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अखिलेश के गोमती को टेम्स नदी बनाने के ख्वाब पर मंडरा रहे संकट के बादल - lucknow latest news

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के गोमती को लंदन की गंगा कही जाने वाली टेम्स नदी बनाने के ख्वाब पर संकट गहराता जा रहा है. रिवर फ्रंट घोटाला मामले में सीबीआई की टीम ने लखनऊ समेत यूपी में 40 ठिकानों पर छापेमारी की है. इसकी जांच हुई सपा के दिग्गज नेता भी लपेटे में आ सकते हैं. मामले में कई तरह की प्रतिक्रियाएं जा रही हैं. सुनिए इस मामले में राजनीतिक विश्लेषण...

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव.
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Published : Jul 5, 2021, 10:28 PM IST

लखनऊ: राजधानी में लंदन का अक्स नजर आए इसे लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में एक ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू कराया. यह प्रोजेक्ट था रिवर फ्रंट का. अखिलेश का ख्वाब था कि लखनऊ की गोमती नदी लंदन की टेम्स नदी की तरह खूबसूरत नजर आए. उन्होंने गोमती नदी पर रिवर फ्रंट का काम शुरू कराया. निर्माण कार्य शुरू हुआ तो पूरा भी समय से हो, इसके लिए अखिलेश यादव लगातार अधिकारियों पर सख्त रुख भी अख्तियार करते रहे. हालांकि अखिलेश का यह ख्वाब पूरा नहीं हो पाया. अधूरे ख्वाब के साथ ही अखिलेश की सरकार भी चली गई. गोमती नदी तो टेम्स नदी जैसी नहीं बन पाई, लेकिन अखिलेश पर संकट के बादल जरूर मंडराने लगे.

अधूरा रह गया अखिलेश का ख्वाब

लंदन की टेम्स नदी को दुनिया की खूबसूरत नदियों में एक माना जाता है. अखिलेश यादव लंदन की सैर भी करते रहते हैं. लिहाजा, जब वे उत्तर प्रदेश में सरकार में आए और इस सरकार का नेतृत्व उनके हाथ में आया, तो उन्होंने लखनऊ की गोमती नदी को भी टेम्स नदी जैसी बनाने का ख्वाब सजाया. अखिलेश ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पंख लगाने के लिए काम भी शुरू करवा दिया. जिस गोमती नदी के आस-पास से गुजरने से भी दुर्गंध आती थी, उसे साफ-सुथरा करने के लिए अधिकारी मैदान में उतर पड़े. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट शुरू करने के साथ ही नदी में गिरने वाले सीवर को भी बंद करने पर जोर दिया गया. गोमती नदी साफ भी हुई, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर पानी की तरह जो पैसा बहाया गया, उसके मुताबिक काम नहीं हुआ. दरअसल, वह पूरा पैसा इस प्रोजेक्ट पर खर्च न होकर सरकार के अपने लोगों और चहेतों की जेब भरने में खर्च हो रहा था. यही वजह थी कि अखिलेश की सरकार जाते-जाते भी रिवर फ्रंट का काम पूरा नहीं हो पाया. गोमती अभी भी टेम्स नदी नहीं बन पाई है.

रिवर फ्रंट घोटाला पर राजनीतिक विश्लेषण.

पढ़ें-रिवर फ्रंट घोटालाः सीबीआई की लखनऊ समेत यूपी में 40 ठिकानों पर छापेमारी

बजट खर्च लेकिन काम अधूरा

गोमती नदी के रिवर फ्रंट का काम पूरा नहीं हो पाया, लेकिन बजट खर्च हो गया. लगभग 95% धनराशि प्रोजेक्ट पूरे किए बिना ही कैसे खर्च हुई, इसे लेकर अब सीबीआई लगातार शिकंजा कस रही है. इस पूरे मामले की पहले योगी सरकार ने न्यायिक जांच कराई उसके बाद इसकी जांच सीबीआई के हवाले सौंप दी. अब सीबीआई जांच कर रही है कि लगभग 1513 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में से 1437 करोड़ रुपये कैसे खर्च हो गए, जबकि रिवर फ्रंट का काम 60 फीसद भी पूरा नहीं हो पाया. बता दें कि कई अधिकारियों पर इस पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है. जेल में भी कई अधिकारी बंद हैं.

खूबसूरती पर योगी सरकार दे रही ध्यान

अखिलेश सरकार में भले ही गोमती नदी टेम्स नदी का रूप धारण न कर पाई हो, लेकिन योगी सरकार ने गोमती नदी की साफ-सफाई पर पूरा ध्यान दिया है. गोमती नदी से जलकुंभी को साफ कराया. गोमती का पानी स्वच्छ रहे, इसको लेकर भी योगी सरकार ने काम कराया, साथ ही रिवर फ्रंट की खूबसूरती के लिए यहां पर लाइटों की व्यवस्था भी सरकार ने कराई है. सुबह और शाम के समय बड़ी संख्या में लोग गोमती नदी पर खूबसूरती का लुत्फ उठाने आते हैं. यहां की शाम और रात देखने लायक होती है.

एक न एक दिन अखिलेश यादव को जवाब जरूर देना पड़ेगा

राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा कहते हैं कि रिवर फ्रंट की जो जांच है, उसे आज की तारीख में जिस तरह की छापेमारी की जा रही है. उसे पॉलिटिकल तो देखा ही जाना चाहिए, लेकिन पॉलिटिकल के साथ-साथ करप्शन के लहजे से भी न देखा जाए तो जस्टिस नहीं होगा. आखिर इतना बड़ा प्रोजेक्ट था, वह क्यों पूरा नहीं हुआ? उस प्रोजेक्ट में कितने पैसे लगने चाहिए थे और कितने लगने के बाद भी प्रोजेक्ट अपनी पूरी शक्ल अख्तियार नहीं कर पाया, यह सवाल महत्वपूर्ण है. अखिलेश यादव को कभी न कभी यह जवाब जरूर देना पड़ेगा. भारतीय जनता पार्टी को भी ये जवाब देना पड़ेगा कि आखिर इस थोड़े से पैसे जो बचे थे, इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए उसको लगाकर के प्रोजेक्ट पूरा क्यों नहीं किया गया? ठीक है यह टेम्स नदी नहीं बन सकी, लेकिन यहां पर रात को लोग घूमने आते हैं. यहां पर रात की दुनिया और रात का लखनऊ नजर आता है. वहां बच्चे, लड़के, महिला, पुरुष दिखाई देते हैं. लोगों के लिए रिवर फ्रंट का अपना टेस्ट है. अखिलेश यादव को पूरा पैसा लगाकर इस प्रोजेक्ट को पूरा कराना चाहिए था और इस सरकार को चाहिए था कि जांच चलने देती, लेकिन इस कार्य को पूरा कराना चाहिए था. सरकार को इस पर जरूर ध्यान देना चाहिए था. इसका जनता को लाभ मिलता. अब यह छापेमारी चल रही है यह तो भारत में पॉलिटिक्स का एक हिस्सा है, यहां पर ऐसे ही होता रहा है.


पढ़ें- रिवर फ्रंट घोटालाः राजस्थान तक पहुंची आंच, भिवाड़ी में CBI ने की छापेमारी

टेम्स नदी ?

टेम्स नदी अथवा 'थेम्स नदी' यूरोप की प्रमुख नदी है. टेम्स नदी दुनिया की सबसे महान और बड़ी पुरातात्विक जगहों में से एक है. इसके किनारे से मिली चीजों के जरिये ब्रिटेन का पूरा इतिहास बताया जा सकता है. इस नदी को 'लंदन की गंगा' भी कहा जाता है. विश्व के प्रसिद्ध नगरों में से एक लंदन टेम्स नदी के किनारे ही बसा है.

पढ़ें- कानपुर में भी बनेगा गंगा रिवर फ्रंट, शहर की खूबसूरती में लगेगा चार चांद
पढ़ें- गोमती रिवर फ्रंट घोटालाः आरोपी इंजीनियर रूप सिंह यादव और अन्य पर मुकदमा चलाने की अनुमति
पढ़ें-गोमती रिवर फ्रंट घोटाला: सिंचाई विभाग के तत्कालीन अभियंता अधीक्षण रूप सिंह यादव की की जमानत अर्जी खारिज

लखनऊ: राजधानी में लंदन का अक्स नजर आए इसे लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में एक ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू कराया. यह प्रोजेक्ट था रिवर फ्रंट का. अखिलेश का ख्वाब था कि लखनऊ की गोमती नदी लंदन की टेम्स नदी की तरह खूबसूरत नजर आए. उन्होंने गोमती नदी पर रिवर फ्रंट का काम शुरू कराया. निर्माण कार्य शुरू हुआ तो पूरा भी समय से हो, इसके लिए अखिलेश यादव लगातार अधिकारियों पर सख्त रुख भी अख्तियार करते रहे. हालांकि अखिलेश का यह ख्वाब पूरा नहीं हो पाया. अधूरे ख्वाब के साथ ही अखिलेश की सरकार भी चली गई. गोमती नदी तो टेम्स नदी जैसी नहीं बन पाई, लेकिन अखिलेश पर संकट के बादल जरूर मंडराने लगे.

अधूरा रह गया अखिलेश का ख्वाब

लंदन की टेम्स नदी को दुनिया की खूबसूरत नदियों में एक माना जाता है. अखिलेश यादव लंदन की सैर भी करते रहते हैं. लिहाजा, जब वे उत्तर प्रदेश में सरकार में आए और इस सरकार का नेतृत्व उनके हाथ में आया, तो उन्होंने लखनऊ की गोमती नदी को भी टेम्स नदी जैसी बनाने का ख्वाब सजाया. अखिलेश ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पंख लगाने के लिए काम भी शुरू करवा दिया. जिस गोमती नदी के आस-पास से गुजरने से भी दुर्गंध आती थी, उसे साफ-सुथरा करने के लिए अधिकारी मैदान में उतर पड़े. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट शुरू करने के साथ ही नदी में गिरने वाले सीवर को भी बंद करने पर जोर दिया गया. गोमती नदी साफ भी हुई, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर पानी की तरह जो पैसा बहाया गया, उसके मुताबिक काम नहीं हुआ. दरअसल, वह पूरा पैसा इस प्रोजेक्ट पर खर्च न होकर सरकार के अपने लोगों और चहेतों की जेब भरने में खर्च हो रहा था. यही वजह थी कि अखिलेश की सरकार जाते-जाते भी रिवर फ्रंट का काम पूरा नहीं हो पाया. गोमती अभी भी टेम्स नदी नहीं बन पाई है.

रिवर फ्रंट घोटाला पर राजनीतिक विश्लेषण.

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बजट खर्च लेकिन काम अधूरा

गोमती नदी के रिवर फ्रंट का काम पूरा नहीं हो पाया, लेकिन बजट खर्च हो गया. लगभग 95% धनराशि प्रोजेक्ट पूरे किए बिना ही कैसे खर्च हुई, इसे लेकर अब सीबीआई लगातार शिकंजा कस रही है. इस पूरे मामले की पहले योगी सरकार ने न्यायिक जांच कराई उसके बाद इसकी जांच सीबीआई के हवाले सौंप दी. अब सीबीआई जांच कर रही है कि लगभग 1513 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में से 1437 करोड़ रुपये कैसे खर्च हो गए, जबकि रिवर फ्रंट का काम 60 फीसद भी पूरा नहीं हो पाया. बता दें कि कई अधिकारियों पर इस पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है. जेल में भी कई अधिकारी बंद हैं.

खूबसूरती पर योगी सरकार दे रही ध्यान

अखिलेश सरकार में भले ही गोमती नदी टेम्स नदी का रूप धारण न कर पाई हो, लेकिन योगी सरकार ने गोमती नदी की साफ-सफाई पर पूरा ध्यान दिया है. गोमती नदी से जलकुंभी को साफ कराया. गोमती का पानी स्वच्छ रहे, इसको लेकर भी योगी सरकार ने काम कराया, साथ ही रिवर फ्रंट की खूबसूरती के लिए यहां पर लाइटों की व्यवस्था भी सरकार ने कराई है. सुबह और शाम के समय बड़ी संख्या में लोग गोमती नदी पर खूबसूरती का लुत्फ उठाने आते हैं. यहां की शाम और रात देखने लायक होती है.

एक न एक दिन अखिलेश यादव को जवाब जरूर देना पड़ेगा

राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा कहते हैं कि रिवर फ्रंट की जो जांच है, उसे आज की तारीख में जिस तरह की छापेमारी की जा रही है. उसे पॉलिटिकल तो देखा ही जाना चाहिए, लेकिन पॉलिटिकल के साथ-साथ करप्शन के लहजे से भी न देखा जाए तो जस्टिस नहीं होगा. आखिर इतना बड़ा प्रोजेक्ट था, वह क्यों पूरा नहीं हुआ? उस प्रोजेक्ट में कितने पैसे लगने चाहिए थे और कितने लगने के बाद भी प्रोजेक्ट अपनी पूरी शक्ल अख्तियार नहीं कर पाया, यह सवाल महत्वपूर्ण है. अखिलेश यादव को कभी न कभी यह जवाब जरूर देना पड़ेगा. भारतीय जनता पार्टी को भी ये जवाब देना पड़ेगा कि आखिर इस थोड़े से पैसे जो बचे थे, इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए उसको लगाकर के प्रोजेक्ट पूरा क्यों नहीं किया गया? ठीक है यह टेम्स नदी नहीं बन सकी, लेकिन यहां पर रात को लोग घूमने आते हैं. यहां पर रात की दुनिया और रात का लखनऊ नजर आता है. वहां बच्चे, लड़के, महिला, पुरुष दिखाई देते हैं. लोगों के लिए रिवर फ्रंट का अपना टेस्ट है. अखिलेश यादव को पूरा पैसा लगाकर इस प्रोजेक्ट को पूरा कराना चाहिए था और इस सरकार को चाहिए था कि जांच चलने देती, लेकिन इस कार्य को पूरा कराना चाहिए था. सरकार को इस पर जरूर ध्यान देना चाहिए था. इसका जनता को लाभ मिलता. अब यह छापेमारी चल रही है यह तो भारत में पॉलिटिक्स का एक हिस्सा है, यहां पर ऐसे ही होता रहा है.


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टेम्स नदी ?

टेम्स नदी अथवा 'थेम्स नदी' यूरोप की प्रमुख नदी है. टेम्स नदी दुनिया की सबसे महान और बड़ी पुरातात्विक जगहों में से एक है. इसके किनारे से मिली चीजों के जरिये ब्रिटेन का पूरा इतिहास बताया जा सकता है. इस नदी को 'लंदन की गंगा' भी कहा जाता है. विश्व के प्रसिद्ध नगरों में से एक लंदन टेम्स नदी के किनारे ही बसा है.

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