लखनऊ : राजधानी लखनऊ में चल रहे सनतकदा महोत्सव में मथुरा घराने के पखावज वादकों में से एक दिनेश प्रसाद की मंच पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. सनतकदा फेस्टिवल के चबूतरे पर पांच वाद्य यंत्र का कार्यक्रम आयोजित हो रहा था, जिसका दर्शक लुफ्त उठा रह थे. लगातार 15 मिनट से अधिक इन वाद्य यंत्रों को कलाकार बजा रहे थे, जिसमें तबला, सारंगी, हरमोनियम व गिटार शामिल था.
सोमवार दोपहर 3:26 बजे बारादरी के मंच पर ताल वाद्य के दौरान अचानक पखावज वादक दिनेश प्रसाद को सांस लेने में तकलीफ हुई. दिनेश के साथ सारंगी पर संगत कर रहे जीशान अब्बास ने बताया कि 'दोपहर 2.30 बजे कचहरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. 15-20 मिनट तक पखावज बजाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई. उन्हें तुरंत लारी कार्डियोलॉजी अस्पताल ले जाया गया.' डॉ. अक्षय प्रधान ने बताया कि 'अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो चुकी थी. उन्होंने बताया कि वाद्य यंत्र वादन के दौरान उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया.'
पहले किसी को नहीं समझ में आया कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. जिस वक्त दिनेश को हार्ट अटैक आया उस समय स्टेज पर ही अन्य सहयोगियों ने उन्हें संभाला. इस दौरान उन्हें एक मेडिसिन भी खिलाई, लेकिन किसी ने भी उन्हें मौके पर सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) नहीं दिया. दरअसल कार्यक्रम के दौरान अचानक से स्थिति बिगड़ने पर किसी को समझ ही नहीं आया कि यह कार्डियक अरेस्ट है. डॉ. अक्षय प्रधान ने कहा कि 'जिस वक्त उन्हें हार्ट अटैक आया उसी समय अगर किसी ने सीपीआर दिया होता तो शायद अस्पताल पहुंचने तक उनकी सांसें चल रही होतीं.
पखावज वादक दिनेश प्रसाद ने 1989 से 2014 तक संगीत नाटक अकादमी में संगीत की शिक्षा दी थी. 2005 में उन्हें एसएनए अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था. वे पखावज के साथ बेहतरीन तबला वादक भी थे. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार सुबह 10 बजे आलमबाग स्थित श्मशान घाट पर किया जाएगा.