लखनऊ. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार जोर लगा रही है. प्रदूषण कम करने के लिए यातायात साधनों में डीजल और पेट्रोल के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों को सरकार बढ़ावा दे रही है, लेकिन शहर में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदकर वाहन स्वामी पछता रहे हैं. कंपनी ने इलेक्ट्रिक ऑटो तो बेच दिए, लेकिन खराब होने पर उनके मरम्मत के लिए मेंटिनेंस की व्यवस्था ही नहीं की. शहर में हजारों इलेक्ट्रिक ऑटो हैं. जिनमें से 40 फीसद मरम्मत के अभाव में खड़े हैं. अब ऑटो यूनियन ने केंद्रीय परिवहन मंत्री, उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री, प्रमुख सचिव, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और आरटीओ के साथ ही कंपनी को भी शिकायत भेजी है.
लखनऊ की सड़कों पर तमाम तरह के इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ ही अब इलेक्ट्रिक ऑटो भी दौड़ते हुए नजर आ रहे हैं. लाखों की कीमत वाले इन इलेक्ट्रिक ऑटो को लोगों ने इस लालच में खरीद लिया कि यह कमाई का बेहतर माध्यम साबित होंगे. बहरहाल अब उनकी उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. कंपनी ने लुभावने वादे करके इलेक्ट्रिक ऑटो तो बेच दिए, लेकिन लखनऊ में सिर्फ दो ही वर्कशॉप बनाए, जिससे अब इलेक्ट्रिक ऑटो में कोई खराबी होने पर उनके मेंटिनेंस की कोई व्यवस्था ही नहीं है. कंपनी ने सिर्फ दो ही वर्कशॉप बनाए हैं जो खराब होने वाले इलेक्ट्रिक ऑटो को सही समय पर मेंटेन भी नहीं कर पा रहे हैं. कंपनी ने वादा किया था कि इलेक्ट्रिक ऑटो खराब होने पर कंपनी की क्रेन उन्हें ले जाएगी और वर्कशॉप में जितने दिन ऑटो को मेंटेन करने में लगेंगे उसकी भरपाई कंपनी की तरफ से की जाएगी. प्रतिदिन ₹600 ऑटो के मालिक को देने का ख्वाब दिखाया, लेकिन कर्मचारी खराब ऑटो की एंट्री ही वर्कशॉप के अंदर नहीं ले रहे हैं. इससे उन्हें इस क्लेम का भी लाभ नहीं मिल रहा है.
लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ (Lucknow Auto Rickshaw Three Wheeler Association) के अध्यक्ष पंकज दीक्षित का कहना है कि लखनऊ में महिंद्रा कंपनी का इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा संचालित हो रहा है. कंपनी के 1000 ऑटो रिक्शा और 2000 ई रिक्शा संचालित हो रहे हैं. सिर्फ ऑटो की बात करें तो महिंद्रा कंपनी ने सिर्फ दो वर्कशॉप बनाए हैं जो मेंटिनेंस के लिए पर्याप्त नहीं है. न वर्कशॉप में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी हैं. कोई गाड़ी बनने जाती है तो उसको दो से तीन महीने की वेटिंग मिल रही है. कंपनी के पास पार्ट्स अवेलेबल नहीं हैं. महिंद्रा कंपनी ने एक स्कीम लागू की थी कि अगर कोई गाड़ी कंपनी की कमी की वजह से नहीं बन पा रही है तो जितने दिन गाड़ी बनने में डिले होगा कंपनी ₹600 के हिसाब से प्रतिदिन गाड़ी मालिक को क्लेम देगी लेकिन वर्कशॉप गाड़ियों को लिखा पढ़ी में एंट्री ही नहीं करते हैं. जब गाड़ी की एंट्री ही नहीं करेंगे तो कंपनी की तरफ से जो क्लेम दिया जाता है उसका लाभ नहीं मिल पाता है.