लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने इस कार्यकाल का अंतिम और पूर्ण बजट पेश कर दिया है. सरकार के इस बजट में गावों के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है. बजट का करीब 10 फीसदी हिस्सा ग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग के लिए रखा गया है. गांवों पर योगी सरकार की ये मेहरबानी यूं ही नहीं है, इसके पीछे छिपे सियासी संकेत भी है, जहां से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक तीर दो निशाना साधने की कोशिश की है.
कृषि कानूनों के खिलाफ देश में चल रहे किसान आंदोलन से सभी बखूबी वाकिफ हैं. किसानों में केंद्र सरकार को लेकर बन रहे नकारात्मक माहौल को कम करने के लिए यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने ग्रमीण विकास और पंचायती राज विभाग के लिए बड़े बजट का एलान किया है. यही नहीं राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी भी शुरू हो गई है. इस चुनाव में ग्रामीण जनता या यूं कहें कि किसानों की सीधी भागीदारी है. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में योजनाओं के क्रियान्वयन और गांवों के विकास के सहारे सरकार की कोशिश अपने वोट बैंक बनाए रखने के साथ-साथ जनता में एक भरोसा भी कायम रखने की है.
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पंचायती राज व ग्राम्य विकास विभाग के लिए 47 हजार करोड़
ग्रामीण विकास के लिए इतने बड़े बजट के प्रावधान पर ईटीवी भारत ने पंचायती राज व ग्राम्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह से बात की. उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में पंचायती राज विभाग व ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत ग्रामीण विकास पर अधिक ध्यान दिया गया है. इन दोनों विभागों के अंतर्गत विकास कार्यों को लेकर सरकार की हमेशा से वरीयता रही है. राज्य सरकार के कुल बजट का 10 फीसद हिस्सा इन दोनों विभागों को मिला है. यह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण बात है. दोनों विभागों के अगर संयुक्त बजट की बात करें तो करीब 47 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को नई गति मिल सकेगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी यही मंशा है कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास तेजी से हो और इसीलिए बजट में इतने बड़े प्रावधान किए गए हैं.
ग्रामीण विकास को रफ्तार देने की कवायद
बजट उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुख्य रूप से ग्रामीण विकास के अंतर्गत पंचायती राज विभाग व ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत तमाम बड़े प्रावधान किए हैं. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास किया जा सके और विकास की गति को धरातल पर तेजी से रफ्तार दी जा सके. जब ग्रामीण क्षेत्रों का विकास तेजी से होगा तो स्वाभाविक रूप से इसका सियासी लाभ भी सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी को मिल सकेगा. योगी आदित्यनाथ सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में मुख्य रूप से ग्रामीण विकास को लेकर ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग के अंतर्गत जो बड़े प्रावधान किए हैं वह इस प्रकार हैं...
इन क्षेत्रों के लिए यह बजट में व्यवस्था
पंचायती राज के लिए करीब 712 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. इसी प्रकार ग्राम पंचायतों में बहुउद्देशीय पंचायत भवनों के निर्माण के लिए भी सरकार ने ₹20 करोड़ की व्यवस्था सुनिश्चित की है. इसके साथ ही प्रत्येक न्याय पंचायत में चंद्रशेखर आजाद ग्रामीण विकास सचिवालय की स्थापना किए जाने को लेकर बजट में ₹10 करोड़ की व्यवस्था निर्धारित की गई है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत ₹25 करोड़ का प्रावधान बजट में किया गया है.
ये भी व्यवस्था, तेज होगा ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
इसी प्रकार राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजना के अंतर्गत 653 करोड़ रुपये की व्यवस्था का बजट में प्रावधान है. इसी के साथ ही ई-गवर्नेंस के विस्तार के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तिकरण योजना के लिए 4 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत 7 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है. मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत ₹369 करोड़ का प्रावधान बजट में है.
मनरेगा के लिए ये बजट में प्रावधान
मनरेगा के अंतर्गत 33 करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजन करने का लक्ष्य रखा गया है और इसके लिए 5 हजार 548 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत भी 5000 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में की गई है.
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बजट में किसानों के लिए किए गए प्रावधान
वहीं दूसरी तरफ देखें तो कृषि कानूनों को लेकर किसानों का गुस्सा बीजेपी सरकार के खिलाफ बढ़ता ही जा रहा है. किसान आंदोलन अब पश्चिमी यूपी के अलावा भी कई इलाकों में असर डाल रहा है. ऐसे में चुनावी साल होने के चलते योगी सरकार ने बजट के जरिए किसानों की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की है. राज्य में करीब 300 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जिसमें किसानों का दबदबा माना जाता है. इस लिहाज से देखें तो सरकार किसानों की नाराजगी को लंबा नहीं खींचना चाहती है. खासकर पश्चिमी यूपी के किसानों साधने के लिए योगी सरकार ने गन्ना किसानों के चार साल में किए भुगतान का भी जिक्र कर यह बताने की कोशिश की है अब तक की सभी सरकारों से ज्यादा बीजेपी के कार्य काल में भुगतान किए गए हैं.
किसानों के हित के लिए सरकार ने कई प्रवाधान किए हैं, इस बजट के माध्यम से सरकार किसानों की आय साल 2022 तक दो गुना करने के लक्ष्य को भी पूरा करना चाहती है. इसके लिए प्रमुख रूप से-
- किसानों को मुफ्त पानी की सुविधा के लिए बजट में 700 करोड़ रुपये मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा गया है.
-फसली ऋण उपलब्ध कराए जाने के लिए अनुदान के लिए 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है.
-सरकार ने एक फीसदी ब्याज के दर पर किसानों को कर्ज मुहैया कराने की बात कही है.
-प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान के अन्तर्गत वित्तीय 2021-22 में 15 हजार सोलर पम्पों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है.