लखनऊ : कहने को तो राजधानी कमिश्नरी बन गई लेकिन पुलिस का रवैया अब तक नहीं बदला है. पुलिस यहां बड़े से बड़े मामले को दबाने के प्रयास में जुटती नजर आती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सेल में कार्यरत पार्थ श्रीवास्तव सुसाइड केस में आरोपी पुष्पेंद्र सिंह व शैलजा की गिरफ्तारी अब तक न होना और इस संदर्भ में अब तक जरूरी पूछताछ न होना भी पुलिस के इसी रवैये की और संकेत करता है. सूत्रों की मानें तो कई बड़े अफसरों का पुलिस पर दबाव भी है. ठीक से जांच हो गई तो कई बड़े लोगों के नाम सामने आएंगे.
गहरा रहा है मामला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोशल मीडिया टीम के मेंबर पार्थ श्रीवास्तव के सुसाइड का मामला गहराता जा रहा है. सुसाइड के 4 दिन बाद पुलिस ने मृतक के पिता की तहरीर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में टीम के सीनियर साथी पुष्पेंद्र सिंह और शैलजा को नामजद करते हुए केस दर्ज कराया था. मुकदमा लिखे 24 घंटे बीत चुके हैं लेकिन अभी तक न तो आरोपियों से कोई पूछताछ की गई और न ही उनकी गिरफ्तारी हुई.
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सुसाइड से पहले पार्थ ने दोस्तों को लिखा था "good Bye Bhai"
पुलिस की तफ्तीश में एक बड़ा खुलासा हुआ है. सुसाइड करने से पहले पार्थ ने सुबह 4:56 बजे अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर मैसेज भेजा था जिसमें लिखा "good Bye Bhai". कई दोस्तों के रिप्लाई करने पर पार्थ ने फिर लिखा "Just Leaving". पार्थ कई दोस्तों से देर सुबह तक बात करता रहा. एक दोस्त को लिखा कि अगर कोई गलती हुई होगी तो माफ कर देना भाई.
एक दोस्त को सुसाइड से एक दिन पहले तीन हजार रुपये ट्रांसफर भी किए. दोस्त द्वारा थैंक यू बोलने पर पार्थ ने लिखा कोई बात नहीं. पार्थ के दोस्तों ने यह सारे मैसेज मीडिया से साझा किया है. 26 साल के पार्थ के बीते बुधवार (19 मई) को सुसाइड की घटना के बाद दोस्तों और रिश्तेदारों ने सोशल मीडिया पर "जस्टिस फॉर पार्थ" का कैंपेन चलाना शुरू कर दिया.
माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल
पार्थ श्रीवास्तव के बुजुर्ग माता-पिता का रो-रो कर बुरा हाल है. घर में सन्नाटा पसरा है. पिता रवींद्र नाथ श्रीवास्तव सदमे में हैं. बूढ़ी मां अपने बच्चे को याद कर फूट-फूटकर रो पड़तीं हैं. उनका नहीं समझ पा रहीं कि पार्थ जैसे होनहार लड़के ने ऐसा कदम क्यों उठाया?
सुसाइड नोट में इन पर आरोप
पार्थ श्रीवास्तव के 2 पेज के सुसाइड नोट में कई नाम दर्ज हैं. इनमें पार्थ ने पुष्पेंद्र सिंह और अन्य सहकर्मियों पर आरोप लगाए हैं. पार्थ ने सुसाइड नोट में अभय, प्रणय, महेंद्र और शैलजा नाम की एक महिलाकर्मी के नाम का भी जिक्र किया है. पार्थ श्रीवास्तव ने आत्महत्या से पहले ट्वीट किया था जिसमें उसने अपनी मौत के लिए कुछ लोगों को जिम्मेदार ठहराया था. पार्थ की खुदकुशी करने के बाद उसके ट्वीट को डिलीट कर दिया गया. पार्थ के दोस्तों ने सोशल मीडिया पर पार्थ के ट्विटर और फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए "जस्टिस फॉर पार्थ" कैंपेन चलाया है.