लखनऊ: सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को लेकर केंद्र सरकार के फैसला का अभिभावकों और छात्रों ने स्वागत किया है. उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में मानसिक प्रताड़ना झेल रहे छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए यह बड़ी राहत है. हालांकि, इसी के आधार पर ही यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट और काउंसिल फॉर द इंडिया स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) की आईएससी और आईसीएसई की परीक्षाएं टालने की मांग की जा रही हैं.
अभिभावक खुश पर छात्रों में थोड़ी मायूसी
केन्द्रीय विद्यालय गोमती नगर की अभिभावक प्रीति राय का कहना है कि जान है तो जहान है. कोरोना संक्रमण के इस दौर में सभी परेशान हैं. परीक्षा कराकर बच्चों के जीवन को संकट में डालना बिलकुल भी ठीक नहीं था. ऐसे में इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. हालांकि, छात्रों में थोड़ी मायूसी भी है. 10वीं के छात्र सुरेश कुमार का कहना है कि उन्होंने परीक्षा के लिए तैयारी की थी. पिछले चार महीने से दिन रात मेहनत कर रहे थे. ऐसे में परीक्षाएं रद्द होने से थोड़ी मायूसी तो हुई है.
यूपी सरकार भी इस पर करे विचार
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष पारसनाथ पाण्डेय का कहना है कि कोरोना संक्रमण दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार को भी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाएं को अग्रिम आदेशों तक टालने पर विचार करना चाहिए. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉ. आरपी मिश्र का कहना है कि छात्र, शिक्षक और पूरे समाज को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाएं भी टाल दी जाएं. अन्यथा स्थिति और भी भयानक हो सकती है.
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स्कूलों ने टाल दी हैं प्रैक्टिकल परीक्षाएं
कोरोना संक्रमण को देखते हुए शहर के कई स्कूलों ने बच्चों की आईएससी की प्रैक्टिकल परीक्षाएं टाल दी हैं. सेंट जोसेफ कॉलेज, सेंट टेरेसा स्कूल, क्रिएटिव कॉन्वेंट कॉलेज इसमें शामिल हैं.
वहीं केन्द्रीय विद्यालय सीआरपीएफ बिजनौर के प्रिंसिपल मनोज वर्मा कहते हैं कि आमतौर पर सत्र की शुरुआती परीक्षाओं को बच्चे उतना गंभीरता से नहीं लेते. इस सत्र में तो कोरोना संक्रमण के चलते शुरुआत ऑनलाइन क्लासेज से हुई थी. नवम्बर-दिसम्बर में बच्चों के स्कूल पहुंचने पर पढ़ाई नियमित हुई. बच्चों ने भी मेहनत की थी. अब इन बच्चों के मूल्यांकन का क्या फार्मूला होगा? इसको लेकर थोड़ा संशय की स्थितियां बन गई हैं. यह भी कह पाना मुश्किल है कि इस फार्मूले से सभी बच्चों को उचित न्याय मिल पाएगा या नहीं. उधर, 12वीं की परीक्षाएं टालने की बात कही गई है. यह जरूरी भी था, लेकिन इन हालातों में अभी जो प्रैक्टिकल परीक्षाएं चल रही हैं, उनका क्या होगा? इस पर भी तस्वीर स्पष्ट नहीं है.
मौजूदा हालातों में थी इसकी जरूरत
क्रिएटिव कॉन्वेंट कॉलेज के प्रबंधक योगेन्द्र सचान का कहना है कि मौजूदा हालातों को देखते हुए सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है. ज्यादातर स्कूलों में 10वीं की दो से तीन प्री बोर्ड परीक्षाएं हो चुकी हैं. उनके परिणामों के आधार पर भी 10वीं के नतीजे तैयार हो सकते हैं. चूंकि, 12वीं के बच्चों का मूल्यांकन विद्यालय स्तर पर ठीक से होना संभव नहीं हो पाता है, ऐसे में उनके लिए स्थितियां सामान्य होने पर परीक्षा कराना ही बेहतर होगा.