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पहले से लगे पैनिक बटन बने शोपीस, 51 करोड़ खर्च कर नये सिरे से लगाए जाएंगे

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम बसों में नयी-नयी व्यवस्थाएं करने जा रहा है. करोड़ों खर्च कर जीपीएस और पैनिक बटन लगाने की तैयारी है लेकिन पहले पिंक बसों पर जो भारी-भरकम खर्च हुआ था, अब उसके कोई मायने नहीं रह गए हैं.

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Published : Jun 14, 2021, 9:33 AM IST

लखनऊः
लखनऊः

लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अपनी साढ़े 11 हजार बसों में जीपीएस और पैनिक बटन लगाएगा. रोडवेज का दावा है, इससे यात्रियों की यात्रा सुरक्षित हो सकेगी. ध्यान देने की बात ये है कि वर्तमान में जिन 50 पिंक बसों में पैनिक बटन लगे हैं और रोडवेज की एसी और साधारण बसों में जो व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) डिवाइस लगी है, यह सिर्फ शोपीस हैं. यात्रा के दौरान महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए सहायता की जरूरत पड़े तो पिंक बसों के पैनिक बटन दबाने का कोई फायदा नहीं होगा. वहीं साधारण बसों की लोकेशन ट्रैक करने के लिए अगर वीटीएस का सहारा लिया जाएगा तो सिर्फ वक्त बर्बाद करने जैसा होगा. वजह है कि पैनिक बटन से डायल 112 सर्वर का कनेक्शन ही टूट चुका है तो वहीं कंपनी का ठेका रद्द होने से व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम यानी (वीटीएस) भी बर्बाद हो गए हैं.

रोडवेज के अधिकारी बताते हैं कि ट्राईमैक्स कंपनी ने सभी बसों में बीटीएस डिवाइस लगाई थी, लेकिन अब कंपनी का ठेका खत्म हो चुका है और यह तकरीबन सात साल पुरानी हो चुकी हैं इसलिए काम नहीं कर रही हैं. लिहाजा अब अच्छी क्वालिटी की डिवाइस लगाई जाएगी. दावा किया जा रहा है कि बस में अगर किसी भी यात्री को किसी तरह की समस्या होती है तो पैनिक बटन प्रेस करते ही उसे सहायता उपलब्ध हो जाएगी. अभी तक महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्भया फंड से 50 पिंक बसों में ही पैनिक बटन लगाए गए थे. अब सभी बसों में पैनिक बटन और जीपीएस लगाने के लिए 51 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. हाल ही में बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली है. अभी तक रोडवेज की जिन बसों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस लगी है उसके कोई मायने नहीं रह गए हैं. अब इनकी जगह जीपीएस डिवाइस लगाई जाएगी. सरकार ने अलग तरह के स्पेसिफिकेशन वाले जीपीएस लगाने का फैसला लिया है, जिसे एआईएस 140 नाम दिया गया है.

जीपीएस और पैनिक बटन
पिंक बसों की तरह पैनिक बटन साधारण बसों और एसी बसों में भी लगेंगे. हालांकि अभी तक पिंक बसों में जो पैनिक बटन लगे हैं उनका मतलब इसलिए नहीं बचा है क्योंकि डायल 112 के सर्वर रूम से इसका कोई कनेक्शन नहीं रह गया है. ऐसे में कंट्रोल रूम को पैनिक बटन दबाने पर भी कोई मैसेज नहीं मिलेगा. ऐसे में पिंक बसों में भी महिलाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है. ध्यान देने की बात है कि साल 2017 में महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्भया फंड के तहत केंद्र सरकार ने परिवहन निगम को 83 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था. इसके बाद महिला स्पेशल 50 पिंक बसें, 40 इंटरसेप्टर खरीदी गईं. पिंक बसों को सीसीटीवी, डीवीआर और पैनिक बटन से लैस किया गया. इससे यात्रा के दौरान महिलाओं को किसी प्रकार की दिक्कत होने पर पैनिक बटन के इस्तेमाल से सहायता मुहैया कराने का प्लान था. अब रोडवेज की सभी बसों में पैनिक बटन लगाए जाने की तैयारी हो रही है. इसके लिए यूपीएसआरटीसी की तरफ से एआईएस 140 मानक के वीटीएस और पैनिक बटन लगेंगे.

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पिंक बसों की खासियत यही है कि हर सीट पर पैनिक बटन लगा हुआ है. ये डायल 112 पुलिस गाड़ियों से जोड़ा गया था. बटन को दबाते ही डायल 112 को सूचना मिल जाती थी और पुलिस सहायता के लिए तत्काल पहुंच जाती थी. इसके साथ ही इंटरसेप्टर पर मैसेज भी चला जाता है. इंटरसेप्टर पर तैनात अफसर भी सहायता के लिए मौके पर पहुंच जाते थे. अब पैनिक बटन ही के कोई मायने नहीं रह गए हैं.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अपनी साढ़े 11 हजार बसों में जीपीएस और पैनिक बटन लगाएगा. रोडवेज का दावा है, इससे यात्रियों की यात्रा सुरक्षित हो सकेगी. ध्यान देने की बात ये है कि वर्तमान में जिन 50 पिंक बसों में पैनिक बटन लगे हैं और रोडवेज की एसी और साधारण बसों में जो व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) डिवाइस लगी है, यह सिर्फ शोपीस हैं. यात्रा के दौरान महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए सहायता की जरूरत पड़े तो पिंक बसों के पैनिक बटन दबाने का कोई फायदा नहीं होगा. वहीं साधारण बसों की लोकेशन ट्रैक करने के लिए अगर वीटीएस का सहारा लिया जाएगा तो सिर्फ वक्त बर्बाद करने जैसा होगा. वजह है कि पैनिक बटन से डायल 112 सर्वर का कनेक्शन ही टूट चुका है तो वहीं कंपनी का ठेका रद्द होने से व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम यानी (वीटीएस) भी बर्बाद हो गए हैं.

रोडवेज के अधिकारी बताते हैं कि ट्राईमैक्स कंपनी ने सभी बसों में बीटीएस डिवाइस लगाई थी, लेकिन अब कंपनी का ठेका खत्म हो चुका है और यह तकरीबन सात साल पुरानी हो चुकी हैं इसलिए काम नहीं कर रही हैं. लिहाजा अब अच्छी क्वालिटी की डिवाइस लगाई जाएगी. दावा किया जा रहा है कि बस में अगर किसी भी यात्री को किसी तरह की समस्या होती है तो पैनिक बटन प्रेस करते ही उसे सहायता उपलब्ध हो जाएगी. अभी तक महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्भया फंड से 50 पिंक बसों में ही पैनिक बटन लगाए गए थे. अब सभी बसों में पैनिक बटन और जीपीएस लगाने के लिए 51 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. हाल ही में बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली है. अभी तक रोडवेज की जिन बसों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस लगी है उसके कोई मायने नहीं रह गए हैं. अब इनकी जगह जीपीएस डिवाइस लगाई जाएगी. सरकार ने अलग तरह के स्पेसिफिकेशन वाले जीपीएस लगाने का फैसला लिया है, जिसे एआईएस 140 नाम दिया गया है.

जीपीएस और पैनिक बटन
पिंक बसों की तरह पैनिक बटन साधारण बसों और एसी बसों में भी लगेंगे. हालांकि अभी तक पिंक बसों में जो पैनिक बटन लगे हैं उनका मतलब इसलिए नहीं बचा है क्योंकि डायल 112 के सर्वर रूम से इसका कोई कनेक्शन नहीं रह गया है. ऐसे में कंट्रोल रूम को पैनिक बटन दबाने पर भी कोई मैसेज नहीं मिलेगा. ऐसे में पिंक बसों में भी महिलाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है. ध्यान देने की बात है कि साल 2017 में महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्भया फंड के तहत केंद्र सरकार ने परिवहन निगम को 83 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था. इसके बाद महिला स्पेशल 50 पिंक बसें, 40 इंटरसेप्टर खरीदी गईं. पिंक बसों को सीसीटीवी, डीवीआर और पैनिक बटन से लैस किया गया. इससे यात्रा के दौरान महिलाओं को किसी प्रकार की दिक्कत होने पर पैनिक बटन के इस्तेमाल से सहायता मुहैया कराने का प्लान था. अब रोडवेज की सभी बसों में पैनिक बटन लगाए जाने की तैयारी हो रही है. इसके लिए यूपीएसआरटीसी की तरफ से एआईएस 140 मानक के वीटीएस और पैनिक बटन लगेंगे.

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पिंक बसों की खासियत यही है कि हर सीट पर पैनिक बटन लगा हुआ है. ये डायल 112 पुलिस गाड़ियों से जोड़ा गया था. बटन को दबाते ही डायल 112 को सूचना मिल जाती थी और पुलिस सहायता के लिए तत्काल पहुंच जाती थी. इसके साथ ही इंटरसेप्टर पर मैसेज भी चला जाता है. इंटरसेप्टर पर तैनात अफसर भी सहायता के लिए मौके पर पहुंच जाते थे. अब पैनिक बटन ही के कोई मायने नहीं रह गए हैं.

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