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अब कूल्हे की हड्डी का ऑपरेशन हुआ आसान, इस नई तकनीक से होगी सर्जरी - Dr. Anoop Agarwal

लखनऊ कैडेवरिक वर्कशॉप वेल्फेयर सोसाइटी की तरफ से शनिवार को केजीएमयू के एनाटॉमी विभाग कार्यशाला हुई. इसमें विशेषज्ञों ने कैडवरिक पेल्विस फ्रैक्चर पर जानकारी साझा की.

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कूल्हे की हड्डी
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Published : Mar 12, 2022, 10:11 PM IST

लखनऊ. अब कूल्हे की हड्डी का फ्रैक्चर जुड़ने के बाद मरीज को प्लेट निकलवाने के लिए दोबारा ऑपरेशन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी. खास तरह की प्लेट ताउम्र मरीज के शरीर में पड़ी रह सकती हैं. एमआरआई जांच में भी कोई अड़चन नहीं आएगी. मरीज को ऑपरेशन वाले हिस्से में संक्रमण की आशंका भी नहीं होगी. यह जानकारी इंडियन ऑर्थोपैडिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. रमेश सेन ने साझा की.

लखनऊ कैडेवरिक वर्कशॉप वेल्फेयर सोसाइटी की तरफ से शनिवार को केजीएमयू के एनाटॉमी विभाग कार्यशाला हुई. इसमें विशेषज्ञों ने कैडवरिक पेल्विस फ्रैक्चर पर जानकारी साझा की. डॉ. रमेश सेन ने कहा कि अब ऐसी स्टेनलेस स्टील प्लेट आ गई हैं जिसे लगे होने के मेटल रिएक्शन नहीं होगा. यह प्लेट मरीज की हड्डी में जीवन भर लगी रह सकती हैं. इसमें मरीज को कोई दिक्कत नहीं होगी. एमआरआई भी मरीज करा सकेंगे. इसमें आठ कैडवर (शव) पर डॉक्टरों को फ्रैक्चर सर्जरी का प्रशिक्षण दिया गया.

पढ़ेंः केजीएमयू के किडनी रोग के मरीज अब घर पर करवा सकेंगे डायलिसिस


कूल्हा प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं

दिल्ली एम्स के डॉ. विवेक त्रिभा ने बताया कि कूल्हे की चोट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. पहले पहले कूल्हे में चोट से वह हिस्सा खराब हो जाता था. नौबत कूल्हा प्रत्यारोपण तक आ जाती थी. अब थ्री डी प्रिंटिंग समेत नई तकनीक से हर तरह के फ्रैक्चर का ऑपरेशन संभव हो गया है.

इससे प्रत्यारोपण के लिए बड़ा ऑपरेशन करने की कम जरूरत पड़ रही है. डॉ. हरीश मक्कड़ ने बताया कि पेल्विस बोन का ऑपरेशन बेहद कठिन होता है. यही वजह है कि कम डॉक्टर ही इस ऑपरेशन में दिलचस्पी दिखाते हैं.

डॉ. अनूप अग्रवाल ने कहा कि नए इप्लांट अब अधिक समय तक चलते हैं. इससे मरीज को बार-बार ऑपरेशन कराने की जरूरत नहीं पड़ती है. कम उम्र के लोगों में भी प्रत्यारोपण करने में कोई डर नहीं रहता है.


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लखनऊ. अब कूल्हे की हड्डी का फ्रैक्चर जुड़ने के बाद मरीज को प्लेट निकलवाने के लिए दोबारा ऑपरेशन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी. खास तरह की प्लेट ताउम्र मरीज के शरीर में पड़ी रह सकती हैं. एमआरआई जांच में भी कोई अड़चन नहीं आएगी. मरीज को ऑपरेशन वाले हिस्से में संक्रमण की आशंका भी नहीं होगी. यह जानकारी इंडियन ऑर्थोपैडिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. रमेश सेन ने साझा की.

लखनऊ कैडेवरिक वर्कशॉप वेल्फेयर सोसाइटी की तरफ से शनिवार को केजीएमयू के एनाटॉमी विभाग कार्यशाला हुई. इसमें विशेषज्ञों ने कैडवरिक पेल्विस फ्रैक्चर पर जानकारी साझा की. डॉ. रमेश सेन ने कहा कि अब ऐसी स्टेनलेस स्टील प्लेट आ गई हैं जिसे लगे होने के मेटल रिएक्शन नहीं होगा. यह प्लेट मरीज की हड्डी में जीवन भर लगी रह सकती हैं. इसमें मरीज को कोई दिक्कत नहीं होगी. एमआरआई भी मरीज करा सकेंगे. इसमें आठ कैडवर (शव) पर डॉक्टरों को फ्रैक्चर सर्जरी का प्रशिक्षण दिया गया.

पढ़ेंः केजीएमयू के किडनी रोग के मरीज अब घर पर करवा सकेंगे डायलिसिस


कूल्हा प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं

दिल्ली एम्स के डॉ. विवेक त्रिभा ने बताया कि कूल्हे की चोट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. पहले पहले कूल्हे में चोट से वह हिस्सा खराब हो जाता था. नौबत कूल्हा प्रत्यारोपण तक आ जाती थी. अब थ्री डी प्रिंटिंग समेत नई तकनीक से हर तरह के फ्रैक्चर का ऑपरेशन संभव हो गया है.

इससे प्रत्यारोपण के लिए बड़ा ऑपरेशन करने की कम जरूरत पड़ रही है. डॉ. हरीश मक्कड़ ने बताया कि पेल्विस बोन का ऑपरेशन बेहद कठिन होता है. यही वजह है कि कम डॉक्टर ही इस ऑपरेशन में दिलचस्पी दिखाते हैं.

डॉ. अनूप अग्रवाल ने कहा कि नए इप्लांट अब अधिक समय तक चलते हैं. इससे मरीज को बार-बार ऑपरेशन कराने की जरूरत नहीं पड़ती है. कम उम्र के लोगों में भी प्रत्यारोपण करने में कोई डर नहीं रहता है.


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