लखनऊ : केजीएमयू में मरीजों की भीड़ कम करने को नई रणनीति बनाई गई है. इसके तहत ट्रॉमा सेंटर में टेलीमेडिसिन सेंटर खोला गया है, जो 24 घंटे काम करेगा. पहले चरण में इससे एक्यूट इंसेफेलाइटिस एवं जापानी इंसेफेलाइटिस से प्रभावित सात जिलों एवं लखनऊ जेल को जोड़ा जा रहा है.
दरअसल, केजीएमयू में विभिन्न जिलों के करीब छह से आठ हजार मरीज रोजाना आते हैं. इससे यहां की व्यवस्थाएं तार-तार हो जाती हैं. पिछले दिनों हॉस्पिटल एडवाइजरी कमेटी ने भी यह मुद्दा उठाया था. इसमें निर्धारित संख्या में मरीजों का पंजीयन करने का सुझाव दिया गया था. कमेटी ने मरीजों की पंजीयन संख्या तय करने के बजाय विभागाध्यक्षों को स्वविवेक से निर्णय लेने को कहा है. ऐसे में टेलीमेडिसिन का विकल्प बढ़ाने की रणनीति अपनाई गई है.
इससे जुड़े जिलों के चिकित्सक ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सक से परामर्श ले सकेंगे. इसकी टेस्टिंग कर ली गई है. सेंटर चालू होने से सातों जिले के मरीजों को सीधा फायदा मिलेगा, वहां मृत्यु दर रुकेगी. केजीएमयू पर मरीजों का दबाव कम होगा. भविष्य में इसे अन्य जिलों के अस्पतालों से भी जोड़ने की योजना है.
कॉल करके मरीज डॉक्टर से परामर्श ले सकेंगे
ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर हेल्थ रडार सेंटर बनाया गया है. पहले चरण में बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर और महराजगंज जिले को इससे जोड़ा गया है. इनके जिला चिकित्सालयों में भी टेलीमेडिसिन केंद्र बनाया गया है. ऐसे में जिला अस्पताल में आने वाले मरीज के बारे में वहां के चिकित्सक केजीएमयू के टेलीमेडिसिन केंद्र में कॉल कर यहां के डॉक्टर से इलाज संबंधी परामर्श ले सकेंगे.
यदि मरीज को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर ले जाने की जरूरत पड़ती है तो उसके वहां से रवाना होते ही यहां व्यवस्थाएं मुकम्मल कर ली जाएंगी. इससे बेड खाली न होने, स्ट्रेचर पर मरीज के पड़े रहने की समस्या खत्म हो जाएगी.