमरे पर इस तरह के बयान देने से पल्ला झाड़ लेते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं होता है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. पहले भी कई पार्टियों के कार्यकर्ताओं को इस तरह का सामना करना पड़ा है, जब वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे. तब तक उनकी पार्टी ने किसी और पार्टी से गठबंधन कर लिया और नेता, कार्यकर्ता मायूस हो गए. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ भी ऐसा ही हुआ है. शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी में अपनी पहले की पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी सम्मान दिलाने का प्रयास जरूर करेंगे, लेकिन सभी को तो सम्मान नहीं मिल सकता है.

यह भी पढ़ें : पुरानी पेंशन बहाली के लिए नए साल से शिक्षक संघ करेगा आंदोलन, शिक्षक संघ अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी का ऐलान

Last Updated : Dec 15, 2022, 11:21 AM IST
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