लखनऊ: मोहर्रम पर ताजिया रखकर अजादारी करने की शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी की मांग को प्रदेश सरकार ने मान लिया है. हालांकि मजलिस में केवल पांच लोग ही शामिल हो सकेंगे. वहीं जुलूस पर पहले की तरह पाबंदी जारी रहेगी. घरों में ताजिया रखने की मांग पूरी होने पर मौलाना ने देर रात अन्य धर्मगुरुओं के साथ चल रहा अपना धरना समाप्त कर दिया. कोरोना के कारण इमाम हुसैन की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम पर प्रदेश सरकार की ओर से ताजिया रखने पर पाबंदी लगाई गई थी.
लखनऊ में गुफरान माब इमामबाड़े में प्रेस कांफ्रेंस के बाद सरकार से नाराज मौलाना धरने पर बैठ गए और घरों में ताजिया रखने की अनुमति देने की मांग करने लगे. देर रात गृह सचिव एसके भगत से मौलाना के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हुई, जिसके बाद मोहर्रम पर घरों में ताजिया रखने की प्रदेश में अनुमति दे दी गई. इसके बाद मौलान ने धरना समाप्त कर दिया. इस दौरान मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि हमारा सबसे बड़ा मसला घरों में ताजिया रखने का हल हो गया है. गृह सचिव ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को फोन कर आदेश दे दिए हैं. मौलाना ने कहा कि अभी मजलिस में गाइडलाइन के तहत 5 लोग ही हिस्सा लेंगे और मोहर्रम के 10वें दिन ताजिया निकालने पर भी बातचीत चल रही है.
मौलाना कल्बे जवाद के प्रतिनिधि शमील शम्शी ने बताया कि सरकार ने राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में अजादारी करने की पाबंदी को हटा दिया है. घर में ताजिया रखने पर हुई एफआईआर को भी वापस लेने का आश्वासन दिया है. उन्होंने बताया कि सड़क और चौक पर ताजिये नहीं रखे जा सकेंगे. यौमे आशूर में ताजिया दफनाने को लेकर बाद में फैसला लिया जाएगा. प्रतिनिधि ने बताया कि इस दौरान परेशानी होने पर पुलिस विभाग के मुखिया से शिकायत कर सकते हैं. निगरानी के लिए गृह सचिव को नियुक्त किया गया है.