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यूपी विधानसभा: राजनीतिक लोगों पर दर्ज मुकदमे को लेकर विपक्ष का हंगामा - MLA Shyamsunder Sharma

उत्तर प्रदेश की विधानसभा में राजनीतिक लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने के मामले को लेकर मंगलवार को हंगामा हुआ. यूपी सरकार में कानून मंत्री ब्रजेश पाठक के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के सदस्यों ने बेल में जाकर हंगामा किया.

यूपी विधानसभा.
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Published : Mar 2, 2021, 3:24 PM IST

लखनऊ: राजनीतिक लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने के मामले में मंगलवार को विधानसभा में जोरदार हंगामा हुआ. सरकार की तरफ से कानून मंत्री ब्रजेश पाठक के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के सदस्य हंगामा करने लगे. इस दौरान सपा के सदस्य बेल में आ गए. काफी देर तक हंगामा चलता रहा. जहां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगे. काफी देर तक हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सकी.

दरअसल, बसपा के वरिष्ठ सदस्य श्यामसुंदर शर्मा ने मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सरकार से जानना चाहा कि इस सरकार ने कितने मुकदमे वापस लिए हैं. जिनपर मुकदमे दर्ज थे. वे कौन-कौन हैं और किस राजनीतिक दल से ताल्लुक रखते हैं. कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि 670 मुकदमे वापस लेने की संस्तुति की गई है. पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विगत सरकारों में जो हुआ और जो बीजेपी सरकार में हो रहा है. वह सब सामने है. पहले सत्र में ही सीएम योगी ने घोषणा की थी कि राजनीतिक दृष्टि से जो भी मुकदमा दर्ज होंगे. उसे हम वापस लेंगे. इस घोषणा के क्रम में ही हमारी सरकार ने इस पर काम शुरू किया. प्रक्रिया में बताया कि मुकदमा वापस लेने से पहले हम जनप्रतिनिधियों से दरखास्त लेते हैं. उसके बाद पुलिस प्रशासन की रिपोर्ट ली जाती है. फिर शासन में यह मामला आता है. इसके बाद निर्णय लिया जाता है. रही बात दलों के नेताओं पर दर्ज मुकदमे के विवरण की तो इस पर मेरा कहना है कि कानून इस बात की इजाजत नहीं देता कि हम दलगत निर्णय लें. हमारे पास पूरी सूची है. यह हम उपलब्ध करा सकते हैं. व्यक्तिगत प्रताड़ना के जो भी सवाल हैं. उसके हित की चिंता हमारे सदन को करना चाहिए. हमारी सरकार ने इस तरह की चिंता की है. अगर पीठ से मुझे अनुमति मिले तो मैं यह सूची सार्वजनिक कर सकता हूं. विपक्ष के सदस्य ने इस पर हामी भरी तो कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि आपके पीछे चौथी सीट पर बैठे व्यक्ति का नाम शामिल है. आप के बगल में दाहिनी तरफ और बाएं तरफ भी बैठे हैं.

इसके बाद कानून मंत्री ने कहा कि इस सदन ने देखा है कि 2013 में तत्कालनी सरकार ने आतंकवादियों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए थे. उन्होंने गोरखपुर और लखनऊ की घटनाओं का भी जिक्र किया. उसका विवरण पढ़ना शुरू किया तो विपक्ष ने ऐतराज जताया. खासकर सपा के सदस्यों को ऐतराज हुआ. क्यों कि उस वक्त प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी. कानून मंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट की भी उस घटना पर टिप्पणी आई थी. पाठक ने कहा कि गंभीर अपराधों में दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए कलम चलाते हुए मेरा हाथ कांपता है. हत्या, लूट, डकैती जैसे अपराध में कोई मामले वापस नहीं लिए गए हैं.

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि मुकदमों का विवरण सदन में आने से इन्हें (सपा) को दिक्कत क्यों हो रही है. इनकी सरकार में वापस लिए गए मुकदमों का विवरण कानून मंत्री ने सही ही तो बताया है. इस बीच नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि सदस्य ने सरकार से 2017 से अबतक वापस लिए गए मुकदमे का विवरण जानना चाहा है. कानून मंत्री 2013 और 2014 की बात कर रहे हैं, लेकिन सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं.

इसे भी पढे़ं- नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल को लिखा पत्र, योगी सरकार को बर्खास्त करने की मांग की

लखनऊ: राजनीतिक लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने के मामले में मंगलवार को विधानसभा में जोरदार हंगामा हुआ. सरकार की तरफ से कानून मंत्री ब्रजेश पाठक के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के सदस्य हंगामा करने लगे. इस दौरान सपा के सदस्य बेल में आ गए. काफी देर तक हंगामा चलता रहा. जहां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगे. काफी देर तक हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सकी.

दरअसल, बसपा के वरिष्ठ सदस्य श्यामसुंदर शर्मा ने मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सरकार से जानना चाहा कि इस सरकार ने कितने मुकदमे वापस लिए हैं. जिनपर मुकदमे दर्ज थे. वे कौन-कौन हैं और किस राजनीतिक दल से ताल्लुक रखते हैं. कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि 670 मुकदमे वापस लेने की संस्तुति की गई है. पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विगत सरकारों में जो हुआ और जो बीजेपी सरकार में हो रहा है. वह सब सामने है. पहले सत्र में ही सीएम योगी ने घोषणा की थी कि राजनीतिक दृष्टि से जो भी मुकदमा दर्ज होंगे. उसे हम वापस लेंगे. इस घोषणा के क्रम में ही हमारी सरकार ने इस पर काम शुरू किया. प्रक्रिया में बताया कि मुकदमा वापस लेने से पहले हम जनप्रतिनिधियों से दरखास्त लेते हैं. उसके बाद पुलिस प्रशासन की रिपोर्ट ली जाती है. फिर शासन में यह मामला आता है. इसके बाद निर्णय लिया जाता है. रही बात दलों के नेताओं पर दर्ज मुकदमे के विवरण की तो इस पर मेरा कहना है कि कानून इस बात की इजाजत नहीं देता कि हम दलगत निर्णय लें. हमारे पास पूरी सूची है. यह हम उपलब्ध करा सकते हैं. व्यक्तिगत प्रताड़ना के जो भी सवाल हैं. उसके हित की चिंता हमारे सदन को करना चाहिए. हमारी सरकार ने इस तरह की चिंता की है. अगर पीठ से मुझे अनुमति मिले तो मैं यह सूची सार्वजनिक कर सकता हूं. विपक्ष के सदस्य ने इस पर हामी भरी तो कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि आपके पीछे चौथी सीट पर बैठे व्यक्ति का नाम शामिल है. आप के बगल में दाहिनी तरफ और बाएं तरफ भी बैठे हैं.

इसके बाद कानून मंत्री ने कहा कि इस सदन ने देखा है कि 2013 में तत्कालनी सरकार ने आतंकवादियों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए थे. उन्होंने गोरखपुर और लखनऊ की घटनाओं का भी जिक्र किया. उसका विवरण पढ़ना शुरू किया तो विपक्ष ने ऐतराज जताया. खासकर सपा के सदस्यों को ऐतराज हुआ. क्यों कि उस वक्त प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी. कानून मंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट की भी उस घटना पर टिप्पणी आई थी. पाठक ने कहा कि गंभीर अपराधों में दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए कलम चलाते हुए मेरा हाथ कांपता है. हत्या, लूट, डकैती जैसे अपराध में कोई मामले वापस नहीं लिए गए हैं.

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि मुकदमों का विवरण सदन में आने से इन्हें (सपा) को दिक्कत क्यों हो रही है. इनकी सरकार में वापस लिए गए मुकदमों का विवरण कानून मंत्री ने सही ही तो बताया है. इस बीच नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि सदस्य ने सरकार से 2017 से अबतक वापस लिए गए मुकदमे का विवरण जानना चाहा है. कानून मंत्री 2013 और 2014 की बात कर रहे हैं, लेकिन सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं.

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