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ऊर्जा मंत्रालय की रेटिंग में यूपी की इन बिजली कंपनियों का काम घटिया, ये रही वजह

उत्तर प्रदेश में बिजली सप्लाई (power supply in Uttar Pradesh) को लेकर ऊर्जा मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यूपी की पांच कंपनियों को 100 में 15 नंबर मिले है.

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उत्तर प्रदेश में बिजली सप्लाई
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Published : Aug 27, 2022, 5:02 PM IST

लखनऊ: ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (Energy Minister Arvind Kumar Sharma) लगातार उत्तर प्रदेश में बिजली सप्लाई (power supply in Uttar Pradesh) को लेकर अधिकारियों की पीठ थपथपाते हैं, वहीं दूसरी तरफ बिजली सप्लाई के मामले में ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जो रिपोर्ट जारी की गई है, उसमें यूपी की कंपनियों का काम घटिया दर्शाया गया है. ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश की 52 कंपनियों की सूची में यूपी की पांच कंपनियां पूरी तरह से फेल हैं. आलम यह है कि रेटिंग के 100 नंबर में से उत्तर प्रदेश को सिर्फ 15 नंबर ही मिल पाए हैं. इसमें पांच में से चार कंपनियों को माइनस सी ग्रेड मिला है. जबकि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (Paschimchal Vidyut Vitran Nigam Limited) की एक कंपनी को सी ग्रेड मिला है. सबसे बेहतर स्थान गुजरात और हरियाणा को प्राप्त हुआ है. इसके अलावा निजी सेक्टर की कंपनियों को भी इस रिपोर्ट में बेहतर दर्शाया गया है.

ग्रेड ए प्लस होने की स्थिति में किसी कंपनी को 100 अंकों में से 85 से लेकर पूरे 100 अंक तक मिलते हैं. ग्रेड ए होने की स्थिति में 65 से लेकर 84 अंक, ग्रेड बी में कंपनी को 50 से 65 नंबर, ग्रेड बी माइनस में कंपनी को 35 से 49 नंबर, ग्रेड सी में 15 से 34 नंबर और 15 या इससे कम नंबर पाने वाली कंपनी को सी माइनस में रखा जाता है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ही एक ऐसी कंपनी ऊर्जा मंत्रालय की इस रिपोर्ट में सामने आई है, जिसको 15 से 35 के बीच अंक प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (केस्को), पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को माइनस सी ग्रेड प्राप्त हुआ है. सीधा सा मतलब है कि इन कंपनियों के नंबर 15 या उससे भी कम हैं.

यह भी पढ़ें: राजनाथ सिंह ने कहा, लखनऊ को उत्तर प्रदेश में ही नहीं देश का नंबर वन शहर बनाने का हमारा लक्ष्य

ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि इन कंपनियों के अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए. अगर इसी तरह की इनकी कार्यशैली रही, तो आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ेगी. उच्चाधिकारियों के खिलाफ इसको लेकर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. अवधेश कुमार वर्मा ने यह भी कहा है कि डिस्कॉम प्रबंधन की जवाबदेही तय की जानी चाहिए. प्रदेश की बिजली कंपनियों के वित्तीय और तकनीकी पैरामीटर में भारी गिरावट आई है, जिससे बिजली कंपनी जो पहले बी और बी प्लस ग्रेड तक पहुंच गई थी, अब निचले पायदान पर लुढ़क गई है.

यह भी पढ़ें: LDA में भ्रष्टाचार की शिकायत करने पर लखनऊ जन कल्याण महासमिति के पदाधिकारी पर हमला

लखनऊ: ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (Energy Minister Arvind Kumar Sharma) लगातार उत्तर प्रदेश में बिजली सप्लाई (power supply in Uttar Pradesh) को लेकर अधिकारियों की पीठ थपथपाते हैं, वहीं दूसरी तरफ बिजली सप्लाई के मामले में ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जो रिपोर्ट जारी की गई है, उसमें यूपी की कंपनियों का काम घटिया दर्शाया गया है. ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश की 52 कंपनियों की सूची में यूपी की पांच कंपनियां पूरी तरह से फेल हैं. आलम यह है कि रेटिंग के 100 नंबर में से उत्तर प्रदेश को सिर्फ 15 नंबर ही मिल पाए हैं. इसमें पांच में से चार कंपनियों को माइनस सी ग्रेड मिला है. जबकि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (Paschimchal Vidyut Vitran Nigam Limited) की एक कंपनी को सी ग्रेड मिला है. सबसे बेहतर स्थान गुजरात और हरियाणा को प्राप्त हुआ है. इसके अलावा निजी सेक्टर की कंपनियों को भी इस रिपोर्ट में बेहतर दर्शाया गया है.

ग्रेड ए प्लस होने की स्थिति में किसी कंपनी को 100 अंकों में से 85 से लेकर पूरे 100 अंक तक मिलते हैं. ग्रेड ए होने की स्थिति में 65 से लेकर 84 अंक, ग्रेड बी में कंपनी को 50 से 65 नंबर, ग्रेड बी माइनस में कंपनी को 35 से 49 नंबर, ग्रेड सी में 15 से 34 नंबर और 15 या इससे कम नंबर पाने वाली कंपनी को सी माइनस में रखा जाता है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ही एक ऐसी कंपनी ऊर्जा मंत्रालय की इस रिपोर्ट में सामने आई है, जिसको 15 से 35 के बीच अंक प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (केस्को), पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को माइनस सी ग्रेड प्राप्त हुआ है. सीधा सा मतलब है कि इन कंपनियों के नंबर 15 या उससे भी कम हैं.

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ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि इन कंपनियों के अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए. अगर इसी तरह की इनकी कार्यशैली रही, तो आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ेगी. उच्चाधिकारियों के खिलाफ इसको लेकर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. अवधेश कुमार वर्मा ने यह भी कहा है कि डिस्कॉम प्रबंधन की जवाबदेही तय की जानी चाहिए. प्रदेश की बिजली कंपनियों के वित्तीय और तकनीकी पैरामीटर में भारी गिरावट आई है, जिससे बिजली कंपनी जो पहले बी और बी प्लस ग्रेड तक पहुंच गई थी, अब निचले पायदान पर लुढ़क गई है.

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