लखनऊ : समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री और हाल ही में विधायकी खो चुके आजम खान को कोर्ट ने तीन साल व बीजेपी विधायक रहे विक्रम सिंह सैनी को दो साल की सजा क्या सुनाई. उनका राजनीतिक भविष्य खत्म होने के मुहाने पर है. इन दोनों नेताओं के अलावा बीते कुछ वर्षों में मुकदमों को अपनी शान समझने वाले मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद समेत दर्जनों कद्दावर नेताओं के भी राजनीतिक सफर पर पूर्ण विराम लग चुका है. आइये जानते हैं कि कानून के शिकंजे में फंसे किन माननीयों का राजनीतक कॅरियर ही चौपट हो गया.
उत्तर प्रदेश में राजनीति का अपराधीकरण दशकों पुरानी विरासत बन चुकी थी. जिस राजनीतिक दल में जितने अपराधी जीत कर विधानसभा पहुंचते थे. मजबूती उसी की मानी जाती थी. लिहाजा कुछ राजनेता मुकदमों को अपनी शान समझने लगे थे. बीते कुछ वर्षों में एमपी/एमएलए कोर्ट ने फैसले सुनाए तो आजम खान, मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा, अतीक अहमद जैसे कई कद्दावर नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर पूर्ण विराम लग गया.
आजम खान (Aajam Khan) : उत्तर प्रदेश में सियासत की गलियारों में अपने नाम की धमक रखने वाले सपा के कद्दावर नेता आजम खान को हेट स्पीच के मामले में कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है. आजम पर दर्ज 90 से अधिक मामलों में पहली बार सजा हुई है. ऐसे में नौ बार के विधायक, लोक सभा व राज्य सभा सदस्य और कई बार के मंत्री रहे आजम खान की विधायकी रद्द कर दी गई है. साथ ही अगले छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी गई है. इस फैसले से 74 साल के आजम खान का राजनीतक भविष्य खत्म हो गया है. आजम खान के ऊपर अब भी चोरी, लूट, भ्रष्टाचार व मनी लाॅड्रिंग समेत 90 से ज्यादा मुकदमें विचाराधीन हैं.
गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad prajapati) : समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व अखिलेश यादव की सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति रेप के मामले में लखनऊ जेल में बंद हैं. बीते साल कोर्ट ने इसी मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो शान-ओ-शौकत से चल रहे उनके राजनीतिक सफर पर पूर्णविराम लग गया. गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने से लेकर अरब पति बनने वाले गायत्री प्रसाद पर अखिलेश सरकार के दौरान खनन घोटाले के आरोप लगे और केस भी दर्ज हुए.
कुलदीप सेंगर (Kuldeep Sengar) : सपा, बसपा व भाजपा से चार बार के विधायक रहे कुलदीप सेंगर के योगी सरकार के दौरान सितारे बुलंद थे. कद्दावर नेताओं में उनकी गिनती होने लगी थी. दबंग पृष्ठभूमि के चलते जिले में भी खासा दबदबा था. वर्ष 2017 में उनके चमकते सितारे को ग्रहण लग गया. उन्हीं के गांव की रहने वाली नाबालिग ने रेप का आरोप लगाया और वर्ष 2019 में कोर्ट ने कुलदीप सेंगर आजीवन कारावास की सजा सुना दी. इसके बाद उनकी 30 साल की राजनीतिक पारी समाप्त हो गई.
अशोक चंदेल (Ashok Chandel) : बुंदेलखंड के कद्दावर नेता अशोक चंदेल का राजनीतिक भविष्य भी उनकी अपराधिक पृष्ठभूमि के चलते खतरे में पड़ गया. सपा, बसपा हो या फिर बीजेपी हर दल में पैठ रखने वाले अशोक चन्देल चार बार विधायक रहे और एक बार सांसद बने. इसके बाद 25 साल पहले पांच लोगों के सामूहिक हत्याकांड के मामले में उम्र कैद हो गई. इसके बाद विधायकी रद्द हुई और फिर अगले छह साल चुनाव लड़ने में रोक लगा दी गई. हालांकि अब उम्र भर चंदेल को जेल में ही रहना पड़ेगा.
विक्रम सिंह सैनी (Vikram Singh Saini): पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की खतौली से दो बार के विधायक रहे विक्रम सिंह सैनी को मुजफ्फरनगर दंगे का आरोपी मानते हुए कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है. हाल ही में यूपी विधानसभा ने उनकी सदस्यता रद्द करते हुए आगामी छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है.
अमर मणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi) : एक ऐसा नाम जिसे सियासत से इत्तेफाक रखने वाला शायद ही कोई व्यक्ति न जानता हो. अमर मणि त्रिपाठी की पहचान ऐसे सियासतदान के तौर पर थी, जो हर सत्ता का सहभागी था. हर दल के कार्यकाल में राजनीतिक धमक बनाए रखने में अमर मणि कोई सानी नहीं था. फिलहाल अमरमणि इन दिनों पत्नी के साथ जेल हैं. अमरमणि को मधुमिता हत्याकांड के मामलें में उम्रकैद की सजा हुई.
मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) : पश्चिमांचल से पूर्वांचल तक अपनी दबंग छवि व बाहुबल से राजनीति में एक छत्र राज किया. मौजूदा समय बांदा की जेल में बंद हैं और उनका गैंग पूरी तरह निस्तनाबूत हो चुका है. राजनीतिक भविष्य पर भी सितंबर 2022 में तब फुलस्टॉप लग गया जब जेलर को धमकाने के मामले में सात साल की सजा सुनाई गई. यह पहली बार था जब मुख्तार को किसी मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई. हालांकी मुख्तार ने राजनीति से किनारा 2022 के विधानसभा चुनाव में ही कर लिया था.
अतीक अहमद (ateek Ahmed) : पूर्वांचल का माफिया डॉन और गुजरात की जेल में बंद अतीक अहमद का भी राजनीतिक भविष्य भी अस्त की ओर है. वजह उसके खिलाफ दर्ज मामलों की कोर्ट में तेज पैरवी है. कई मामलों मे उसके ऊपर आरोप तय किए जा चुके हैं. पांच बार विधायक व एक बार सांसद रहे अतीक अहमद समाजवादी पार्टी, बसपा व अपना दल में रह चुके हैं.
विजय मिश्रा (Vijay Mishra) : यूपी की सियासत में अपनी आपराधिक छवि के बल पर राजनीति में कदम रखा और चार बार माननीय बना. भदोही से चार बार के विधायक रहे विजय मिश्रा का भी राजनीतिक कॅरियर समाप्ति की ओर है. विजय मिश्रा के खिलाफ एक वक़्त 64 मुकदमे दर्ज थे और 2017 के चुनाव में दिए गए हलफनामे में 16 मुकदमे दिखाए गए थे. भदोही की ज्ञानपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले विजय मिश्रा को बीते महीने वर्ष 2013 में दर्ज हुए एक केस में ढाई साल की सजा हुई और उनका राजनीतिक सफर थम गया. फिलहाल विजय ने अपनी राजनीति विरासत अपनी बेटी को सौंप दी है.
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सदस्यता रद्द होने का प्रावधान : जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके पटनायक व जस्टिस एसजे मुखोपध्याय की पीठ ने वकील लिली थोमस व सामाजिक कार्यकर्ता एसएन शुक्ला की पीआईएल पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति से अपराधियों को दूर रखने के फैसला सुनाया था. जिसके मुताबिक सांसद-विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तिथि से ही अयोग्य हो जाएंगे. अगर जनप्रतिनिधियों को कोर्ट दो साल या अधिक की सजा सुनाता है तो उसकी सदस्यता तो रद्द होगी. साथ ही अगले छह साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाएगी.