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लोहिया संस्थान में अस्पताल के विलय के बाद व्यवस्था चरमराई, मरीज परेशान - patients are not getting treatment

लोहिया अस्पताल का संस्थान में विलय होने के बाद भी समस्याएं जस की तस हैं. अस्पताल में डॉक्टरों की गैर मौजूदगी और लेटलतीफी से मरीजों परेशान हैं.

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लोहिया संस्थान में अस्पताल के विलय के बाद व्यवस्था चरमराई
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Published : Dec 13, 2019, 4:13 AM IST

लखनऊ: राजधानी के लोहिया संस्थान में अस्पताल का विलय किया गया था. उम्मीद थी कि हालात सुधरेंगे लेकिन संस्थान में अस्पताल के विलय हो जाने के बाद हालात बद से बदतर हो चले हैं. जिसकी वजह से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं ओपीडी में रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या भी आधी रह गई है.

लोहिया संस्थान में अस्पताल के विलय के बाद व्यवस्था चरमराई.

डॉक्टरों और संस्थान के बीच नहीं बन रहा समन्वय

लोहिया संस्थान में आने वाले मरीजों को उम्मीद थी कि विलय के बाद इलाज बेहतर तरीके से संस्थान में मिलने लगेगा, लेकिन उनकी उम्मीदों पर संस्थान की कार्यशैली खरा नहीं उतर पा रही. बीते पांच दिनों से डॉक्टर अपने मनमाने समय पर अस्पताल में पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि संस्थान और अस्पताल के डॉक्टरों के बीच भी समन्वय न होने की वजह से दिक्कतें आ रही हैं. हालांकि डॉक्टरों की ड्यूटी तय कर दी गई है लेकिन बावजूद उसके डॉक्टर तय समय पर अस्पताल में नहीं पहुंच रहे हैं. इसकी वजह से मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

लखनऊ: राजधानी के लोहिया संस्थान में अस्पताल का विलय किया गया था. उम्मीद थी कि हालात सुधरेंगे लेकिन संस्थान में अस्पताल के विलय हो जाने के बाद हालात बद से बदतर हो चले हैं. जिसकी वजह से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं ओपीडी में रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या भी आधी रह गई है.

लोहिया संस्थान में अस्पताल के विलय के बाद व्यवस्था चरमराई.

डॉक्टरों और संस्थान के बीच नहीं बन रहा समन्वय

लोहिया संस्थान में आने वाले मरीजों को उम्मीद थी कि विलय के बाद इलाज बेहतर तरीके से संस्थान में मिलने लगेगा, लेकिन उनकी उम्मीदों पर संस्थान की कार्यशैली खरा नहीं उतर पा रही. बीते पांच दिनों से डॉक्टर अपने मनमाने समय पर अस्पताल में पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि संस्थान और अस्पताल के डॉक्टरों के बीच भी समन्वय न होने की वजह से दिक्कतें आ रही हैं. हालांकि डॉक्टरों की ड्यूटी तय कर दी गई है लेकिन बावजूद उसके डॉक्टर तय समय पर अस्पताल में नहीं पहुंच रहे हैं. इसकी वजह से मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Intro:





लखनऊ के लोहिया संस्थान में अस्पताल के विलय हो जाने के बाद उम्मीद थी कि हालात सुधरेंगे लेकिन संस्थान मे अस्पताल के विलय हो जाने के बाद हालात बद से बदतर हो चले हैं। जिसकी वजह से मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तो वही ओपीडी में रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या भी आधी रह गई है।




Body:लोहिया संस्थान मे अस्पताल के विलय का इंतजार कर्मचारियों के साथ साथ मरीजों को भी था उम्मीद थी कि लोहिया संस्थान में अस्पताल से विलय हो जाने के बाद अस्पताल भी संस्थान की तरह ही काम करने लगेगा। लेकिन इस उम्मीद पर संस्थान खरा नहीं उतर रहा। दरअसल विलय हो जाने के लगभग हफ्ता भर गुजर जाने के बाद लोहिया संस्थान की सारी व्यवस्था चरमरा गई हैं। इसकी वजह से मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना लोहिया संस्थान में करना पड़ रहा है। इसका नतीजा है कि बीते दिनों की चली ओपीडी में मरीजों के आने वाली संख्या आधी रह गई है। आधे से ज्यादा आने वाले मरीजों को लोहिया संस्थान में रेफर किया जा रहा है और उन्हें भर्ती भी नहीं किया जा रहा है। जिसकी वजह से मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोहिया संस्थान में दूरदराज से आने वाले मरीजों को उम्मीद थी कि विलय हो जाने के बाद इलाज और बेहतर तरीके से संस्थान में मिलने लगेगा।लेकिन उनकी उम्मीदों पर संस्थान की कार्यशैली खरा नहीं उतर पा रही। बीते 5 दिनों में व्यवस्थाएं कुछ इस तरह से हो गई है।डॉक्टर अपने मनमाने समय पर अस्पताल में पहुंच रहे हैं औऱ मरीजों को देख रहे हैं।ऐसे मे मरीज सुबह से ही पर्चा बनवा करके लाइन में लग जाते हैं। लेकिन डॉ 12 बजे तक की ओपीडी में नहीं दिख रहा है। बताया जा रहा है कि यह समस्या संस्थान और और अस्पताल के डॉक्टरों के बीच भी समन्वय ना होने की वजह से दिक्कते आ रही हैं। हालांकि डॉक्टरों की ड्यूटी तय कर दी गई है। लेकिन उसके बावजूद भी डॉक्टर तय समय पर अस्पताल में नहीं पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों को लंबे इंतजार के बावजूद भी डॉक्टर नहीं देख पा रहे हैं।अति गंभीर मरीजों को डॉक्टर सीधे रेफर कर दे रहे हैं और अपने यहां भर्ती भी नहीं कर रहे।इसकी वजह से मरीजों को काफी समस्याएं झेलनी पड़ रही है। वही जब इस पूरे मामले पर हमने लोहिया निदेशक से बातचीत करी तो उन्होंने इस तरह की तमाम दिक्कतों को सिरे से खारिज कर दिया पर बेहतर स्वास्थ्य एवं का दावा किया

बाइट- मरीज
बाइट- मरीज

बाइट- डॉ ए के त्रिपाठी, निदेशक, लोहिया संस्थान








Conclusion:ऐसे में सवाल है कि आखिर लोहिया संस्थान में लोहिया अस्पताल के विलय के बाद व्यवस्थाओं को बेहतर करने की बात की गई थी लेकिन इस सभी वादे और दावे बिल्कुल भी जमीन पर नहीं उतरते देख रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में लोहिया संस्थान की सूरत बदलेगी या हालात बद से बदतर होते चले जाएंगे।



एन्ड
शुभम पाण्डेय
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