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लखनऊ: पिंक बस से महिला यात्रियों को राहत, महिला कंडक्टरों की हो रही आफत

यूपी परिवहन ने महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए पिंक बसों का संचालन शुरू किया है. महिला कंडक्टरों की तैनाती भी इन बसों पर की गई लेकिन देश भर के किसी भी बस स्टेशन पर महिलाओं के लिए डॉरमेट्री की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में देर रात किसी बस स्टेशन पर बस लेकर पहुंचने वाली महिला परिचालक इधर-उधर ही भटकती रहती हैं.

पिंक बस से महिला यात्रियों को राहत, महिला कंडक्टरों की हो रही आफत
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Published : Apr 3, 2019, 7:39 PM IST

लखनऊ: यूपी परिवहन निगम ने निर्भया फंड के तहत प्रदेश मेंपिंक बसों का संचालन शुरू किया. सुरक्षा तकनीकी से लैस इन पिंक बसों का सफर भले ही महिला यात्रियों को रास आ रहा हो, लेकिन यही पिंक बसें रोडवेज की महिला कंडक्टरों की जान की आफत बन गई हैं. वजह है कि प्रदेश भर के किसी भी बस स्टेशन पर महिलाओं के लिए डॉरमेट्री की कोई व्यवस्था न होना.ऐसे में देर रात किसी बस स्टेशन पर बस लेकर पहुंचने वाली महिला परिचालक इधर-उधर ही भटकती रहती हैं


यूपी रोडवेज ने इन पिंक बसों का उद्घाटन पिछले माह शुरू किया था. पिंक बसों में महिला सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया. महिला कंडक्टरों की तैनाती भी इन बसों पर की गई . अगर सफर के दौरान उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी होती है और कोई छेड़छाड़ या अभद्रता करता है तो सीट पर ही पैनिक बटन लगाए गए हैं, साथ ही सीसीटीवी कैमरे से भी ये बसें लैस हैं. पैनिक बटन दबाते ही यूपी हंड्रेड को अलर्ट जाता है इसके बाद डायल हंड्रेड को मैसेज भेज कर सहायता के लिए जिस रूट पर पिंक बस होती वहां भेज दिया जाता है.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पाण्डेय


वहीं परिवहन निगम की इंटरसेप्टर भी सहायता के लिए रूट पर ही मौजूद रहती हैं.. बसों के अंदर सफर में महिलाएं सेफ हैं लेकिन बस से बाहर निकलते ही महिला कंडक्टर पूरी तरह अनसेफ है. महिला परिचालक इन बसों पर इसलिए ड्यूटी करना नहीं चाहती हैं. क्योंकि यह लांग रूट पर संचालित होती हैं और शाम तक वापस महिला परिचालक अपने घरों तक नहीं पहुंच पाती हैं. लिहाजा, रात में उन्हें न अपने घर जाने के लिए ही साधन मिलता है और न ही बस स्टेशन पर कोई सेफ प्लेस है जहां पर वे ठहर सकें.

वहीं पिंक बस पर महिला कंडक्टरों को हो रही इस गंभीर समस्या का सवाल जब 'ईटीवी भारत' ने यूपी परिवहन निगम केएमडी धीरज साहू के सामने उठाया तो उन्होंने इसे स्वीकारते हुए समस्या के समाधान की बात कही. एमडी ने कहा कि इस समस्या की तरफ हमारा ध्यान नहीं गया. आपने इस समस्या को सामने लाया है निश्चित तौर पर यह गंभीर विषय है. महिला कंडक्टर्स के लिए बस स्टेशनों को चिन्हित कर जल्द ही डॉरमेट्री की व्यवस्था कराएंगे जिससे उन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े.

लखनऊ: यूपी परिवहन निगम ने निर्भया फंड के तहत प्रदेश मेंपिंक बसों का संचालन शुरू किया. सुरक्षा तकनीकी से लैस इन पिंक बसों का सफर भले ही महिला यात्रियों को रास आ रहा हो, लेकिन यही पिंक बसें रोडवेज की महिला कंडक्टरों की जान की आफत बन गई हैं. वजह है कि प्रदेश भर के किसी भी बस स्टेशन पर महिलाओं के लिए डॉरमेट्री की कोई व्यवस्था न होना.ऐसे में देर रात किसी बस स्टेशन पर बस लेकर पहुंचने वाली महिला परिचालक इधर-उधर ही भटकती रहती हैं


यूपी रोडवेज ने इन पिंक बसों का उद्घाटन पिछले माह शुरू किया था. पिंक बसों में महिला सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया. महिला कंडक्टरों की तैनाती भी इन बसों पर की गई . अगर सफर के दौरान उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी होती है और कोई छेड़छाड़ या अभद्रता करता है तो सीट पर ही पैनिक बटन लगाए गए हैं, साथ ही सीसीटीवी कैमरे से भी ये बसें लैस हैं. पैनिक बटन दबाते ही यूपी हंड्रेड को अलर्ट जाता है इसके बाद डायल हंड्रेड को मैसेज भेज कर सहायता के लिए जिस रूट पर पिंक बस होती वहां भेज दिया जाता है.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पाण्डेय


वहीं परिवहन निगम की इंटरसेप्टर भी सहायता के लिए रूट पर ही मौजूद रहती हैं.. बसों के अंदर सफर में महिलाएं सेफ हैं लेकिन बस से बाहर निकलते ही महिला कंडक्टर पूरी तरह अनसेफ है. महिला परिचालक इन बसों पर इसलिए ड्यूटी करना नहीं चाहती हैं. क्योंकि यह लांग रूट पर संचालित होती हैं और शाम तक वापस महिला परिचालक अपने घरों तक नहीं पहुंच पाती हैं. लिहाजा, रात में उन्हें न अपने घर जाने के लिए ही साधन मिलता है और न ही बस स्टेशन पर कोई सेफ प्लेस है जहां पर वे ठहर सकें.

वहीं पिंक बस पर महिला कंडक्टरों को हो रही इस गंभीर समस्या का सवाल जब 'ईटीवी भारत' ने यूपी परिवहन निगम केएमडी धीरज साहू के सामने उठाया तो उन्होंने इसे स्वीकारते हुए समस्या के समाधान की बात कही. एमडी ने कहा कि इस समस्या की तरफ हमारा ध्यान नहीं गया. आपने इस समस्या को सामने लाया है निश्चित तौर पर यह गंभीर विषय है. महिला कंडक्टर्स के लिए बस स्टेशनों को चिन्हित कर जल्द ही डॉरमेट्री की व्यवस्था कराएंगे जिससे उन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े.

Intro:महिला सुरक्षा वाली पिंक बस: महिला यात्रियों को दे रहीं राहत, महिला कंडक्टरों की हो रही आफत

लखनऊ। बस से सफर के दौरान महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें इसके लिए परिवहन निगम में निर्भया फंड के तहत 6 मार्च को पिंक बसों का संचालन शुरू किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन पिंक बसों को हरी झंडी दिखाई। सुरक्षा तकनीकी से लैस इन पिंक बसों का सफर भले ही महिला यात्रियों को रास आ रहा हो, लेकिन यही पिंक बसें रोडवेज की महिला कंडक्टरों की जान की आफत बन गई हैं। वजह है कि प्रदेश भर के किसी भी बस स्टेशन पर महिलाओं के लिए डॉरमेट्री की कोई व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में देर रात किसी बस स्टेशन पर बस लेकर पहुंचने वाली महिला परिचालक इधर-उधर ही भटकती रहती हैं। उनके रुकने की कोई भी व्यवस्था नहीं है। अब बड़ा सवाल यह है कि अगर महिला कंडक्टर के साथ किसी तरह की मिस हैपनिंग होती है तो इसका जिम्मेदार होगा तो कौन?


Body:रोडवेज ने इन पिंक बसों का उद्घाटन पिछले माह शुरू किया था। उन पिंक बसों में महिला सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया। महिला कंडक्टरों की ही तैनाती भी इन बसों पर की गई है। अगर सफर के दौरान उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी होती है। कोई छेड़छाड़ या अभद्रता करता है तो सीट पर ही पैनिक बटन लगाए गए हैं, साथ ही सीसीटीवी कैमरे से भी ये बसें लैस हैं। पैनिक बटन दबाते ही यूपी हंड्रेड को अलर्ट जाता है इसके बाद डायल हंड्रेड को मैसेज भेज कर सहायता के लिए जिस रूट पर पिंक बस होती वहां भेज दिया जाता है। परिवहन निगम की इंटरसेप्टर भी सहायता के लिए रूट पर ही मौजूद रहती हैं। बसों के अंदर सफर में महिलाएं सेफ हैं लेकिन बस से बाहर निकलते ही महिला कंडक्टर पूरी तरह अनसेफ है। महिला परिचालक इन बसों पर इसलिए ड्यूटी करना नहीं चाहती हैं क्योंकि यह लांग रूट पर संचालित होती हैं और शाम तक वापस महिला परिचालक अपने घरों तक नहीं पहुंच पाती हैं। लिहाजा, रात में उन्हें न अपने घर जाने के लिए ही साधन मिलता है और न ही बस स्टेशन पर कोई सेफ प्लेस है जहां पर वे ठहर सकें। बस के अंदर ड्राइवर के साथ रात में रुकना भी महिला कंडक्टरों के लिए खतरे से खाली नहीं है। वजह है कि कई बार चेकिंग के दौरान रोडवेज ड्राइवरों को शराब के नशे में धुत पाया गया है। ऐसे में पिंक बस पर चलने से महिला परिचालक घबरा रही हैं और उनका घबराना जायज भी है।

पिंक बस पर महिला कंडक्टरों को हो रही इस गंभीर समस्या का सवाल जब 'ईटीवी भारत' ने रोडवेज के एमडी के सामने उठाया तो उन्होंने इसे स्वीकारते हुए समस्या के समाधान की बात कही। एमडी ने कहा कि इस समस्या की तरफ हमारा ध्यान नहीं गया। आपने इस समस्या को सामने लाया है निश्चित तौर पर यह गंभीर विषय है। महिला कंडक्टर्स के लिए बस स्टेशनों को चिन्हित कर जल्द ही डॉरमेट्री की व्यवस्था कराएंगे जिससे उन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े।

धीरज साहू: प्रबंध निदेशक, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम


Conclusion:रोडवेज ने पिंक बसें तो चला दीं। महिला परिचालकों की ड्यूटी भी इन पर लगा दी। बस के अंदर तो सुरक्षा का पूरा इंतजाम कर दिया लेकिन बस से बाहर महिला कंडक्टरों की सुरक्षा की किसी ने कोई जिम्मेदारी नहीं उठाई। अब एमडी ने हामी भरी है तो बस स्टेशनों पर डॉरमेट्री की व्यवस्था होने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तब महिला परिचालक खुद को सेफ महसूस कर सकेंगी।
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