लखनऊ : यूपी के कई सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मियों की भर्ती हो रही है. खासकर स्वास्थ्य विभाग में कई माध्यम से कर्मियों की भर्ती होने से मानदेय को लेकर एक समान नीति नहीं थी. इसके विरोध में आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अब अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने समान मानदेय का आदेश जारी किया है. यह श्रम विभाग द्वारा तय न्यूनतम वेतन से अधिक होगा.
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ विभाग व चिकित्सा शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर आउटसोर्स के तहत कर्मचारियों की तैनाती की गई है. आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री सच्चिदानंद मिश्रा के मुताबिक इन विभागों में करीब तीन लाख कर्मचारी आउटसोर्स पर तैनात हैं. इनमें वार्ड ब्वॉय से लेकर नर्स शामिल हैं. वहीं, कर्मचारियों को एक ही पद पर प्रदेश में अलग-अलग मानदेय दिए जा रहे हैं .
मसलन, कहीं वार्ड ब्वॉय को 6500 मानदेय में मिल रहे हैं तो कहीं पर आठ हजार रुपए. कर्मचारियों को कहीं जैम पोर्टल तो कहीं सीएमओ टेंडर के जरिए भर्ती किया जा रहा है. साथ ही मनमाने तरीके से उन्हें हटाया भी जा रहा है.
ऐसे में कर्मचारियों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ अध्यक्ष रितेश मल्ल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. अभी इस पर सुनवाई जारी है. पांच अप्रैल को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने प्रदेश में आउटसोर्सिंग कर्मियों को एक समान मानदेय देने का आदेश दिया है. यह मानदेय श्रम विभाग द्वारा तय न्यूनतम मानदेय से अधिक होगा. कई पदों का मानदेय तय भी कर दिया गया है.
आदेश के मुताबिक वार्ड ब्वॉय व अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को 10,706 रुपये मिलेंगे. सफाई कर्मियों को 9,999 मिलेंगे रुपए मिलेंगे. कम्प्यूटर सहायक को 12,844 मिलेंगे. इसमें किसी प्रकार की कटौती नहीं होगी. कर्मियों का ईपीएफ व एजेंसी का सर्विस चार्ज शासन द्वारा वहन किया जाएगा.
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