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2020 पद्म अवार्ड की घोषणा, इन चेहरों ने बढ़ाया यूपी का मान

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने वर्ष 2020 के लिए पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया है. उत्तर प्रदेश के प्रख्यात शास्त्रीय गायक पं. छन्नू लाल मिश्र को कला के क्षेत्र में पद्म विभूषण और आठ लोगों को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

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पद्म पुरस्कारों का ऐलान
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Published : Jan 26, 2020, 6:56 AM IST

लखनऊ: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने वर्ष 2020 के लिए पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिया गया है. एमसी मैरीकॉम सहित यह पुरस्कार कुल 7 लोगों को दिया जाएगा. 16 हस्तियों को पद्म भूषण और 118 लोगों को पद्मश्री देने का एलान किया गया है. यूपी के पं. छन्नू लाल को पद्म विभूषण और मोहम्मद शरीफ समेत 8 को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

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पंडित छन्नूलाल मिश्र.

पंडित छन्नूलाल मिश्र : देश की सांस्‍कृतिक नगरी काशी निवासी ठुमरी के शास्त्रीय गायक पंडित छन्‍नूलाल मिश्र को पद्म विभूषण सम्‍मान 2019 दिया जाएगा. पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को बनारस में हुआ था. किराना घराना और बनारसी गायकी के मुख्‍य गायक पं. छन्‍नूलाल को ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए जाना जाता है. ‘खेले मसाने में होली दिगंबर...’, उनका सबसे चर्चित गीत है. इससे पहले वर्ष 2010 में इन्हें पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है. अवार्ड की घोषणा होने पर पं. छन्नू लाल ने सरकार का आभार जताते हुए कहा कि मैं भारत सरकार का आभारी हूं जिन्‍होंने मुझे नहीं, बनारस घराने के संगीत को सम्‍मान दिया है.

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मोहम्मद शरीफ

मोहम्मद शरीफ: अयोध्या में खिड़की अली बेग मोहल्ले के रहने वाले चाचा शरीफ के नाम से विख्यात मोहम्मद शरीफ को सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. उत्तर प्रदेश के अयोध्या के रहने वाले 80 वर्षीय मो. शरीफ फैजाबाद व उसके आसपास मिली लावारिस शवों का दाह-संस्कार करते हैं. पिछले 25 साल के दौरान मो. शरीफ 4500 से ज्यादा लावारिस शवों का दाह संस्कार करा चुके हैं. इस दौरान वह इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि मृतक का आखिरी संस्कार उसके धर्म के अनुरूप हो. हिंदू शव का जहां दाह संस्कार करते हैं तो मुस्लिम शव को सुपुर्द ए-खाक की रस्म निभाते हैं.

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संजीव बिखचंदानी

संजीव बिखचंदानी: भारत के प्रमुख जॉब साइट Naukri.com के संस्थापक और उपाध्यक्ष संजीव बिखचंदानी को शनिवार को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्मश्री के लिए चुना गया है. गृह मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, बिखचंदानी को व्यापार और उद्योग की श्रेणी में पद्मश्री दिया गया है. उनकी कंपनी Jeevansathi.com, 99acres.com और Shiksha.com भी चलाती है.

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योगेश प्रवीण

योगेश प्रवीण: अवध के बेमिसाल साहित्‍य और हजारों साल पुरानी संस्‍कृति को इतिहासकार योगेश प्रवीण ने हर तरह से अपनी रचनाओं में उजागर किया है. लखनऊ के जाने माने अवधविद् और साहित्‍यकार डॉ. योगेश प्रवीण को वर्ष 2020 पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है. इनका जन्म 28 अक्टूबर 1938 को लखनऊ में हुआ था. योगेश प्रवीण ने मेरठ विश्वविद्यालय से साहित्य में डॉक्टरेट के अलावा हिंदी और संस्कृत में परास्नातक किया है.

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जीतू राय

जीतू राय: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित 11वीं गोरखा रेजिमेंट के निशानेबाज जीतू राय पद्मश्री से नवाजे जाएंगे. जीतू राय राष्ट्रमण्डल खेल और एशियाई खेल में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. जीतू राय का जन्म नेपाल के संखुवासभा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. जीतू का बचपन जंगलों और खेतों में बकरी चराते हुए बीता. परिवार का गुजर बसर खेती से होता था. जीतू के पिता भारतीय फौज में थे. पापा को देखकर जीतू भी सेना में जाना चाहते थे. 20 साल की उम्र में जीतू 2007 में भारतीय सेना में भर्ती हो गए. 2016 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. कई बार उन्होंने शूटिंग के माध्यम से देश का मान ऊंचा किया है.

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हरीश चन्द्र वर्मा

हरीश चन्द्र वर्मा: हरीश चन्द्र वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1952 को बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था. वर्तमान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में कार्यरत एक भौतिक विज्ञानी एवं प्राध्यापक हैं. इसके पूर्व उन्होंने पटना के विज्ञान महाविद्यालय में अध्यापन किया. उनके कार्य का क्षेत्र नाभिकीय भौतिकी है. उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना की है, जिनमें 'कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स' अत्यन्त लोकप्रिय है. डॉ एच सी वर्मा 1994 में सहायक प्रोफेसर के रूप में आईआईटी कानपुर में शामिल हुए. डॉ एच सी वर्मा ने प्रयोगात्मक परमाणु भौतिकी में अनुसंधान भी किया. आईआईटी कानपुर में नियमित कार्य के अलावा, उन्होंने शिक्षा और समाज के लाभ के लिए कई सामाजिक-शैक्षिक पहल भी की. उन्होंने 30 जून 2017 को औपचारिक रिटायरमेंट की घोषणा की. वे 38 सालों से लोगों को फिजिक्स की बारीकियों को समझा रहे हैं. नेशनल अंवेशिका नेटवर्क ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक होने के साथ-साथ वह देश भर के उत्साही भौतिकी शिक्षकों के लिए कार्यशाला का भी प्रति वर्ष आयोजन करते हैं, जिसके माध्यम से भौतिकी की आम समझ देश के कोने कोने तक पहुंच रही है. विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री 2020 सम्मान से नवाजा जाएगा.

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दया प्रकाश सिन्हा

दया प्रकाश सिन्हा: 2 मई 1935 को उत्तर प्रदेश के कासगंज में हआ था. फैजाबाद से हाई स्कूल तथा इलाहाबाद से इण्टरमीडिएट और बीएससी करने के बाद उनका मन हिन्दी साहित्य में एमए करने का था, किन्तु पिता की इच्छा को देखते हुए उन्होंने स्नातकोत्तर परीक्षा के लिये प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति जैसा गम्भीर विषय चुना, जिसमें उनकी विशेष रुचि थी. सन् 1956 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए करने के पश्चात दो वर्ष तक आईएएस परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे. उन्होंने इलाहाबाद के सीएमपी डिग्री कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रवक्ता पद पर नियुक्ति ली और इलाहाबाद में रहकर अध्यापन कार्य के साथ-साथ अपने पिता की इच्छा पूर्ण करने हेतु पीसीएस की तैयारी भी करते रहे. प्रथम प्रयास में ही उन्होंने उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. उनकी पहली पोस्टिंग बहराइच में हुई. अपने जीवन-काल में उन्होंने एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें से अधिकांश नाटक विधा पर ही थीं. उन्हें वर्ष 2020 के लिए भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए पद्मश्री अवार्ड के लिए चुना गया है.

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डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय

डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय: वह भारतीय वायु सेना (IAF) में पहली महिला एयर मार्शल हैं. वह एयर कमाडोर के पद पर पदोन्नत होने के लिए भारतीय वायु सेना की पहली महिला अधिकारी और भारत के एयरोस्पेस मेडिकल सोसायटी की पहली हैं. उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है.

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नरेंद्र नाथ खन्ना

नरेंदर नाथ खन्ना : प्रो नरेन्द्र नाथ खन्ना इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट हैं. डॉ. एन एन खन्ना लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से स्नातक हैं. एमडी (मेडिसिन) और डीएम (कार्डियोलॉजी) की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह प्रतिष्ठित कार्डियोलॉजिस्ट्स के तहत ओक्स्नेर मेडिकल फाउंडेशन, न्यू ऑरलियन्स, यूएसए और पॉली-क्लिनिक-डेस-एसेई, फ्रांस में कॉर्डियोलॉजी, कोरोनरी एंड वैस्कुलर इंटरवेंशन में एडवांस्ड फेलोशिप ट्रेनिंग के लिए विदेश गए. उन्होंने 27 पुस्तक अध्यायों को लिखा है और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके प्रकाशन के लगभग 120 प्रकाशन हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री 2020 के लिए चुना गया है.

लखनऊ: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने वर्ष 2020 के लिए पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिया गया है. एमसी मैरीकॉम सहित यह पुरस्कार कुल 7 लोगों को दिया जाएगा. 16 हस्तियों को पद्म भूषण और 118 लोगों को पद्मश्री देने का एलान किया गया है. यूपी के पं. छन्नू लाल को पद्म विभूषण और मोहम्मद शरीफ समेत 8 को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

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पंडित छन्नूलाल मिश्र.

पंडित छन्नूलाल मिश्र : देश की सांस्‍कृतिक नगरी काशी निवासी ठुमरी के शास्त्रीय गायक पंडित छन्‍नूलाल मिश्र को पद्म विभूषण सम्‍मान 2019 दिया जाएगा. पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को बनारस में हुआ था. किराना घराना और बनारसी गायकी के मुख्‍य गायक पं. छन्‍नूलाल को ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए जाना जाता है. ‘खेले मसाने में होली दिगंबर...’, उनका सबसे चर्चित गीत है. इससे पहले वर्ष 2010 में इन्हें पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है. अवार्ड की घोषणा होने पर पं. छन्नू लाल ने सरकार का आभार जताते हुए कहा कि मैं भारत सरकार का आभारी हूं जिन्‍होंने मुझे नहीं, बनारस घराने के संगीत को सम्‍मान दिया है.

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मोहम्मद शरीफ

मोहम्मद शरीफ: अयोध्या में खिड़की अली बेग मोहल्ले के रहने वाले चाचा शरीफ के नाम से विख्यात मोहम्मद शरीफ को सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. उत्तर प्रदेश के अयोध्या के रहने वाले 80 वर्षीय मो. शरीफ फैजाबाद व उसके आसपास मिली लावारिस शवों का दाह-संस्कार करते हैं. पिछले 25 साल के दौरान मो. शरीफ 4500 से ज्यादा लावारिस शवों का दाह संस्कार करा चुके हैं. इस दौरान वह इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि मृतक का आखिरी संस्कार उसके धर्म के अनुरूप हो. हिंदू शव का जहां दाह संस्कार करते हैं तो मुस्लिम शव को सुपुर्द ए-खाक की रस्म निभाते हैं.

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संजीव बिखचंदानी

संजीव बिखचंदानी: भारत के प्रमुख जॉब साइट Naukri.com के संस्थापक और उपाध्यक्ष संजीव बिखचंदानी को शनिवार को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्मश्री के लिए चुना गया है. गृह मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, बिखचंदानी को व्यापार और उद्योग की श्रेणी में पद्मश्री दिया गया है. उनकी कंपनी Jeevansathi.com, 99acres.com और Shiksha.com भी चलाती है.

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योगेश प्रवीण

योगेश प्रवीण: अवध के बेमिसाल साहित्‍य और हजारों साल पुरानी संस्‍कृति को इतिहासकार योगेश प्रवीण ने हर तरह से अपनी रचनाओं में उजागर किया है. लखनऊ के जाने माने अवधविद् और साहित्‍यकार डॉ. योगेश प्रवीण को वर्ष 2020 पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है. इनका जन्म 28 अक्टूबर 1938 को लखनऊ में हुआ था. योगेश प्रवीण ने मेरठ विश्वविद्यालय से साहित्य में डॉक्टरेट के अलावा हिंदी और संस्कृत में परास्नातक किया है.

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जीतू राय

जीतू राय: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित 11वीं गोरखा रेजिमेंट के निशानेबाज जीतू राय पद्मश्री से नवाजे जाएंगे. जीतू राय राष्ट्रमण्डल खेल और एशियाई खेल में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. जीतू राय का जन्म नेपाल के संखुवासभा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. जीतू का बचपन जंगलों और खेतों में बकरी चराते हुए बीता. परिवार का गुजर बसर खेती से होता था. जीतू के पिता भारतीय फौज में थे. पापा को देखकर जीतू भी सेना में जाना चाहते थे. 20 साल की उम्र में जीतू 2007 में भारतीय सेना में भर्ती हो गए. 2016 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. कई बार उन्होंने शूटिंग के माध्यम से देश का मान ऊंचा किया है.

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हरीश चन्द्र वर्मा

हरीश चन्द्र वर्मा: हरीश चन्द्र वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1952 को बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था. वर्तमान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में कार्यरत एक भौतिक विज्ञानी एवं प्राध्यापक हैं. इसके पूर्व उन्होंने पटना के विज्ञान महाविद्यालय में अध्यापन किया. उनके कार्य का क्षेत्र नाभिकीय भौतिकी है. उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना की है, जिनमें 'कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स' अत्यन्त लोकप्रिय है. डॉ एच सी वर्मा 1994 में सहायक प्रोफेसर के रूप में आईआईटी कानपुर में शामिल हुए. डॉ एच सी वर्मा ने प्रयोगात्मक परमाणु भौतिकी में अनुसंधान भी किया. आईआईटी कानपुर में नियमित कार्य के अलावा, उन्होंने शिक्षा और समाज के लाभ के लिए कई सामाजिक-शैक्षिक पहल भी की. उन्होंने 30 जून 2017 को औपचारिक रिटायरमेंट की घोषणा की. वे 38 सालों से लोगों को फिजिक्स की बारीकियों को समझा रहे हैं. नेशनल अंवेशिका नेटवर्क ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक होने के साथ-साथ वह देश भर के उत्साही भौतिकी शिक्षकों के लिए कार्यशाला का भी प्रति वर्ष आयोजन करते हैं, जिसके माध्यम से भौतिकी की आम समझ देश के कोने कोने तक पहुंच रही है. विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री 2020 सम्मान से नवाजा जाएगा.

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दया प्रकाश सिन्हा

दया प्रकाश सिन्हा: 2 मई 1935 को उत्तर प्रदेश के कासगंज में हआ था. फैजाबाद से हाई स्कूल तथा इलाहाबाद से इण्टरमीडिएट और बीएससी करने के बाद उनका मन हिन्दी साहित्य में एमए करने का था, किन्तु पिता की इच्छा को देखते हुए उन्होंने स्नातकोत्तर परीक्षा के लिये प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति जैसा गम्भीर विषय चुना, जिसमें उनकी विशेष रुचि थी. सन् 1956 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए करने के पश्चात दो वर्ष तक आईएएस परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे. उन्होंने इलाहाबाद के सीएमपी डिग्री कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रवक्ता पद पर नियुक्ति ली और इलाहाबाद में रहकर अध्यापन कार्य के साथ-साथ अपने पिता की इच्छा पूर्ण करने हेतु पीसीएस की तैयारी भी करते रहे. प्रथम प्रयास में ही उन्होंने उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. उनकी पहली पोस्टिंग बहराइच में हुई. अपने जीवन-काल में उन्होंने एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें से अधिकांश नाटक विधा पर ही थीं. उन्हें वर्ष 2020 के लिए भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए पद्मश्री अवार्ड के लिए चुना गया है.

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डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय

डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय: वह भारतीय वायु सेना (IAF) में पहली महिला एयर मार्शल हैं. वह एयर कमाडोर के पद पर पदोन्नत होने के लिए भारतीय वायु सेना की पहली महिला अधिकारी और भारत के एयरोस्पेस मेडिकल सोसायटी की पहली हैं. उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है.

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नरेंद्र नाथ खन्ना

नरेंदर नाथ खन्ना : प्रो नरेन्द्र नाथ खन्ना इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट हैं. डॉ. एन एन खन्ना लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से स्नातक हैं. एमडी (मेडिसिन) और डीएम (कार्डियोलॉजी) की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह प्रतिष्ठित कार्डियोलॉजिस्ट्स के तहत ओक्स्नेर मेडिकल फाउंडेशन, न्यू ऑरलियन्स, यूएसए और पॉली-क्लिनिक-डेस-एसेई, फ्रांस में कॉर्डियोलॉजी, कोरोनरी एंड वैस्कुलर इंटरवेंशन में एडवांस्ड फेलोशिप ट्रेनिंग के लिए विदेश गए. उन्होंने 27 पुस्तक अध्यायों को लिखा है और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके प्रकाशन के लगभग 120 प्रकाशन हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री 2020 के लिए चुना गया है.

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