हैदराबाद: एक बार फिर कोरोना काल में देश में चुनाव हो रहे हैं यानी खतरा बड़ा है. हर चुनाव की तरह ही ये चुनाव भी अहम हैं और देश की आगे की सियासत के लिए निर्णायक भी है, क्योंकि यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम का प्रभाव 2024 के आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. यही कारण है कि भाजपा अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश पर अधिक फोकस किए हुए हैं. बहरहाल, यह जान लेना भी जरूरी है कि वर्तमान में सूबे में सियासी दलों की सीटों की मौजूदा स्थिति क्या है. जाहिर तौर पर यूपी सबसे बड़ा राज्य है. ऐसे में यहां पूरे देश की नजर टिकी है. यूपी में एक तरफ सत्तारुढ़ भाजपा (ruling BJP in UP) है तो दूसरी ओर बिखरे विपक्षी दल. वहीं, सपा, बसपा और कांग्रेस ने पृथक चुनाव लड़ने का फैसला किया है. ओवैसी की पार्टी भी इस बार दम भर रही है.
जानिए पिछले चुनावों का परिणाम
- कुल सीट: 403 (बहुमत का आंकड़ा 202)
- भाजपा: 325
- सपा: 47
- बपसा: 19
- कांग्रेस: 7
- अन्य: 5
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पूर्वांचल की ये थी स्थिति
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल और आसपास के जिलों की कुल 164 सीटों में से भाजपा को 115 पर फतह मिली थी. सपा को 17, बसपा को 14 और कांग्रेस को मात्र दो सीटें मिली थीं. इसी तरह 2012 चुनाव में सपा को इस क्षेत्र में 102 सीटें, भाजपा को 17, बसपा को 22 और कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं. वहीं, 2007 में जब मायावती यूपी में पूर्ण बहुमत के साथ आईं थी और उन्हें तब पूर्वांचल में 85 सीटों पर कामयाब मिली थी. हालांकि, इस चुनाव में सपा को 48, भाजपा को 13, कांग्रेस को नौ और अन्य महज चार सीटों पर सिमट कर रह गई थी.
7 चरणों में हुए थे चुनाव
2017 में यूपी में 403 विधानसभा सीटों के लिए 7 चरणों में चुनाव हुए थे. समाजवादी पार्टी की अंदरूनी लड़ाई के बाद जहां कांग्रेस ने उसके साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था, वहीं बसपा अकेले ही मैदान में उतरी थी. भाजपा ने अपना दल और भारतीय समाज पार्टी जैसे छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. वहीं, 2017 में गाजियाबाद, वाराणसी, मेरठ, इलाहाबाद समेत सूबे के 31 जिलों में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था. बात अगर वोट शेयर की करें तो भाजपा को करीब 40 फीसद वोटरों का साथ मिला था.
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