लखनऊ : यूपी में फार्मासिस्टों का कार्य बहिष्कार आंदोलन पिछले तीन दिनों से जारी है. अभी वे दो घन्टे कार्य बहिष्कार कर रहे हैं. शनिवार को रैली निकालकर अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की. इसके साथ ही फार्मासिस्टों ने समस्या का निराकरण न होने पर, 17 दिसम्बर से पूरी तरह हड़ताल पर जाने का एलान किया है. बता दें, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले वेतन विसंगतियों समेत 20 सूत्रीय मांगों को लेकर, 16 दिसंबर तक फार्मासिस्ट दो-दो घंटे का कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं.
राजधानी लखनऊ में शनिवार को बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु, राम सागर मिश्र अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में डॉक्टर आठ बजे ओपीडी में बैठ गए. मगर, जब मरीज डॉक्टर को दिखाकर दवा काउंटर पर पहुंचे, तो वहां काउंटर बंद मिले. आठ से दस बजे तक फार्मासिस्टों ने दवा काउंटर बंद रखे. मरीजों को दवा नहीं मिली, इससे कई मरीज मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को मजबूर हुए. दवा काउन्टर के बाहर फार्मासिस्टों ने बैनर लेकर नारेबाजी भी की.
डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि प्रदेश भर के सभी सीएमओ कार्यालयों पर 4 दिसम्बर से धरना चल रहा है. इस दौरान मुख्यमंत्री को ज्ञापन के साथ ही प्रदेश के सभी फार्मेसिस्टों ने 5 से 8 दिसम्बर तक काला फीता बांधकर आंदोलन किया. गुरुवार से प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सालयों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, पुलिस, पीएसी चिकित्सालयों में सुबह दो घंटे कार्यबहिष्कार जारी है. वहीं आकस्मिक सेवाएं, पोस्टमार्टम , मेडिकोलीगल का काम चल रहा है.
'सुनवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज होगा'
बलरामपुर अस्पताल में प्रदेश अध्यक्ष संदीप बडोला के नेतृत्व में डीपीए संरक्षक केके सचान, महामंत्री उमेश मिश्रा, पूर्व प्रान्तीय कोषाध्यक्ष रजत यादव, जनपद शाखा लखनऊ कार्यकारी अध्यक्ष कपिल वर्मा के नेतृत्व में आंदोलन किया गया. सिविल अस्पताल सुनील यादव के नेतृत्व में कार्य बहिष्कार हुआ. कर्मियों ने परिसर में रैली निकाली. उन्होंने कहा कि सुनवाई न होने पर 17 दिसम्बर से पूरी तरह काम ठप कर दिया जाएगा.
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मांगों लेकर आवाज की बुलंद
प्रांतीय अध्यक्ष संदीप बडोला, महामंत्री उमेश मिश्रा ने कहा कि सरकार चिकित्सा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गंभीर नहीं दिख रही. यहां मानक के अनुसार पदों की संख्या कम हैं. इससे सेवाएं प्रभावित होती हैं. प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में मानक के अनुसार 2160 के स्थान पर 853 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 7200 पीएचसी की जगह 3621 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. वहीं, जिला महिला चिकित्सालयों को परिवर्तित कर मेडिकल कॉलेज बनाते समय चिकित्सालयों का मानक समाप्त हो जा रहा है, जिससे पदों में कमी हो जा रही है. चिकित्सालयों में भीड़ बढ़ती जा रही है.
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