लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की वातानुकूलित बसों में अगर आप यह सोचकर टिकट बुक कराते हैं कि गर्मी में शीतल हवा का एहसास करते हुए आरामदायक यात्रा पूरी होगी तो यह आपकी गलतफहमी है. आपको ज्यादा किराया चुकाकर साधारण बसों से भी ज्यादा पसीना बहाकर यात्रा करनी पड़ सकता है, क्योंकि रोडवेज की एसी बसों की हालत बेहद खस्ता है. राह चलते ही इन बसों का एसी खराब हो जाता है और शीशों से लैस इस बस में हवा के आने की गुंजाइश होती नहीं है. लिहाजा, उबलते हुए ही यात्रियों को अपना सफर पूरा करने को मजबूर होना पड़ता है. हर रोज रोडवेज की एसी बसों का एसी खराब होने की शिकायतें यात्रियों की तरफ से आ रही है. सवाल उठता है कि आखिर कार्यशाला में किस तरह एसी दुरुस्त करने का काम किया जाता है जब यात्रियों को उबलते हुए ही यात्रा करनी पड़ती है. समस्या सिर्फ एसी की ही हो ऐसा भी नहीं है. वर्कशॉप से बस रवाना करते समय कूलेंट भी नहीं भरा जाता और पानी भी नहीं, ऐसे में बस राह चलते दगा दे जाती है.
मामला लखनऊ से प्रयागराज जा रही पिंक बस का है, जो बुधवार को बीच रास्ते बंद हो गई. बस को बिना कूलेंट भरे ही रवाना कर दिया गया, जिससे इंजन के हीट होने पर बस खड़ी हो गई. बस का एसी भी खराब था, जिसकी यात्रियों ने रोडवेज के अधिकारियों से शिकायत की जब परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संजय कुमार को इस तरह की शिकायत मिली तो उन्होंने कड़ी कार्यवाही का भरोसा यात्रियों को दिया. बुधवार को पिंक बस संख्या यूपी 75 एफएन 7521 लखनऊ से प्रयागराज जा रही थी. यात्रियों के मुताबिक बीच रास्ते में बस का इंजन बहुत गर्म हो गया और बस बंद हो गई. बस में 38 यात्री सवार थे. बस के खड़े होने और एसी न चलने से पसीने से तरबतर हुए यात्रियों का पारा चढ़ गया और उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया. बस की खराबी का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. बताया जा रहा है कि बस में कूलेंट तक नहीं था.. पानी डालकर एसी बस को किसी तरह ठंडा किया गया. इस बस को दूसरी बस संख्या (6654) की जगह रवाना किया गया था. इस बस में पहले से ही एसी खराब था, जिसे दुरुस्त ही नहीं किया गया.
अभी कुछ दिन पहले ही लखनऊ से आगरा के लिए जा रही एसी जनरथ बस का एसी खराब हो गया था जिसके बाद यात्रियों ने जमकर हंगामा किया था. इसकी शिकायत परिवहन निगम के अधिकारियों से की थी. आए दिन बसों का एसी खराब होने से यात्रियों को गर्मी में काफी दिक्कत हो रही है और इससे परिवहन निगम की छवि भी धूमिल हो रही है. हालांकि निगम के अधिकारियों पर इसका जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा है. लखनऊ रीजन से संचालित हो रही एसी बसों की स्थिति कबाड़ जैसी हो गई है. वर्कशॉप को जो पैसा एमडी की तरफ से दिया गया वह कहां गया इसका भी कोई पता ठिकाना नहीं है. रोडवेज के चालक परिचालकों का कहना है कि लखनऊ की रीजनल कार्यशाला में बसों पर काम ही नहीं किया जाता और डिपो की कार्यशालाओं को सही समय पर सामान उपलब्ध नहीं कराया जाता, जिससे बसों को मेंटेन करने में दिक्कत आती है. इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है.
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