लखनऊ: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं मातृभाषा सप्ताह के अंतर्गत 'नई शिक्षा नीति 2020 उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए रोड मैप' विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ डॉ. किरण लता डंगवाल, प्रो. राजीव मनोहर और प्रो. अरविंद कुमार झा ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए.
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की भूमिका पर विस्तार से चर्चा
लखनऊ विश्वविद्यालय की डॉ. किरण लता ने शिक्षा नीति के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला एवं उस संदर्भ में आई.सी.टी. यानी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि शिक्षा एवं अध्ययन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मूक्स पाठ्यक्रम, ई-पाठशाला, शोधगंगा जैसे प्लेटफार्म महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. प्रो. राजीव मनोहर ने शिक्षा में निरंतर बदलाव के महत्व पर ज़ोर दिया और कहा कि शिक्षा और जीवन में बदलाव निरंतर होते रहने चाहिए. उन्होंने शिक्षकों के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का महत्व, एवं शिक्षकों के कैरियर में इसके उपयोग पर प्रकाश डाला.
इसे भी पढ़ें-भाषा विश्वविद्यालय और कैरियर अस्पताल के बीच MOU हस्ताक्षर हुआ
विश्वविद्यालय अपने शिक्षण और शोध की वजह से ही जाता है जाना
बीबीएयू के प्रो. अरविंद कुमार झा ने विश्वविद्यालय और उसके स्टेकहोल्डर्स को रेखांकित करते हुए शैक्षणिक एवं शोध विकास पर अपने व्याख्यान को केंद्रित रखा. उन्होंने कहा कि शिक्षा में शोध एवं अध्ययन दोनों का सामंजस्य होना चाहिए. क्योंकि कोई भी विश्वविद्यालय अपने शिक्षण और शोध की वजह से ही जाना जाता है. इस संदर्भ में उन्होंने कंटेंट और सिलेबस में बदलाव करने का विशेषकर जिक्र करते हुए कहा कि पॉलिसी तैयार करना और उसको वास्तविक स्तर पर जमीन पर उतारना दो अलग बातें हैं, शिक्षकों को इस दिशा में निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए.
कार्यक्रम का संयोजन प्रो. एसएसए अशरफी एवं प्रो. चंदना डे ने किया. संचालन डॉ. नीरज शुक्ल व डॉ. सौबान सईद ने संयुक्त रूप से किया. डॉ. प्रियंका इस कार्यक्रम की सह-समन्वयक रहीं.