लखनऊ: देश में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए लॉकडाउन लागू है. इस लॉकडाउन से सबसे बड़ी मार झेल रहे उस निचले तबके पर बड़ा असर पड़ा है, जो रोज मेहनत-मजदूरी करके दो वक्त की रोटी जुटा पाते थे. इन गरीब लोगों को मदद मुहैया कराने के लिए प्रदेश सरकार ने तमाम उपाय किए हैं.
लोगों में नाराजगी
राजधानी में गरीबों की मदद करने और भूखे लोगों तक खाना पहुंचाने के लिए 10 कम्युनिटी किचन बनवाए गए, लेकिन सीतापुर रोड स्थित दुबग्गा चौराहा पर बनी झुग्गी झोपड़ियों में समय से न ही खाना पहुंचता है और न राशन मिलता है, जिसकी वजह से यहां के लोगों ने नाराजगी जताते हुए शिकायत की है.
'इंतजार करते रहते हैं, कोई आता ही नहीं'
लोगों ने बताया कि यहां समय से खाना नहीं आता. कभी-कभी खाना आता ही नहीं है. हम इंतजार करते रहते हैं और कोई आता ही नहीं है. अगर कोई यहां आता भी है तो आधे लोगों को देकर चला जाता है और राशन तो आज तक आया ही नहीं है. उन्होंने बताया कि स्थानीय जो समाजसेवी हैं, उनकी मदद से हम तक कभी-कभी खाना पहुंच पाता है.
मंडलायुक्त ने आरोपों को नकारा
जब इन सारी चीजों के बारे में लखनऊ मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम तो ऐसे लोगों की तलाश कर रहे हैं, जिनको खाना नहीं मिल पा रहा है. हमने सभी कम्युनिटी किचन के माध्यम से और समाजसेवियों की सहायता से लोगों के लिए अक्षय पात्र योजना के तहत खाना पहुंचाने का काम किया है.
'कॉल कर लोग मंगा सकते हैं खाना'
उन्होंने बताया कि हमारे पास रोजाना 75 हजार लोगों तक खाना पहुंचाने की क्षमता है. अक्षय पात्र योजना से रोजाना हमसे यह पूछा जाता है कि कितने लोगों का खाना बनाया जाए, उसके हिसाब से खाना बनाया जाता है. वहीं हमने कंट्रोल रूम बनाया है, जिसमें लोग फोन करके खाना मंगवा सकते हैं. चाहे लोग 112 पर कॉल करें या 1076 पर कॉल करें या संबंधित किसी अधिकारी को फोन करें, तत्काल खाना मुहैया कराया जाता है.
लखनऊ: लाॅकडाउन की मार, गेहूं कटाई के लिए नहीं मिल रहे मजदूर
मंडलायुक्त ने बताया कि ऐसे लोग, जिनके पास राशन नहीं है और कॉल करते हैं तो उन्हें राशन भी मुहैया कराया जाता है. खाना पहुंचाया जाता है. कभी-कभी अधिक खाना बनाने की स्थिति में खाना खराब होने का डर रहता है.