लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की प्रांतीय कार्यसमिति की फील्ड हॉस्टल कार्यालय में आयोजित हुई बैठक में केंद्रीय कार्यसमिति ने विद्युत अधिनियम 2003 में निजीकरण को बढ़ावा देने के उद्द्देश्य से संशोधन की कार्रवाई किए जाने का कड़ा विरोध किया है. एलान किया कि निजीकरण का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा. पहले सभी बिजली कम्पनियों में बैठकें होंगी फिर आंदोलन को अंतिम रूप देने का होगा. फैसला निजीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं का होगा. जहां एक तरफ निजीकरण से आरक्षण पर कुठाराघात होगा. वहीं दूसरी तरफ निजीकरण से प्रदेश के उपभोक्ताओं और कार्मिकों का सबसे अधिक अहित होगा. पूरे प्रदेश में सभी दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता एकजुट होकर निजीकरण का विरोध करेंगे.
पदोन्नत के नियमों में न हो कोई बदलाव
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की केंद्रीय कार्यसमिति ने यह भी निर्णय लिया है कि वर्तमान में बैकलॉक बैच के अभियंताओं का प्रमोशन होना है, इसलिए पदोन्नति के नियमों व बेंचमार्किंग नियमों में कोई बदलाव न किया जाए. प्रबंधन को इस बात को सोचना होगा कि रिवर्सन के लम्बे समय बाद दलित अभियंताओं की पदोन्नतियां होना शुरू हुई हैं. ऐसे में नियमों में ऐसा बदलाव न किया जाए, जिससे दलित अभियंताओं का नुकसान हो, वहीं उत्पादन निगम में मुख्य अभियंता स्तर-1 के पदों पर मुख्या अभियंता स्तर-2 की तैनाती को भी नियम विरुद्ध बताते हुए इस विसंगति को अबिलम्ब दूर करने की मांग की गई, साथ ही दलित व पिछड़े वर्ग के अभियन्ताओं की फर्जी शिकायतों पर भी प्रबंधन का ध्यान दिलाते हुए यह मांग की गई की जो शिकायतें शासन के नियमों के तहत बिना शपथ पत्र के शुरू की गई है, उन्हें समाप्त किया जाए जिसे अकारण अभियंताओं का उत्पीड़न न हो.
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पदाधिकारियों को दिए निर्देश
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन केे कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा. सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपनी-अपनी कंपनी में अभियंताओं को इस बात के लिए तैयार करें कि जब भी निजीकरण की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा. उसी समय एसोसिएशन के सभी सदस्य आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.