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याजदान बिल्डिंग के गिराने पर लगी रोक, हाईकोर्ट में आज भी होगी सुनवाई

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हजरतगंज स्थित याजदान बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण के खिलाफ बिल्डिंग के कब्जेदारों ने याचिका दाखिल की है. सोमवार को याचिका दाखिल करने के बाद कब्जेदारों के अधिवक्ताओं ने न्यायालय से तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया. हालांकि याचिका के पेश होने तक सुनवाई कर रही पीठ के पास समय नहीं बचा था. लिहाजा पीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार को लगा दी है.

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Published : Nov 14, 2022, 7:31 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याजदान बिल्डर्स की हजरतगंज स्थित बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण के खिलाफ बिल्डिंग के कब्जेदारों ने याचिका दाखिल की है. सोमवार को याचिका दाखिल करने के बाद कब्जेदारों के अधिवक्ताओं ने न्यायालय से तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया. हालांकि याचिका के पेश होने तक सुनवाई कर रही पीठ के पास समय नहीं बचा था. लिहाजा पीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार को लगा दी है. वहीं याचियों (petitioners) के अधिवक्ताओं ने अनुरोध किया कि मंगलवार तक के लिए एलडीए को ध्वस्तीकरण से रोक दिया जाए. इस पर न्यायालय ने रात में बिल्डिंग न गिराने का मौखिक आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ (order was passed by a division bench of Justice AR Masoodi and Justice Om Prakash Shukla) ने निधि अग्रवाल, तृप्ति तारा प्रसाद शुक्ला, नुजहत खुर्शीद व रविकांत की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचियों की दलील थी कि एलडीए नक्शा पास न होने के आधार पर उक्त बिल्डिंग को अवैध बताते हुए गिरा रहा है, जबकि जब उन्होंने फ्लैट्स खरीदे थे तो बताया गया था कि बिल्डिंग का नक्शा पास है.

यह भी कहा गया है कि बिल्डिंग रेरा से अप्रूव है व छह सालों से इसका निर्माण चल रहा है. कहा गया कि तब एलडीए के अधिकारियों को अवैध निर्माण होता क्यों नहीं दिखाई दिया. याचियों (petitioners) की ओर से कहा गया कि इस पूरे प्रकरण में उन्हें बिना कोई गलती किए भुगतना पड़ रहा है. वहीं याचिका का एलडीए के अधिवक्ता रत्नेश चंद्रा ने विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि उक्त बिल्डिंग के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई हो रही है. यह भी कहा गया कि बिल्डिंग का नक्शा नहीं पास हुआ है.

यह भी पढ़ें : BJP प्रदेश अध्यक्ष ने आगामी चुनाव के लिए बनाई रणनीति, पदाधिकारियों को बताया जीत का मंत्र

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याजदान बिल्डर्स की हजरतगंज स्थित बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण के खिलाफ बिल्डिंग के कब्जेदारों ने याचिका दाखिल की है. सोमवार को याचिका दाखिल करने के बाद कब्जेदारों के अधिवक्ताओं ने न्यायालय से तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया. हालांकि याचिका के पेश होने तक सुनवाई कर रही पीठ के पास समय नहीं बचा था. लिहाजा पीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार को लगा दी है. वहीं याचियों (petitioners) के अधिवक्ताओं ने अनुरोध किया कि मंगलवार तक के लिए एलडीए को ध्वस्तीकरण से रोक दिया जाए. इस पर न्यायालय ने रात में बिल्डिंग न गिराने का मौखिक आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ (order was passed by a division bench of Justice AR Masoodi and Justice Om Prakash Shukla) ने निधि अग्रवाल, तृप्ति तारा प्रसाद शुक्ला, नुजहत खुर्शीद व रविकांत की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचियों की दलील थी कि एलडीए नक्शा पास न होने के आधार पर उक्त बिल्डिंग को अवैध बताते हुए गिरा रहा है, जबकि जब उन्होंने फ्लैट्स खरीदे थे तो बताया गया था कि बिल्डिंग का नक्शा पास है.

यह भी कहा गया है कि बिल्डिंग रेरा से अप्रूव है व छह सालों से इसका निर्माण चल रहा है. कहा गया कि तब एलडीए के अधिकारियों को अवैध निर्माण होता क्यों नहीं दिखाई दिया. याचियों (petitioners) की ओर से कहा गया कि इस पूरे प्रकरण में उन्हें बिना कोई गलती किए भुगतना पड़ रहा है. वहीं याचिका का एलडीए के अधिवक्ता रत्नेश चंद्रा ने विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि उक्त बिल्डिंग के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई हो रही है. यह भी कहा गया कि बिल्डिंग का नक्शा नहीं पास हुआ है.

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