ETV Bharat / state

KGMU: दूसरों को बचाने में खुद की जिंदगी कोरोना से हार गए डॉक्टर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित केजीएमयू में कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर भर्ती किए गए डॉक्टर की मौत हो गई. उन्हें उरई मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ने पर यहां भर्ती किया गया था. उनकी मौत किडनी में हुए संक्रमण की वजह से हुई है.

orai medical college doctor died due to coronavirus in kgmu
कॉन्सेप्ट इमेज.
author img

By

Published : May 10, 2020, 12:41 PM IST

लखनऊ: कोरोना वायरस से संक्रमित होकर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती हुए उरई मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर की शनिवार शाम को मृत्यु हो गई. डॉक्टर केजीएमयू के ही एलुमनाई रह चुके हैं. उनका बेटा भी केजीएमयू में ही पढ़ाई कर रहा है और उन्होंने भी यहीं पर आखिरी सांसें लीं.

ईटीवी भारत ने मृतक डॉक्टर के बैचमेट से की बातचीत.

मृतक किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में 1981 बैच के पेशेवर चिकित्सक थे. बेहोशी की दवा देने में इतने एक्सपर्ट थे कि कमजोर से कमजोर फेफड़े वाले मरीजों को भी अगर ऑपरेशन की जरूरत होती थी तो वह जोखिम उठा लेते थे और हर बार सफल होते थे. ऐसे ही एक मरीज को उरई के मेडिकल कॉलेज में एनेस्थीसिया देने के दौरान डॉक्टर खुद कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ गए.

जिंदगी की जंग जीतने के लिए उरई से वह केजीएमयू लाए गए. यहां पर एमबीबीएस फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहे उनके बेटे ने भी वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ मिलकर पिता को बचाने की कोशिश की, मगर नियति से हार गए. डॉक्टरों की मानें तो मृतक डॉक्टर की कोरोना वायरस की आखिरी दोनों जांचें निगेटिव आई थी. यानी वह कोरोना वायरस की जंग तो जीत चुके थे, लेकिन किडनी में हुए संक्रमण की वजह से वह जिंदगी की जंग हार गए.

मृतक डॉक्टर की पत्नी भी कोरोना वायरस की चपेट में आ गई थीं. शनिवार को उनकी भी दोनों जांचें निगेटिव आने के बाद उन्हें डिस्चार्ज किया गया है. 1981 बैच के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के जॉर्जियन डॉक्टरों में इस वक्त शोक की लहर है.

लखनऊ: कैसरबाग में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ी

मृतक डॉक्टर के बैचमेट डॉ. पीके गुप्ता ने बताया कि हम 1981 जॉर्जियन बैच के बैचमेट थे. 1987 तक हम सभी साथ रहे. डॉक्टर स्वभाव से बेहद सौम्य और नम्र थे. उन्हें कभी गुस्सा शायद ही आया होगा. इस दु:ख की घड़ी में विश्व भर में फैले जॉर्जियन 81 बैच परिवार उनके परिवार के साथ है.

लखनऊ: कोरोना वायरस से संक्रमित होकर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती हुए उरई मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर की शनिवार शाम को मृत्यु हो गई. डॉक्टर केजीएमयू के ही एलुमनाई रह चुके हैं. उनका बेटा भी केजीएमयू में ही पढ़ाई कर रहा है और उन्होंने भी यहीं पर आखिरी सांसें लीं.

ईटीवी भारत ने मृतक डॉक्टर के बैचमेट से की बातचीत.

मृतक किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में 1981 बैच के पेशेवर चिकित्सक थे. बेहोशी की दवा देने में इतने एक्सपर्ट थे कि कमजोर से कमजोर फेफड़े वाले मरीजों को भी अगर ऑपरेशन की जरूरत होती थी तो वह जोखिम उठा लेते थे और हर बार सफल होते थे. ऐसे ही एक मरीज को उरई के मेडिकल कॉलेज में एनेस्थीसिया देने के दौरान डॉक्टर खुद कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ गए.

जिंदगी की जंग जीतने के लिए उरई से वह केजीएमयू लाए गए. यहां पर एमबीबीएस फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहे उनके बेटे ने भी वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ मिलकर पिता को बचाने की कोशिश की, मगर नियति से हार गए. डॉक्टरों की मानें तो मृतक डॉक्टर की कोरोना वायरस की आखिरी दोनों जांचें निगेटिव आई थी. यानी वह कोरोना वायरस की जंग तो जीत चुके थे, लेकिन किडनी में हुए संक्रमण की वजह से वह जिंदगी की जंग हार गए.

मृतक डॉक्टर की पत्नी भी कोरोना वायरस की चपेट में आ गई थीं. शनिवार को उनकी भी दोनों जांचें निगेटिव आने के बाद उन्हें डिस्चार्ज किया गया है. 1981 बैच के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के जॉर्जियन डॉक्टरों में इस वक्त शोक की लहर है.

लखनऊ: कैसरबाग में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ी

मृतक डॉक्टर के बैचमेट डॉ. पीके गुप्ता ने बताया कि हम 1981 जॉर्जियन बैच के बैचमेट थे. 1987 तक हम सभी साथ रहे. डॉक्टर स्वभाव से बेहद सौम्य और नम्र थे. उन्हें कभी गुस्सा शायद ही आया होगा. इस दु:ख की घड़ी में विश्व भर में फैले जॉर्जियन 81 बैच परिवार उनके परिवार के साथ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.