लखनऊ : राजधानी के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) में सस्ती दवाओं को रोकने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नियमित फार्मासिस्ट की तैनाती कर दी गई है. अब तक मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट तैनात नहीं थे. बता दें गरीब मरीजों को मिलने वाली सस्ती दवाओं की कालाबाजारी कर मार्केट में महंगे दाम में बेचे जाने का मामला सामने आया था.
केजीएमयू की कुलसचिव रेखा एस चौहान के आदेश जारी करते हुए हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के मेडिकल स्टोर में 15 नियमित फार्मासिस्टों को तैनात किया है. इन पर दवाओं के रख-रखाव से लेकर दूसरी जिम्मेदारी होगी. किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने पर इनकी जिम्मेदारी तय होगी. कुलसचिव ने पांच से सात साल से एक काउंटर पर जमे फार्मासिस्टों को एचआरएफ भेजा है. यह पहला मौका है जब फार्मासिस्टों के पटल परिवर्तन आदेश में पूर्व में तैनाती का स्थान व वर्ष का भी जिक्र किया गया है.
केजीएमयू में 15 एचआरएफ के मेडिकल स्टोर हैं. इनमें 30 से 70 फीसदी कम कीमत पर मरीजों को दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. रोजाना ओपीडी में पांच से छह हजार मरीज आ रहे हैं, जबकि 4500 बेड हैं. सभी बेड भरे होते हैं. इन काउंटर पर भर्ती व ओपीडी मरीजों को सस्ती दर पर दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं. ज्यादातर दवा काउंटर आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के भरोसे संचालित हो रहे थे. नतीजतन बड़ी संख्या में मरीजों की दवाओं की कालाबाजारी हो रही थी.
दरअसल, बीते वर्ष एसटीएफ ने केजीएमयू में दवाओं की कालाबाजारी का भंडाफोड़ किया था. इसमें आउटसोर्सिंग कर्मचारी भी पकड़ा गया था. जांच के बाद 10 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया था, अब केजीएमयू प्रशासन ने एचआरएफ काउंटर पर नियमित फार्मासिस्टों की तैनाती का फैसला किया है.
प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि "प्रदेशभर से इलाज के लिए मरीज केजीएमयू आते हैं. मरीजों के इलाज में दिक्कत ना हो इसलिए दवाओं की कालाबाजारी को रोकने के लिए केजीएमयू प्रशासन ने यह खास कदम उठाया है. केजीएमयू में एचआरएफ के मेडिकल स्टोर से 30 से 70 फ़ीसदी कम कीमत पर मरीज को दवाई उपलब्ध होगी."