लखनऊ : चिकित्सा शिक्षा विभाग में डॉक्टरों के ग्रीष्मकालीन अवकाश 16 मई से शुरू हुए हैं. ओपीडी तो नियमित रूप से चल रही है, लेकिन एक विशेषज्ञ पर अनेकों मरीज का लोड बढ़ गया है. इसी के साथ ओटी पर इसका सीधा असर पड़ा है. अभी भी विभागों में ऑपरेशन की लंबी लाइन है. डॉक्टरों की संख्या आधी होने पर सर्जरी की वेटिंग और लंबी हो गई है. डॉक्टरों के अवकाश पर जाने के बाद जिन मरीजों का ऑपरेशन होना है, उन मरीजों को खास दिक्कत हो रही है. इसके अलावा लखनऊ के अस्पतालों में प्रदेश के अन्य जिलों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं जो मरीज अन्य जिला से केजीएमयू या लोहिया जैसे बड़े संस्थान में ऑपरेशन कराने के लिए पहुंचे हैं, उन्हें लंबी वेटिंग का इंतजार करना पड़ रहा है. लोहिया और केजीएमयू जैसे संस्थानों में इन दिनों ओपीडी में कुल 5 से 10 हजार के बीच में मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
बस्ती जिला के रहने वाले संजीव वर्मा ने बताया कि 'केजीएमयू में अच्छा इलाज होता है, इसीलिए हम यहां पर अपनी मम्मी का इलाज कराने के लिए आए हैं, लेकिन यहां पर बहुत ज्यादा भीड़ होती है और विशेषज्ञ नहीं मिलते हैं. मरीज को कभी जांच के लिए कभी दवा के लिए इतना ज्यादा भगाया जाता है कि मरीज खुद ही परेशान हो जाता है. हम बाहर जिले से आते हैं, ऐसे में अगर हमें पता होता कि चिकित्सक नहीं मिलेंगे तो हम यहां पर क्यों आते.'
'15 दिन बाद फिर आएंगे' : एक और मरीज सैफ ने बताया कि 'यहां के विशेषज्ञ अच्छे हैं, अच्छे से देखते हैं और दवा देते हैं, लेकिन इस समय जिन चिकित्सक को हमने दिखाया था वह हमें नहीं मिले हैं. पूछने पर पता चला कि वह अभी छुट्टी पर गए हुए. उन्हें आने में 15 दिन लग जाएगा. अब जो दवाएं चल रही थीं वही चलाएंगे और 15 दिन बाद फिर आकर यहां पर दिखाएंगे.'
इन विभागों में हो रही अधिक भीड़ : 16 मई से सरकारी अस्पतालों के आधे डॉक्टर छुट्टी पर हैं और आधे काम कर रहे हैं, वहीं 16 जून से 15 जुलाई तक वो डॉक्टर छुट्टी पर जाएंगे जो पहली शिफ्ट में काम कर रहे थे. केजीएमयू रजिस्ट्रार रेखा एस चौहान की ओर से सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर पहली और दूसरी शिफ्ट में ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों की सूची मांगी थी. इस समय गैस्ट्रो सर्जरी, सर्जरी, एंडोक्राइन सर्जरी, सीटीवीएस जैसे विभागों में कई महीने की वेटिंग है. इस बीच छुट्टी होने की वजह से यह वेटिंग और बढ़ गई है. इसके अलावा लोहिया अस्पताल में नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, ऑर्थोपेडिक और मनोरोग विभाग में अत्यधिक भीड़ हो रही है. जिसे नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में कई बार मरीज के तीमारदारों की संबंधित डॉक्टर या फिर स्टाफ से बहस भी हो जा रही है.
'मरीजों को नहीं हो रही कोई परेशानी' : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि 'गर्मियों का अवकाश हर साल होता है. अवकाश की अवधि में सभी इमरजेंसी सेवाएं पहले की तरह चलती हैं. गंभीर मरीजों का ऑपरेशन प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है. मरीजों को किसी प्रकार की समस्या नहीं हो रही है. एक साथ किसी भी विभाग के डॉक्टरों को छुट्टी नहीं मिलती है. जब एक डॉक्टर छुट्टी पर जाता है तो उसकी जगह दूसरा डॉक्टर ओपीडी में और इमरजेंसी में तैनात रहता है. हर विभाग में कम से कम चार से पांच विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और सभी को एक साथ छुट्टी की अनुमति नहीं है. यदि दो की छुट्टी होगी तो 3 डॉक्टर कार्यरत हैं, जो ओपीडी और इमरजेंसी की जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं. जब पहले दो गए डॉक्टर छुट्टी से वापस लौटेंगे तो फिर अन्य दो डॉक्टर को छुट्टी दी जाएगी. इस तरह क्रमवार तरीके से डॉक्टर गर्मियों की छुट्टी पर जा रहे हैं. इस तरह से मरीजों को भी कोई दिक्कत परेशानी नहीं हो रही. अस्पताल पहले की तरह सुचारू रूप से चालू है. केजीएमयू बड़ा मेडिकल संस्थान है यहां पर प्रदेश के अन्य जिलों से मरीज इलाज के लिए आते हैं. अगर किसी मरीज को कोई समस्या परेशानी है तो वह पीआरओ ऑफिस में शिकायत कर सकता है. केजीएमयू में पर्याप्त विशेषज्ञ डॉक्टर हैं इसलिए डॉक्टरों की गर्मी की छुट्टी पर जाने से ओपीडी या फिर सर्जरी में कोई प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा है, क्योंकि इतने पर्याप्त विशेषज्ञ हैं जो इस समय ओपीडी को संभाल रहे हैं.'
यह भी पढ़ें : 'सांसद अपना वादा निभाओ, AMU से जिन्ना की तस्वीर पाकिस्तान पहुंचाओ'