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पोस्ट कोविड मरीज हो रहे अवसाद से ग्रसित, सता रहा दोबारा संक्रमण का खतरा - पोस्ट कोविड मरीज हो रहे अवसाद से ग्रसित

यूपी में भले ही कोरोना के मामले में कमी आई हो, लेकिन इसका गहरा असर लोगों के जीवन पर पड़ा है. डॉक्टर्स बताते हैं कि पोस्ट कोविड के मरीज ज्यादा संख्या में अवसाद से ग्रसित हो रहे हैं. ऐसे लोगों को दोबारा कोरोना होने का डर सता रहा है.

पोस्ट कोविड मरीज हो रहे अवसाद से ग्रसित.
पोस्ट कोविड मरीज हो रहे अवसाद से ग्रसित.
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Published : Jul 6, 2021, 8:04 AM IST

लखनऊ: कोरोना वायरस का असर जन जीवन के ऊपर बहुत ही गहरा पड़ा है. डॉक्टर्स बताते हैं कि पोस्ट कोविड के मरीज ज्यादा संख्या में अवसाद से ग्रसित हो रहे हैं. क्योंकि एक बार जिसे कोरोना हो चुका है. उसे दोबारा कोरोना होने का डर लग रहा हैं. ऐसा इसलिए भी हैं क्योंकि मरीज ने अस्पतालों का ऐसा दृश्य देखा है. जिसे वह भूल नहीं पा रहे हैं. सरकारी अस्पताल में पोस्ट कोविड के मरीज मनोरोग विभाग में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह से जानते हैं कि अवसाद से उभरने के लिए क्या करें. मरीज अपने जीवनशैली में क्या बदलाव करें.

पोस्ट कोविड मरीज ज्यादा अवसाद से पीड़ित
डॉ. दीप्ति सिंह बताती हैं कि इन दिनों अस्पताल में पोस्ट कोविड इलाज के लिए ज्यादा आ रहे हैं. यहां तक कि कुछ युवा भी ऐसे हैं जो अवसाद के शिकार हुए हैं. एक बार जिसे कोरोना हो चुका है. उसके दिमाग में डर बैठ गया हैं. कहीं फिर से कोरोना न हो जाए. ऐसे में मरीज को दौरे पड़ते हैं. डर लगता है. डर से अचानक सोते-सोते रात में जग जाते हैं. नींद में चलने लगते हैं यह सारी समस्याएं होती है. जिसकी वजह से घर वाले मरीज को अस्पताल ले आते हैं.

जानकारी देती मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह.

डॉ. दीप्ति बताती हैं कि जब से ओपीडी खुली है तब से 120 मरीजों को रोजाना देखा जाता है जिसमें से 25 मरीज पोस्ट कोविड के होते हैं जो अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं उनके अंदर डर बैठ जाता है. कहीं उन्हें फिर से कोरोना न हो जाए. बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो कोरोना काल में निगेटिविटी के शिकार हो गए हैं जिन्हें हर बात में निगेटिव सोच आती हैं.

खुद को रखें व्यस्त
डॉ. दीप्ति बताती है कि अगर आपको अवसाद से उभरना है तो सबसे पहले आप अपने आप को जितना हो सके उतना अन्य काम में व्यस्त रखें. कोरोना काल में जो लोग खाली रहे हैं. टेलीविजन पर अस्पतालों की स्थिति, मरीजों की स्थिति देखे हैं. उनके दिमाग में एक दृश्य बन गया हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता. इसी नेगेटिविटी की वजह से लोग ज्यादा परेशान हो रहे हैं. दिमाग में बार-बार किसी एक ही बात को सोचना लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा हैं.

नेगेटिविटी को बदले पॉजिटिविटी में
डॉक्टर बताती हैं कि अब लोगों को समझना चाहिए कि कोरोना की दूसरी लहर समाप्त हो चुकी है. वहीं तीसरी लहर के आने की संभावना बनी हुई है. ऐसे में सतर्क रहें. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें और अगर आप घर में ही रह रहे हैं तो अपने आप को व्यस्त रखेंगे तो नेगेटिविटी का ज्यादा प्रभाव आपके ऊपर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जब किसी व्यक्ति के ऊपर नेगेटिविटी का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा तो वह अवसाद से भी ग्रसित नहीं होगा. लोगों को अपनी सोच को बदलना होगा और समय के अनुकूल बात को समझना चाहिए. नेगेटिविटी को पॉजिटिविटी में बदलने के लिए लोगों को माइंड मेकअप कर लेना चाहिए.

जीवनशैली में करें ये बदलाव

  • सबसे पहले तो योग और मेडिटेशन नियमित रूप से करें. नॉर्मल व्यक्ति है उसे भी अपनी दिनचर्या में योग और मेडिटेशन को शामिल करना चाहिए.
  • खाने-पीने के समय का विशेष ध्यान रखा करें. बहुत सारे लोग होते हैं जिनके खाने-पीने का कोई समय निर्धारित नहीं होता है. ऐसे में उनका पूरा रूटीन बिगड़ जाता है. यहां तक की सेहत पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है.
  • सही समय पर जगने और सही समय पर सोने की आदत बनाएं.
  • अपने आप को जितना हो सके उतना काम में व्यस्त रखें. बुक पर है, इंटरनेट पर उपलब्ध समसामयिकी मुद्दों पर जानकारी लें, वीडियो गेम खेलें, घरवालों से बातचीत करें, दोस्तों से बातचीत करें.
  • आखिरी में डॉक्टर द्वारा चलाई जा रही दवाओं का समय से और नियमित सेवन करें. अपने अंदर किसी भी नेगेटिव चीजों को न आने दे. अगर आपको लगता है कि आपके अंदर किसी बात को लेकर नेगेटिविटी आ रही है तो अपने परिजनों से बात करें. अपने दिमाग को किसी अन्य काम में व्यस्त रखें.

    इसे भी पढ़ें- यूपी को मिली कोरोना वैक्सीन, क्लस्टर मॉडल से पकड़ी रफ्तार

लखनऊ: कोरोना वायरस का असर जन जीवन के ऊपर बहुत ही गहरा पड़ा है. डॉक्टर्स बताते हैं कि पोस्ट कोविड के मरीज ज्यादा संख्या में अवसाद से ग्रसित हो रहे हैं. क्योंकि एक बार जिसे कोरोना हो चुका है. उसे दोबारा कोरोना होने का डर लग रहा हैं. ऐसा इसलिए भी हैं क्योंकि मरीज ने अस्पतालों का ऐसा दृश्य देखा है. जिसे वह भूल नहीं पा रहे हैं. सरकारी अस्पताल में पोस्ट कोविड के मरीज मनोरोग विभाग में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह से जानते हैं कि अवसाद से उभरने के लिए क्या करें. मरीज अपने जीवनशैली में क्या बदलाव करें.

पोस्ट कोविड मरीज ज्यादा अवसाद से पीड़ित
डॉ. दीप्ति सिंह बताती हैं कि इन दिनों अस्पताल में पोस्ट कोविड इलाज के लिए ज्यादा आ रहे हैं. यहां तक कि कुछ युवा भी ऐसे हैं जो अवसाद के शिकार हुए हैं. एक बार जिसे कोरोना हो चुका है. उसके दिमाग में डर बैठ गया हैं. कहीं फिर से कोरोना न हो जाए. ऐसे में मरीज को दौरे पड़ते हैं. डर लगता है. डर से अचानक सोते-सोते रात में जग जाते हैं. नींद में चलने लगते हैं यह सारी समस्याएं होती है. जिसकी वजह से घर वाले मरीज को अस्पताल ले आते हैं.

जानकारी देती मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह.

डॉ. दीप्ति बताती हैं कि जब से ओपीडी खुली है तब से 120 मरीजों को रोजाना देखा जाता है जिसमें से 25 मरीज पोस्ट कोविड के होते हैं जो अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं उनके अंदर डर बैठ जाता है. कहीं उन्हें फिर से कोरोना न हो जाए. बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो कोरोना काल में निगेटिविटी के शिकार हो गए हैं जिन्हें हर बात में निगेटिव सोच आती हैं.

खुद को रखें व्यस्त
डॉ. दीप्ति बताती है कि अगर आपको अवसाद से उभरना है तो सबसे पहले आप अपने आप को जितना हो सके उतना अन्य काम में व्यस्त रखें. कोरोना काल में जो लोग खाली रहे हैं. टेलीविजन पर अस्पतालों की स्थिति, मरीजों की स्थिति देखे हैं. उनके दिमाग में एक दृश्य बन गया हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता. इसी नेगेटिविटी की वजह से लोग ज्यादा परेशान हो रहे हैं. दिमाग में बार-बार किसी एक ही बात को सोचना लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा हैं.

नेगेटिविटी को बदले पॉजिटिविटी में
डॉक्टर बताती हैं कि अब लोगों को समझना चाहिए कि कोरोना की दूसरी लहर समाप्त हो चुकी है. वहीं तीसरी लहर के आने की संभावना बनी हुई है. ऐसे में सतर्क रहें. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें और अगर आप घर में ही रह रहे हैं तो अपने आप को व्यस्त रखेंगे तो नेगेटिविटी का ज्यादा प्रभाव आपके ऊपर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जब किसी व्यक्ति के ऊपर नेगेटिविटी का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा तो वह अवसाद से भी ग्रसित नहीं होगा. लोगों को अपनी सोच को बदलना होगा और समय के अनुकूल बात को समझना चाहिए. नेगेटिविटी को पॉजिटिविटी में बदलने के लिए लोगों को माइंड मेकअप कर लेना चाहिए.

जीवनशैली में करें ये बदलाव

  • सबसे पहले तो योग और मेडिटेशन नियमित रूप से करें. नॉर्मल व्यक्ति है उसे भी अपनी दिनचर्या में योग और मेडिटेशन को शामिल करना चाहिए.
  • खाने-पीने के समय का विशेष ध्यान रखा करें. बहुत सारे लोग होते हैं जिनके खाने-पीने का कोई समय निर्धारित नहीं होता है. ऐसे में उनका पूरा रूटीन बिगड़ जाता है. यहां तक की सेहत पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है.
  • सही समय पर जगने और सही समय पर सोने की आदत बनाएं.
  • अपने आप को जितना हो सके उतना काम में व्यस्त रखें. बुक पर है, इंटरनेट पर उपलब्ध समसामयिकी मुद्दों पर जानकारी लें, वीडियो गेम खेलें, घरवालों से बातचीत करें, दोस्तों से बातचीत करें.
  • आखिरी में डॉक्टर द्वारा चलाई जा रही दवाओं का समय से और नियमित सेवन करें. अपने अंदर किसी भी नेगेटिव चीजों को न आने दे. अगर आपको लगता है कि आपके अंदर किसी बात को लेकर नेगेटिविटी आ रही है तो अपने परिजनों से बात करें. अपने दिमाग को किसी अन्य काम में व्यस्त रखें.

    इसे भी पढ़ें- यूपी को मिली कोरोना वैक्सीन, क्लस्टर मॉडल से पकड़ी रफ्तार
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