लखनऊ : सो जाते हैं फुटपाथ पर अखबार बिछाकर, मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाते... किसी मशहूर शायर की यह शायरी राजधानी के मजदूरों पर एकदम सटीक बैठती है. प्रदेश के कई जिलों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल शहर में रैन बसेरों का औचक निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान उन्होंने नगर निगम से लेकर जिला प्रशासन तक अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि कोई भी मजदूर सड़क किनारे सोने न पाए. रैन बसेरों में भी कोई जमीन पर नहीं सोएगा. इसको लेकर पूरी व्यवस्थाएं दुरुस्त रखी जाए. ऐसे में नगर निगम प्रशासन रैन बसेरे से लेकर अलाव जलाने तक बड़े-बड़े दावे कर रहा है, मगर ईटीवी भारत ने देर रात जब इन दावों की पड़ताल की तो सभी दावे काफूर नजर आए. राजधानी के कई इलाकों में पाया गया कि इंसान इस कड़ाके की ठंड में स्वान के साथ सोने को मजबूर है.
मुख्यमंत्री ने दिए थे निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते वर्षों जनवरी के माह में चकबस्त रोड स्थित रैन बसेरों का औचक निरीक्षण किया था. देर रात अचानक जिला प्रशासन व जिले के आला अधिकारी आनन-फानन में जियामऊ और चकबस्त रोड स्थित रैन बसेरे पर पहुंचे थे. निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने वहां रह रहे लोगों से बातचीत भी की थी. सीएम ने रैन बसेरों को व्यवस्थित और साफ सुथरा रखने के साथ-साथ बिस्तरों की चादरों को नियमित रूप से बदलने के सख्त निर्देश दिए थे, लेकिन जब देर रात ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की तो अधिकारियों की लापरवाही साफ देखने को मिली.
... इसलिए रिक्शे पर सोते हैं
बुधवार देर रात राजधानी के चारबाग रेलवे स्टेशन पर पहुंचे संवाददाता ने जब वहां लेटे मजदूरों से बात की तो रिक्शा चालक ओमप्रकाश ने बताया कि यहां कोई रैन बसेरा नहीं है. इसलिए रिक्शे पर सोना पड़ रहा है. खाने से लेकर कपड़े तक की अधिकारियों की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. लोग आते हैं, वही कपड़ा और कंबल दे जाते हैं.
'कुछ लोग आए थे, वह कंबल दे गए हैं'
मिस्त्री दीपक सिंह ने बताया कि देने की तो बात छोड़िए अधिकारी पाएं तो हमसे ही ले जाएं. हमसे आधार और कागजात पूछे जाते हैं. आधा घंटा पहले कुछ लोग आए थे, उन्होंने कंबल दिया है.
'रैन बसेरों में रुकते हैं गलत लोग'
सिविल अस्पताल के पास सड़क किनारे सो रही महिला विद्यावती ने बताया कि जियामऊ में व्यवस्था की गई है. हम लोग गए थे, लेकिन वहां पर उल्टे सीधे लोग लेटे रहते हैं. हम अस्पताल में या यहीं सड़क के किनारे सो जाते हैं, क्योंकि वहां गलत लोगों का जमावड़ा भी रहता है.
'हर साल बांटते हैं कपड़े'
समाजसेवी सौरभ शुक्ला बताते हैं कि कई वर्षों से हम लोग ठंडक में असहाय लोगों को कपड़े बांटते हैं. कड़ाके की ठंड पड़ रही है. हम लोग कई इलाके में गए और कपड़े बांट रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार अपना प्रयास कर रही है और हम लोग भी उसी क्रम में अपना प्रयास कर रहे हैं. फैशन के दौर में हम लोग नए कपड़े खरीदते हैं और पुराने छोड़ देते हैं. हम लोग सबके पुराने कपड़े इकट्ठा करके बांटते हैं.
यहां हैं शेल्टर होम्स
नगर निगम का दावा है कि लक्ष्मण मेला मैदान शेल्टर होम हजरतगंज थाना नबीउल्लाह रोड, डीआईजी कार्यालय के पास, अमीनाबाद झंडेवाला पार्क के निकट, जियामऊ प्राइमरी पाठशाला के पास, चकबस्त रोड पर कचहरी के पास, वजीरगंज थाना, जलालपुर मिल रोड, कानपुर रोड स्थित नगर निगम पुरानी चुंगी, नाका थाना, लाटूश रोड चुंगी, बाजार खाला थाना, इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे, जानकीपुरम समेत कई जगह पर रैन बसेरे बनाए गए हैं.
23 परमानेंट सेंटर, 16 अस्थाई सेंटर
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि नगर निगम द्वारा 23 परमानेंट सेंटर चलाए जा रहे हैं. 16 सेंटर अस्थाई चलाए जा रहे हैं. कुछ सेंटर राजस्व विभाग के द्वारा भी चलाए जाते हैं. व्यवस्था सबके लिए है. रात में हमारी क्यूआरटी भी घूमती है. जहां भी लोग रास्ते में मिलते हैं, उनको ले जाया जाता है, लेकिन जहां भी जिनका वर्कप्लेस है, वह सोचते हैं कि वहीं सो जाया जाए. टीमें भी रहती हैं. उनको लगातार शिफ्ट भी किया जाता है.
नगर आयुक्त ने कहा कि आप कोई भी रैन बसेरा देख लें. यहां जैसा रैन बसेरा कहीं भी नहीं मिलेगा. जियामऊ के रैन बसेरे में बेड लगा है, कंबल है, गीजर लगा है, अलाव की व्यवस्था है. एक सफाई कर्मी भी है. मैं कल गया था तो नगर निगम का किसी जिले का रिटायर्ड अकाउंटेंट क्लर्क वो रुका हुआ था. वह किसी का इलाज कराने के लिए पीजीआई आया हुआ था. लगभग हजार रुपये में लॉज में जो आपको कमरा मिलेगा, उतनी ही व्यवस्था रैन बसेरे में की गई है.
कुछ ही दिनों पहले वायरल हुई थी एक बच्चे की तस्वीर
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक 10 साल के बच्चे की फुटपाथ पर कुत्ते के साथ सोते हुए फोटो वायरल हुई थी. बताया जा रहा है कि मुजफ्फरनगर की पुलिस अब इस बच्चे की देखभाल कर रही है. बच्चे के पिता जेल में है और मां भी उसे छोड़कर चली गई है.
10 लाख रुपये का रखा गया बजट
चालू वित्त वर्ष के लिए नगर निगम और जलकल का पुनरीक्षित बजट बिना किसी शोर-शराबे के बुधवार को पास हो गया. नगर निगम के सभागार में महापौर की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी समिति की बैठक में सुनिश्चित बजट पर मुहर लगा दी गई. वहीं इस दौरान यह भी तय हुआ कि ठंड को देखते हुए अस्थाई रैन बसेरों का निर्माण कराया जाएगा, जिस पर ₹10 लाख का बजट रखा गया है.