लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने बुधवार को एक दुराचार पीड़िता के 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिराने की अनुमति देते हुए, केजीएमयू के कुलपति को आदेश दिया है कि वह 24 घंटों के भीतर पीड़िता को भर्ती किया जाना सुनिश्चित करें. तत्पश्चात उसके आवश्यक टेस्ट इत्यादि तथा उसके जीवन पर खतरे को देखते हुए, उसका गर्भपात किया जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान व न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ ने दुराचार पीड़िता की याचिका पर दिया. याची की ओर से दलील दी गई कि उसके साथ हुई दुराचार की घटना के सम्बंध में उन्नाव जनपद के पुरवा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. दुराचार की उक्त घटना के कारण उसका गर्भ धारण हो गया. पूर्व की सुनवाई में न्यायालय ने केजीएमयू प्रशासन को मेडिकल बोर्ड का गठन कर पीड़िता के चिकित्सीय परीक्षण का आदेश दिया था. परीक्षण की उक्त रिपोर्ट बुधवार को न्यायालय के समक्ष सील बंद लिफ़ाफ़े में पेश की गई. जिसे पढ़ने के बाद न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में पीड़िता भारी मानसिक सदमे की शिकार होती है, यह सदमा उसके दिल और दिमाग में एक निशान छोड़ जाता है जो कभी मिट नहीं पाता. न्यायालय ने कहा कि इस याचिका को लंबित नहीं छोड़ा जा सकता, क्योंकि यहां पीड़िता के जीवन का सवाल है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने केजीएमयू के अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह न्यायालय के आदेश बावत केजीएमयू के कुलपति को अवगत कराएं जो 24 घंटों के भीतर इस आदेश का पालन करें.
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