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पाम ऑयल पर टैक्स, व्यापारी नहीं 'रिलैक्स

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Published : Feb 5, 2021, 2:02 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में 17.5% कृषि अवसंरचना और विकास उपकर लगाने का ऐलान किया है. जिससे जल्द ही उपभोक्ताओं को पाम तेल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर व्यापारियों की राय जानी...

पाम ऑयल.
पाम ऑयल.

लखनऊः जल्द ही उपभोक्ताओं को पाम तेल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में 17.5% कृषि अवसंरचना और विकास उपकर लगाने का ऐलान किया है. मांग और आपूर्ति में बड़े गैप और भारतीय किसानों की दूसरी फसल की तरफ से शिफ्ट होने की वजह से एडिबल ऑयल की शॉर्टेज होती जा रही है. टैक्स बढ़ने के बाद ईटीवी भारत ने जब व्यापारियों से बात की तो वह 'रिलैक्स' नहीं नजर आए.

पाम ऑयल पर टैक्स बढ़ने से व्यापारी चिंतित.
100 रुपये तक बढ़ सकता है दाम
थोक व्यापारी सर्वेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि खाद्य तेलों में करीब 100 रुपये टीन का फर्क आएगा. खपत लगभग वही है, कोरोना काल में कम हो गई थी लेकिन, इस समय फिर से काम वैसे ही आ गया है. बेकरी वगैरह अब खुल गए हैं तो पाम ऑयल के साथ-साथ अन्य तेलों की भी खपत बढ़ गई है. टैक्स बढ़ने के बाद करीब 100 रुपये टीन का फर्क आ जाएगा. इसके चलते कई चीजों के भी रेट में फर्क आ जाएगा और महंगी हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा पाम ऑयल बिकता है.
खपत घटी, पड़ा असर
रिटेल व्यापारी नीशु गुप्ता बताते हैं कि तेल में 30 से 35 रुपये लीटर की तेजी आई है. जिसकी वजह से खपत बहुत ही घट गई है. जब होलसेल में तेजी आएगी तो रिटेल में अपने आप ही बढ़ना है. इसका कहीं न कहीं असर होगा ही.
'लगातार महंगाई बरकरार'
चांद मोहम्मद बताते हैं कि खाद्य तेलों पर 35 से 40 रुपये प्रति लीटर तक का फर्क पड़ा है. वहीं 300 का फर्क पड़ा पीपे पर पड़ा है. महंगाई लगातार चल रही है, कहीं से गिरावट नहीं आई है. सरसों का तेल डेढ़ सौ रुपये लीटर है. पाम आयल हम लोग बेचते नहीं हैं लेकिन रिफाइंड का भी यही हाल है.
10 बार सोचेगा गरीब आदमी
गृहणी सरबजीत कौर बताती हैं कि तेल इतना महंगा हो गया है कि गरीब आदमी तो 10 बार सोचेगा कि अब कैसे खाना बनाएं. अब दाल, चावल, सब्जियों के दामों में भी वृद्धि हो गई है. आदमी 100 या 500 रुये लेकर बाजार जाए तो सिर्फ 2 दिन की सब्जियां आती हैं.

इस देश में होता है ज्यादा उत्पादन
पाम ऑयल का सबसे ज्यादा अधिक उत्पादन इंडोनेशिया और मलेशिया में होता है. लेबर शॉर्टेज की वजह से लॉकडाउन के कारण इस बार पाम ऑयल उत्पादन बहुत कम हुआ है. लॉकडाउन के कारण देश में पाम ऑयल की खपत 40 फीसद तक गिर गई थी. केंद्र सरकार आरबीडी पाम आयल खरीद के जरिए निम्न और मध्यम वर्ग की कुकिंग ऑयल की जरूरत पूरी करती है. भारत पाम आयल के अलावा सोयाबीन, सूरजमुखी, सरसों और अन्य प्रकार के साथ आयल आयात होते हैं.

इतनी हो सकती है कीमत में वृद्धि
व्यापारियों की मानें तो क्रूड पाम आयल का भाव इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा बढ़ा हुआ है. कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के हटने के बाद अब इसकी मांग तेज हुई है. पाम आयल की सबसे ज्यादा खपत होटल, रेस्तरां और भोजनालय में होती है. खाद्य तेल की कीमतों में 3.50 से 4 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि होगी. हालांकि सोयाबीन और सूरजमुखी की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा.

राजधानी में 2020 और 2011 में तेल के होलसेल रेट

तेल20202021
पाम आयल (15 kg)₹1600₹1800
सरसों (1 ली.) ₹100₹130
सोयाबीन ₹105₹110
सूरजमुखी ₹110₹130
मूंगफली ₹140 ₹160
राइस ब्रांड ₹115₹140

लखनऊः जल्द ही उपभोक्ताओं को पाम तेल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में 17.5% कृषि अवसंरचना और विकास उपकर लगाने का ऐलान किया है. मांग और आपूर्ति में बड़े गैप और भारतीय किसानों की दूसरी फसल की तरफ से शिफ्ट होने की वजह से एडिबल ऑयल की शॉर्टेज होती जा रही है. टैक्स बढ़ने के बाद ईटीवी भारत ने जब व्यापारियों से बात की तो वह 'रिलैक्स' नहीं नजर आए.

पाम ऑयल पर टैक्स बढ़ने से व्यापारी चिंतित.
100 रुपये तक बढ़ सकता है दाम
थोक व्यापारी सर्वेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि खाद्य तेलों में करीब 100 रुपये टीन का फर्क आएगा. खपत लगभग वही है, कोरोना काल में कम हो गई थी लेकिन, इस समय फिर से काम वैसे ही आ गया है. बेकरी वगैरह अब खुल गए हैं तो पाम ऑयल के साथ-साथ अन्य तेलों की भी खपत बढ़ गई है. टैक्स बढ़ने के बाद करीब 100 रुपये टीन का फर्क आ जाएगा. इसके चलते कई चीजों के भी रेट में फर्क आ जाएगा और महंगी हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा पाम ऑयल बिकता है.
खपत घटी, पड़ा असर
रिटेल व्यापारी नीशु गुप्ता बताते हैं कि तेल में 30 से 35 रुपये लीटर की तेजी आई है. जिसकी वजह से खपत बहुत ही घट गई है. जब होलसेल में तेजी आएगी तो रिटेल में अपने आप ही बढ़ना है. इसका कहीं न कहीं असर होगा ही.
'लगातार महंगाई बरकरार'
चांद मोहम्मद बताते हैं कि खाद्य तेलों पर 35 से 40 रुपये प्रति लीटर तक का फर्क पड़ा है. वहीं 300 का फर्क पड़ा पीपे पर पड़ा है. महंगाई लगातार चल रही है, कहीं से गिरावट नहीं आई है. सरसों का तेल डेढ़ सौ रुपये लीटर है. पाम आयल हम लोग बेचते नहीं हैं लेकिन रिफाइंड का भी यही हाल है.
10 बार सोचेगा गरीब आदमी
गृहणी सरबजीत कौर बताती हैं कि तेल इतना महंगा हो गया है कि गरीब आदमी तो 10 बार सोचेगा कि अब कैसे खाना बनाएं. अब दाल, चावल, सब्जियों के दामों में भी वृद्धि हो गई है. आदमी 100 या 500 रुये लेकर बाजार जाए तो सिर्फ 2 दिन की सब्जियां आती हैं.

इस देश में होता है ज्यादा उत्पादन
पाम ऑयल का सबसे ज्यादा अधिक उत्पादन इंडोनेशिया और मलेशिया में होता है. लेबर शॉर्टेज की वजह से लॉकडाउन के कारण इस बार पाम ऑयल उत्पादन बहुत कम हुआ है. लॉकडाउन के कारण देश में पाम ऑयल की खपत 40 फीसद तक गिर गई थी. केंद्र सरकार आरबीडी पाम आयल खरीद के जरिए निम्न और मध्यम वर्ग की कुकिंग ऑयल की जरूरत पूरी करती है. भारत पाम आयल के अलावा सोयाबीन, सूरजमुखी, सरसों और अन्य प्रकार के साथ आयल आयात होते हैं.

इतनी हो सकती है कीमत में वृद्धि
व्यापारियों की मानें तो क्रूड पाम आयल का भाव इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा बढ़ा हुआ है. कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के हटने के बाद अब इसकी मांग तेज हुई है. पाम आयल की सबसे ज्यादा खपत होटल, रेस्तरां और भोजनालय में होती है. खाद्य तेल की कीमतों में 3.50 से 4 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि होगी. हालांकि सोयाबीन और सूरजमुखी की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा.

राजधानी में 2020 और 2011 में तेल के होलसेल रेट

तेल20202021
पाम आयल (15 kg)₹1600₹1800
सरसों (1 ली.) ₹100₹130
सोयाबीन ₹105₹110
सूरजमुखी ₹110₹130
मूंगफली ₹140 ₹160
राइस ब्रांड ₹115₹140
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