लखनऊ : प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. सरकार ने कक्षा आठ तक के स्कूल बंद कर दिए हैं. उच्च शिक्षा में भी संस्थानों को बंद करके ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन शुरू हो गया है. इसके बाद भी कक्षा 9 से 12 तक के छात्र-छात्राओं को लेकर कोई फैसला अभी तक नहीं हो रहा है. अभिभावकों का आरोप है कि निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है.
अभिभावकों में है नाराजगी
कोरोना के लगातार बढ़े मामलों के बीच कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों को स्कूल बुलाया जा रहा है. इसको लेकर अभिभावकों में नाराजगी है. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे को लेकर अभिभावकों से बात की. अभिभावकों का कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपनी ऑफलाइन क्लासेस बंद कर दी हैं. कक्षा आठ तक के सभी स्कूल बंद हो चुके हैं. बिगड़ते हालातों के बीच कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के लिए भी सरकार को फैसला लेना चाहिए. अभिभावकों ने आरोप लगाया कि निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में सरकार कोई फैसला नहीं ले रही है.
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'फीस वसूलने का है पूरा खेल'
अभिभावक केके त्रिपाठी का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई जरूरी है, लेकिन मौजूदा हालातों में स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. लखनऊ के कई निजी स्कूलों में बच्चों के बीमार होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. बावजूद इसके, सरकार कोई फैसला नहीं ले रही है. निजी स्कूल प्रबंधन फीस वसूलने के चक्कर में बच्चों की जान जोखिम में डाल रहे हैं.
'अभी स्वास्थ्य ज्यादा जरूरी'
लखनऊ अभिभावक परिषद के अध्यक्ष राकेश सिंह का कहना है कि कक्षा 10 और 12 के बच्चों की बोर्ड परीक्षाएं हैं. पढ़ाई जरूरी है, लेकिन अभी सबसे ज्यादा जरूरी बच्चों का स्वास्थ्य है. निजी स्कूल प्रबंधन जबरन स्कूल खोल रहे हैं. इस तरह से बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. अभिभावक प्रकाश चौहान का कहना है कि फिलहाल सरकार को स्कूल बंद करने की घोषणा कर देनी चाहिए.
'बंद कर देने चाहिए स्कूल'
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉ. आरपी मिश्र का कहना है कि सरकार ने शिक्षकों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की है. सरकारी और ऐडेड स्कूलों से लेकर निजी स्कूलों तक में शिक्षक अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल आ रहे हैं. मौजूदा हालातों को देखते हुए स्कूल बंद कर देने चाहिए.