लखनऊ: केंद्र सरकार की पुराने वाहनों के लिए लाई जा रही स्क्रैप पाॅलिसी का असर दिखना प्रारंभ हो गया है. राजधानी में समय सीमा पूरी कर चुके टेम्पो के परमिट रिनुअल नहीं हो रहे हैं. संभागीय परिवहन कार्यालय की तरफ से परमिट रिनुअल नहीं किए जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो इस संबंध में शासन स्तर से निर्देश जारी किए जाने की बात कही जा रही है. हालांकि, अभी शासन स्तर से कोई भी पत्र परिवहन विभाग को प्राप्त नहीं हुआ है. बावजूद इसके टेम्पो के परमिट रिनुअल पर रोक लगा दी गई है.
कई चरणों में पूरी होगी वाहनों की फिटनेस
बीते फरवरी माह में पेश किए गए बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्क्रैप पाॅलिसी की घोषणा की थी. इसके तहत एक अक्टूबर 2021 से स्क्रैप पाॅलिसी को लागू किया गया है. स्क्रैप पाॅलिसी के तहत 15 साल पुराने कॉमर्शियल वाहन और 20 साल पुराने निजी वाहन इसके दायरे में आएंगे. हालांकि 15-20 साल का समय पूरा कर चुके वाहनोंं को फिटनेस प्रक्रिया से गुजरना होगा. वाहनों की फिटनेस प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होगी. इसके बाद ही तय होगा कि ये वाहन स्क्रैप पाॅलिसी के दायरे में आ रहे हैं कि नहीं. वाहनों की फिटनेस के लिए पीपीपी माॅडल पर प्रदेश भर में फिटनेस सेंटर खोले जाएंगे.
1500 से अधिक टेम्पो कर चुके उम्र पूरी
राजधानी में 15 साल का समय पूरा कर चुके वाहनों की संख्या 1500 से अधिक है, जबकि राजधानी के विभिन्न मार्गों पर 2400 से अधिक टेम्पो के परमिट हैं. राजधानी क्षेत्र में जिन मार्गों पर टेम्पो के परमिट नहीं जारी किए गए हैं, उन पर भी बड़ी संख्या में अवैध रूप से टेम्पो संचालित किए जाते हैं.
टेम्पो के परमिट पर ई-रिक्शा का विकल्प
स्क्रैप पाॅलिसी के तहत जहां टेम्पो के परमिट रिनुअल पर रोक लगा दी गई है तो वहीं इसके लिए परमिट धारकों को विकल्प भी दिया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, 15 साल का समय पूरा कर चुके टेम्पो के परमिट पर वाहन स्वामियों के लिए ई-रिक्शा खरीदने का विकल्प रखा गया है. यह कदम पर्यावरण प्रदूषण कम करने की दिशा में उठाया गया है.
सार्वजनिक वाहन के विकल्प होंगे कम
बीते कुछ सालों में राजधानी का विस्तार जिस तेज गति से हुआ है, उसके मुकाबले सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जबकि सार्वजनिक वाहनों की संख्या बढ़ने के बजाय कम हुई है. शहर में सार्वजनिक परिवहन के रूप में संचालित होने वाली सिटी बसों में अधिकतर अपना समय पूरा कर कबाड़ हो चुकी हैं. शहर में 4,400 की संख्या में संचालित हो रहे ऑटो के नए परमिट 2006 से जारी नहीं हुए हैं. यही हाल टेम्पो का भी है.
राजधानी में मेट्रो का भी संचालन हो रहा है और सड़कों पर बड़े पैमाने पर ई-रिक्शा संचालित किए जा रहे हैं. बावजूद इसके लोगों के लिए अभी भी सार्वजनिक परिवहन की सेवाएं नाकाफी साबित हो रही हैं. ऐसे में 1500 की संख्या में टेम्पो के रोड से हटने के बाद सार्वजनिक परिवहन के साधनों का विकल्प कम हो जाएगा, जिससे लोगों की निजी वाहनों पर निर्भरता और बढ़ेगी.
निजी फिटनेस सेंटर से बढ़ेगा भ्रष्टाचार
जानकारों की मानें तो निजी फिटनेस सेंटर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देंगे. इसका उदाहरण टीपी नगर स्थित फिटनेस सेंटर के रूप में देखा जा सकता है. जहां पर आए दिन फिटनेस के नाम पर धनउगाही किए जाने का मामला सामने आता है. आरटीओ कार्यालय में दलालों का वर्चस्व और भ्रष्टाचार जगजाहिर है. ऐसे में निजी फिटनेस सेंटर भी दलालों के लिए धनउगाही का एक और विकल्प बनेंगे.
क्या कहते हैं एआरटीओ
इस बारे में एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि टेम्पो के रिनुअल पर रोक इसलिए लगाई गई है, ताकि शहर में प्रदूषण का स्तर कम किया जा सके. यह सभी टेम्पो अपनी समय सीमा पूरी कर चुके हैं. ये स्क्रैप पॉलिसी के दायरे में आ रहे हैं, इसलिए इनका नवीनीकरण नहीं होगा. विकल्प के रूप में टेम्पो मालिक ई-रिक्शा खरीद सकते हैं.