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भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को पुनः नोटिस जारी करने का आदेश, मुख्य चुनाव आयुक्त को भी नोटिस - न्यायमूर्ति राजेश बिंदल

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक लगाने की मांग वाले एएक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य चुनाव आयुक्त समेत प्रदेश के चार प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को नई नोटिसें जारी करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को होगी.

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Published : Dec 5, 2022, 12:13 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक लगाने की मांग वाले एएक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य चुनाव आयुक्त समेत प्रदेश के चार प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को नई नोटिसें जारी करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को होगी.


यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह (Chief Justice Rajesh Bindal and Justice Jaspreet Singh) की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा वर्ष 2013 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. मामले की 11 नवंबर को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि वर्ष 2013 में ही नोटिसें जारी होने के बावजूद चारों प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से कोई पेश नहीं हुआ है. इस पर न्यायालय ने नई नोटिस जारी करने का आदेश दिया.


उल्लेखनीय है कि उक्त जनहित याचिका में प्रदेश में जातीय रैलियों पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई थी. याचिका पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने 11 जुलाई 2013 को प्रदेश में राजनीतिक दलों द्वारा जाती आधारित रैलियां किए जाने पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा था कि जातीय सिस्टम समाज को विभाजित करता है और इससे भेदभाव उत्पन्न होता है. न्यायालय ने कहा कि जाति आधारित रैलियों को अनुमति देना संविधान की भावना, मौलिक अधिकारों व दायित्वों का उल्लंघन है.

यह भी पढ़ें : नगरीय निकायों में 5 से 12 दिसंबर तक चलेगा नगर सुशोभन अभियान, मंत्री एके शर्मा ने दी जानकारी

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक लगाने की मांग वाले एएक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य चुनाव आयुक्त समेत प्रदेश के चार प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को नई नोटिसें जारी करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को होगी.


यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह (Chief Justice Rajesh Bindal and Justice Jaspreet Singh) की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा वर्ष 2013 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. मामले की 11 नवंबर को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि वर्ष 2013 में ही नोटिसें जारी होने के बावजूद चारों प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से कोई पेश नहीं हुआ है. इस पर न्यायालय ने नई नोटिस जारी करने का आदेश दिया.


उल्लेखनीय है कि उक्त जनहित याचिका में प्रदेश में जातीय रैलियों पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई थी. याचिका पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने 11 जुलाई 2013 को प्रदेश में राजनीतिक दलों द्वारा जाती आधारित रैलियां किए जाने पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा था कि जातीय सिस्टम समाज को विभाजित करता है और इससे भेदभाव उत्पन्न होता है. न्यायालय ने कहा कि जाति आधारित रैलियों को अनुमति देना संविधान की भावना, मौलिक अधिकारों व दायित्वों का उल्लंघन है.

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