लखनऊ : ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे लखनऊ के कोरोना मरीजों को जिंदगी देने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने छत्तीसगढ़ सरकार से कहकर ऑक्सीजन टैंकर भेजा. लखनऊ के मेदांता अस्पताल में यह ऑक्सीजन टैंकर पहुंच भी गया लेकिन अब यही टैंकर कांग्रेसियों में चर्चा का विषय बना हुआ है. कांग्रेसी ही मान रहे हैं कि पार्टी के बड़े नेताओं की इसी तरह की सोच के कारण पिछले 30 सालों से यूपी में कांग्रेस सत्ता से दूर है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल से पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने लखनऊ के लिए 16 टन का ऑक्सीजन टैंकर भेजने का अनुरोध किया था. इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से लखनऊ के लिए ऑक्सीजन टैंकर भेज भी दिया गया. लेकिन अब इस ऑक्सीजन टैंकर की पार्टी के नेताओं में खूब चर्चा है. इसकी वजह इस ऑक्सीजन टैंकर को मेदांता अस्पताल के सुपुर्द किया जाना है.
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पार्टी में फूट रहा अंतरविरोध
पार्टी के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि चर्चा ये है कि पार्टी गरीबों और बेसहारों की बात करती है लेकिन मेदांता अस्पताल में कोरोना के इलाज के लिए कोई गरीब भर्ती होने की सोच भी नहीं सकता. ऐसे में यह ऑक्सीजन टैंकर अमीरों को ऑक्सीजन देने के लिए मेदांता भेज दिया गया. इसकी वजह यही है कि पार्टी के बड़े नेता अगर कोरोना वायरस से संक्रमित हों तो उन्हें मेदांता अस्पताल में तत्काल इलाज मिल जाए. ऑक्सीजन की कोई कमी न पड़े. गरीबों की मदद के लिए सिर्फ पार्टी बात ही करती है, काम अमीरों के लिए ही होता है. यही वजह है कि 30 साल से उत्तर प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को मौका नहीं दिया.
यूपी सरकार को सौंपना चाहिए था अक्सीजन टैंकर
'ईटीवी भारत' ने जब कांग्रेस के नेताओं से मेदांता अस्पताल को ऑक्सीजन टैंकर सौंपे जाने को लेकर उनका पक्ष जानना चाहा तो कांग्रेस के बड़े नेताओं ने नाम सामने न लाने की बात पर यह जरूर माना कि पार्टी के बड़े नेताओं की सोच सही नहीं है. अगर प्रियंका गांधी सच में कोरोना से संक्रमित पीड़ितों की मदद करना ही चाहती थीं तो छत्तीसगढ़ सरकार से ऑक्सीजन टैंकर यूपी सरकार को भेजना चाहिए था, ना कि सीधे मेदांता अस्पताल को. अगर उत्तर प्रदेश सरकार को यह टैंकर भेजा होता तो पूरे प्रदेश में इसकी चर्चा होती कि कांग्रेस पार्टी जनता के साथ खड़ी है. मेदांता अस्पताल को ऑक्सीजन टैंकर देकर पार्टी ने यह जरूर साबित कर दिया कि उनके लिए कौन सा वर्ग ज्यादा महत्वपूर्ण है. पार्टी को बड़े नेताओं को इस बारे में जरूर सोचना चाहिए. अन्यथा जनता पिछले 30 सालों की तरह पार्टी से दूरी बनाए ही रहेगी.