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KGMU के ट्रामा सेंटर में स्ट्रेचर के इंतजार में मरीज की मौत

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Published : Dec 2, 2020, 7:08 PM IST

लखनऊ के KGMU ट्रामा सेंटर की रात्रिकालीन व्यवस्था पटरी पर नहीं लौट रही है. हालत यह है कि दुर्घटना में घायल होने के बाद आया मरीज घंटे भर तड़पता रहा. पहले तो स्ट्रेचर नहीं मिला और बाद में डॉक्टरों ने अनदेखी की. करीब घंटे भर बाद जब डॉक्टर ने देखा तो मरीज की मौत हो चुकी थी.

केजीएमयू का ट्रामा सेंटर.
केजीएमयू का ट्रामा सेंटर.

लखनऊः केजीएमयू ट्रामा सेंटर की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए दर्जनभर संकाय सदस्यों को जिम्मेदारी दी गई है. इसके बाद भी यहां के हालात बेहद खराब है. रात के समय किसी भी संकाय सदस्य के नहीं होने की वजह से मरीजों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.

मंगलवार रात सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए रायबरेली जिले के मांझ गांव निवासी इंदर सिंह को लेकर परिजन ट्रामा सेंटर पहुंचे. परिजनों का आरोप है कि यहां आने पर मरीज को जमीन पर लेटा कर स्ट्रेचर की खोजबीन शुरू हुई. वार्ड बॉय ने बताया कि पहले टोकन लेना होगा. करीब आधे घंटे बाद टोकन मिला और फिर स्ट्रेचर मिला. इसके बाद वे स्ट्रेचर पर लेकर मरीज को अंदर पहुंचे तो चिकित्सक गायब थे.

परिजनों ने बताया कि काफी प्रयास के बाद वहां मौजूद नर्सिंग कर्मियों ने बताया कि अभी दूसरी शिफ्ट के चिकित्सक आएंगे. तब मरीज को देखा जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में करीब 1 घंटे से ज्यादा वक्त लग गया. जब तक डॉक्टर मौके पर आए तब तक मरीज की मौत हो गई थी. मृतक के परिजनों ने पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों से की है.

ट्रामा सेंटर में स्ट्रेचर की कमी नहीं है. एक टीम के आने के बाद दूसरी टीम जाती है. ऐसे में यह आरोप बेबुनियाद हैं. संभव है कि गंभीर रूप से घायल होने की वजह से मरीज की रास्ते में ही मौत हो गई हो.
-डॉक्टर संदीप तिवारी, सीएमएस, ट्रामा सेंटर

लखनऊः केजीएमयू ट्रामा सेंटर की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए दर्जनभर संकाय सदस्यों को जिम्मेदारी दी गई है. इसके बाद भी यहां के हालात बेहद खराब है. रात के समय किसी भी संकाय सदस्य के नहीं होने की वजह से मरीजों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.

मंगलवार रात सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए रायबरेली जिले के मांझ गांव निवासी इंदर सिंह को लेकर परिजन ट्रामा सेंटर पहुंचे. परिजनों का आरोप है कि यहां आने पर मरीज को जमीन पर लेटा कर स्ट्रेचर की खोजबीन शुरू हुई. वार्ड बॉय ने बताया कि पहले टोकन लेना होगा. करीब आधे घंटे बाद टोकन मिला और फिर स्ट्रेचर मिला. इसके बाद वे स्ट्रेचर पर लेकर मरीज को अंदर पहुंचे तो चिकित्सक गायब थे.

परिजनों ने बताया कि काफी प्रयास के बाद वहां मौजूद नर्सिंग कर्मियों ने बताया कि अभी दूसरी शिफ्ट के चिकित्सक आएंगे. तब मरीज को देखा जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में करीब 1 घंटे से ज्यादा वक्त लग गया. जब तक डॉक्टर मौके पर आए तब तक मरीज की मौत हो गई थी. मृतक के परिजनों ने पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों से की है.

ट्रामा सेंटर में स्ट्रेचर की कमी नहीं है. एक टीम के आने के बाद दूसरी टीम जाती है. ऐसे में यह आरोप बेबुनियाद हैं. संभव है कि गंभीर रूप से घायल होने की वजह से मरीज की रास्ते में ही मौत हो गई हो.
-डॉक्टर संदीप तिवारी, सीएमएस, ट्रामा सेंटर

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